- मूल्यांकन करने आए टीचर्स में पिला रहे बच्चे चाय और पानी

- स्कूल के टीचर्स और प्रिंसीपल ने बच्चों को सर्टिफिकेट का लॉलीपॉप

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Meerut : दिल्ली रोड स्थित केके इंटर कॉलेज में यूपी बोर्ड एग्जाम का मूल्यांकन चल रहा है। भ्00 से ज्यादा टीचर्स कॉपियां जांचने में जुटे हुए हैं। बच्चों का भविष्य उनके हाथों में है। इस दौरान बाकी बच्चों को भी स्कूल बुलाया जा रहा है, ताकि पढ़ाई खराब न हो। लेकिन इन बच्चों से गुरुजी को चाय-नाश्ता सर्व कराना कहां तक सही है? क्योंकि, क्ब् साल से कम उम्र के बच्चों से काम कराना वैसे भी चाइल्ड लेबर एक्ट के तहत कार्रवाई के दायरे में आता है।

बच्चों से काम नहीं करा सकते

चाइल्ड लेबर एक्ट के प्रावधानों के अनुसार होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट या चाय की दुकान पर किसी बच्चे से काम कराना कानूनी अपराध है। ऐसा कराने वाले के खिलाफ चाइल्ड लेबर एक्ट में मुकदमा दर्ज कराने का प्रावधान है और पुलिस संबंधित की गिरफ्तारी भी कर सकती है। क्या यहां भी ऐसी कोई कार्रवाई होगी? क्या डीआईओएस, माध्यमिक शिक्षा विभाग के ऑफिसर्स या केके इंटर कॉलेज के प्रिंसीपल से यह पूछा भी जाएगा कि ऐसा क्यों और किन परिस्थितियों में किया जा रहा है?

मूल्यांकन में इनका क्या काम?

मूल्यांकन का काम पूरी तरह से विभागीय है। इसमें शिक्षा विभाग हरेक टीचर को कॉपी के हिसाब से मूल्यांकन के रुपए भी देता है। साथ में सेलेरी भी दी जाती है। ऐसे में उनके चाय-पानी के लिए स्कूल में चपरासी की कमी पड़ गई थी। समझ में आता है कि स्कूल में चार चपरासी भ्00 टीचर्स के लिए काफी कम हैं। ऐसे में प्रतिदिन के हिसाब से चपरासी रखे जा सकते हैं। सवाल यह भी है कि क्या शिक्षा विभाग कंगाल हो गया है? उसके पास इतना भी बैलेंस नहीं है कि वह कुछ लोगों को हायर कर मीटिंग में नाश्ता सर्व करा सके।

तो करते हैं ये काम

जिन बच्चों से सेवा के नाम पर श्रम कराया जा रहा है, उनसे आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने बात की बात की तो उन्होंने बताया कि पूरे स्कूल से करीब ख्0 बच्चों को इस ड्यूटी पर लगाया है। वे सभी गुरुजी को पानी पिलाते हैं। उनको चाय देते हैं। अगर उन लोगों को बाहर से कुछ मंगाना होता है तो वो भी लाकर देते हैं। जबकि स्कूल टाइम पर किसी भी स्टूडेंट को बाहर जाने की परमीशन नहीं दी जाती है। वैसे भी स्कूल के बाहर की रोड काफी व्यस्त है। अगर किसी स्टूडेंट के साथ कोई हादसा हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी किसी होगी।

सर्टिफिकेट का लॉलीपॉप

स्कूल के बच्चों से जब उनके क्लास के बारे में पूछा गया तो किसी ने सेवंथ तो किसी ने सिक्स्थ या एर्थ स्टेंडर्ड का बताया। बच्चों की मानें तो उन्हें टीचर्स ने सर्टिफिकेट देने की बात कही है। जो उनके आगे करियर में काम आएगा। सवाल ये है कि उस सर्टिफिकेट को देखकर कौन सी मल्टी नेशनल कंपनी नौकरी देगी? वहीं बच्चे चाय और पानी सर्व करने के लिए स्कूल की ड्रेस में नहीं स्काउट की ड्रेस पहनाई जा रही है।

जल्द ही देना है रिजल्ट

स्कूल प्रिंसीपल और अधिकारियों की मानें तो यूपी बोर्ड का रिजल्ट जल्द से जल्द देना है। इसके लिए क्क् अप्रैल को मूल्यांकन का काम शुरू हुआ था। मूल्यांकन क्भ् दिनों के भीतर खत्म करना है। इसके लिए मेरठ में चार मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं। केके इंटर कॉलेज की बात करें तो मूल्यांकन के लिए म्ख्0 परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। वहीं म्ब् डीएचई नियुक्त किए गए हैं।

इस तरह के कामों के लिए स्कूलों में फोर्थ क्लास के वर्कस होते हैं। अगर वो पूरे न हों तो हायर भी किए जा सकते हैं, लेकिन स्कूल के बच्चों से इस तरह का काम नहीं लिया जा सकता है। अगर किसी सेंटर में ऐसा हो रहा है तो उन्हें मना किया जाएगा।

- शिव कुमार ओझा, डीआईओएस

Posted By: Inextlive