-छेड़खानी के बाद ही आती है जान गंवाने की नौबत

-साइंटिफिक एक्सप‌र्ट्स व तैयारियों की सख्त जरूरत

DEHRADUN : देश के कई हिस्सों में मानव व वाइल्ड एनिमल्स के बीच में संघर्ष छिड़ा हुआ है। उत्तराखंड के कई इलाके भी ऐसे संघर्ष से अछूते नहीं हैं। इसी के चलते कई लेपर्ड ने न केवल मानव को अपना निवाला बनाया है, बल्कि हाथियों ने भी कई लोगों को पटखनी दी। फिलवक्त मेरठ में कई दिनों से लेपर्ड के आतंक ने सबको सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। लोग घरों में दुबकने को मजबूर हो रहे हैं, लेकिन वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एक्सप‌र्ट्स मानते हैं कि ह्यूमन बीईग का नेचर से छेड़छाड़ करना इसका प्रमुख कारण है।

फॉरेस्ट एरिया में दखल न दें

एक्सप‌र्ट्स का दावा है कि हर कस्बे, नगर व सिटी के जिन एरियाज में फॉरेस्ट एरियाज हैं, वहां वाइल्ड एनिमल्स रहते हैं, लेकिन ऐसे वाइल्ड एनिमल के एरियाज में छेड़खानी होने के बाद ही ऐसा नौबत आती है। ऐसी स्थिति आने के बाद बेहतर है कि शालीनता, प्रिपरेशन व साइंटिफिक मदद ली जाए। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(डब्ल्यूआईआई) देहरादून में तैनात सीनियर साइंटिस्ट व एक्सप‌र्ट्स डा। पराग निगम कहते हैं कि संबंधित डिपार्टमेंट व गवर्नमेंट को भी तैयारियां रखनी चाहिए।

ख्00 स्क्वॉयर किमी की जरूरत

डब्ल्यूआईआई की सीनियर साइंटिस्ट डा। पराग कहते हैं कि गुजरात, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश सरकारों की तरफ से ऐसी नौबत आने पर बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं। पहले से ही एक्सप‌र्ट्स टीम मुस्तैद रहती है, जिसके आधार पर ही शहरों में आने वाले लेपर्ड या हाथियों को गिरफ्त में लेकर दूसरे स्थानों पर सकुशल रिहा किया जाता है। वहीं कई सालों तक गेंडा पर रिसर्च करने वाले डब्ल्यूआईआई के सीनियर साइंटिस्ट डा। प्रणव पाल कहते हैं कि फॉरेस्ट एरियाज में इंक्रोचमेंट, माइनिंग व रोड निर्माण के कारण ऐसी प्रॉब्लम सामने आ रही है।

भटकते हुए शहर पहुंचते लेपर्ड

डा। पाल कहते हैं कि एक लेपर्ड को मूवमेंट के लिए करीब ख्00 स्क्वॉयर किमी एरिया चाहिए, जहां उसके लिए पर्याप्त भोजन हो। मेरठ में भी आस-पास एरियाज में अतिक्रमण हो रहा है, तभी लेपर्ड शहरों की तरफ मूवमेंट कर रहे हैं। वे कहते हैं कि डेवलपमेंट जरूरी है, लेकिन वाइल्ड एनिमल्स के एरियाज में इंटरफेयरेंस नहीं होना चाहिए। ऐसे में कई एनिमल्स अपने शेल्टर के लिए शहरों की तरफ निकल पड़ते हैं। उसके बाद वे डोमेस्टिक एनिमल्स और फिर मनुष्य पर अटैक करते हैं। दोनों साइटिंस्ट्स के मुताबिक अभी तक मेरठ में लेपर्ड के पकड़ने के लिए डब्ल्यूआईआई को कोई इंफॉरमेशन नहीं मिली है।

क्या कहते हैं एक्सप‌र्ट्स

- मेरठ शहर में आया लेपर्ड आदमखोर नहीं है।

-जंगल से भटक कर आने की संभावना दिखती है।

- ऐसे में एक्सप‌र्ट्स व डिपार्टमेंटल मदद ली जाए।

-इमरजेंसी ऑपरेशन की नौबत नहीं आनी चाहिए।

-जंगल से भटकने के बाद ये शहर में स्टे करने लगते हैं।

-ऐसे जानवरों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

-परेशान करने पर अटैक की भी संभावनाएं बन जाती हैं।

-शोर-शराबे जैसी हरकतों से दूर रहने की कोशिश हो।

Posted By: Inextlive