- हायर एजुकेशन में दो वर्ष से स्कॉलरशिप पेंडिंग, तीसरे वर्ष के आवेदन ही नहीं मांगे

- वर्ष 2017-18 और 2018-19 सत्र की स्कॉलरशिप भी पेंडिंग, इस आवेदन प्रक्रिया ही शुरू नहीं

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देहरादून।

प्रदेश में हायर एजुकेशन के लिए स्टूडेंट्स को मिलने वाली समाज कल्याण स्कॉलरशिप तीन वर्ष से सिस्टम में उलझी है। दरअसल वर्ष 2016-17 के बाद अधिकतर स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप जारी ही नहीं हुई। कई जिलों में स्कॉलरशिप का बजट समाज कल्याण विभाग,आईटी सेल, ट्रेजरी और बैंक के बीच कोरसपॉन्डेंस की खामी के चलते ही वापस हो गया। इस वजह से प्रदेश में हायर एजुकेशन ले रहे एससी,एसटी,ओबीसी और हैंडीकैप्ड स्टूडेंट्स पाई-पाई को मोहताज हो गए। इनमें प्राईवेट इंस्टीट्यूटस में पढ़ रहे कई स्टूडेंट्स तो ऐसे हैं जिनके एडमिशन के समय ट्यूशन फीस एक्चुअल मिलती थी। सरकार ने तीन वर्ष पहले सरकारी कॉलेजेज के बराबर ट्यूशन फीस बतौर स्कॉलरशिप देने का नियम बना दिया। ऐसे में स्कॉलरशिप कम हो जाने से घर और जमीन गिरवी रखकर पढ़ाई करने की नौबत आ गई है। स्कॉलरशिप रकम फिक्स किए जाने के बावजूद हजारों स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप नहीं मिलने की वजह से कई पढ़ाई छोड़ने की तैयारी में हैं तो कुछ बैंक लोन या पार्ट टाइम जॉब कर गुजारा कर रहे हैं।

आईटी सेल की खामी,भुगत रहे स्टूडेंट्स:

देहरादून जिले में समाज कल्याण विभाग के आईटी डिपार्टमेंट में पिछले दो वर्ष से नोडल ऑफिसर ही नहीं है। ऐसे में हॉयर एजुकेशन स्कॉलरशिप के लिए एलिजिबल हजारों स्टूडेंट्स की एप्लीकेशंस बैंक अकाउंट और आईएफएससी कोड वेरिफाई किए बिना ही सीधे ट्रेजरी को भेज दिए। ट्रेजरी ने बैंक्स को फंड ट्रांसफर करने के लिए सूची आरबीआई को भेज दी। आरबीआई के चेक लिस्ट में जिन आवेदनों का बैंक अकाउंट और आईएफएससी कोड वेरिफाई नहीं हुआ या फिर बैंक में तीन माह से ट्रांजेक्शन नहीं हुआ ऐसे अकाउंट में फंड ट्रांसफर पर रिजेक्शन लगा दिया। आरबीआई फेल की वजह फंड रिवर्स हो गया और स्टूडेंट छात्रवृति मिलने का इंतजार करते ही रह गए।

इंतजार की तीसरा वर्ष भी आधा बीता:

समाज कल्याण विभाग की तरफ से हायर एजुकेशन स्टूडेंट्स को वर्ष 2016-17 की स्कॉलरशिप ही कंप्लीट जारी हो पायी है। वर्ष 2017-18 में सरकार ने केन्द्र की तर्ज पर गर्वमेंट फीस हजार स्टूडेंटस के आवेदन करने के बाद भी वहीं प्राइवेट कॉलेजो के एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों को भी सरकारी कॉलेजो जितनी ही छात्रवृत्ति दिए जाने पर छात्र विभाग के चक्कर काट रहे हैं।

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अब सिर्फ इतनी स्कॉलरशिप

एमबीबीएस- 50 हजार

बी-टेक- 50 हजार

बी-एड- 25 हजार

पॉलीटेक्निक- 8 हजार

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ट्रेजरी में खातों में आने वाली दिक्कत को यहां आरबीआई फेल होना कहा जाता है। हालांकि छात्रों के शिकायत करने के बाद ही मामले की जानकारी हो पाती है। जीत सिंह रावत, जिला समाज कल्याण अधिकारी

हरिद्वार पेंडेंसी में नंबर वन,दून नंबर टू:

स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने वाले प्रदेश के 13 जिलों में वर्ष 2016-17 में सबसे अधिक 3683 स्टूडेंट्स और दूसरे नंबर पर देहरादून जिले के 2052 स्टूडेंटस को हायर एजुकेशन के लिए स्कॉलरशिप सेंक्शन हुई थी। इनमें मेडिकल, इंजीनियरिंग के स्टूडेंस भी बड़ी संख्या में थे। जिन स्टूडेंटस को उस वर्ष स्कॉलरशिप मिली थी,उनमें से सैकड़ों की पढाई या तो पूरी हो चुकी या फिर आखिरी वर्ष है। उन स्टूडेंट्स में से सैकड़ों को फिर स्कॉलरशिप जारी ही नहीं हुई।

मेडिकल और इंजीनियरिंग वालों की मुसीबत:

प्रदेश में सबसे अधिक फीस मेडिकल और इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की है। इनके लिए पहले एक्चुअल ट्यूशन फीस स्कॉलरशिप के तौर पर मिलती थी। बाद में इसे सरकारी रेट से उन्हें फिक्स स्कॉलरशिप मिलनी है। प्राइवेट कॉलेजेज में पढ़ रहे मेडिकल स्टूडेंट्स को पहले 2लाख से अधिक सालाना स्कॉलरशिप मिल रही थी, वह अब सिर्फ 50 हजार के आसपास रही है, जिसका भी तीन वर्ष से इंतजार है.प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजेज की फीस भी एक लाख वार्षिक के आसपास है, लेकिन वह भी अब 25 हजार ही मिलनी है।

स्कॉलरशिप की मार झेल रहे स्टूडेंटस की कहानी

पिता की मौत,बेटा कैसे करे डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी:

देहरादून के एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले मेडिकल स्टूडेंट की पीड़ा यह है कि उसके पिता का असमय निधन हो गया। होनहार बेटे ने प्री मेडिकल टेस्ट पास कर लिया। एससी कोर्ट से स्कॉलरशिप मिलनी थी। जिस वर्ष एडमिशन हुआ, सरकार ने स्कॉलरशिप घटा दी। पिछले वर्ष प्रावइेट कॉलेजेज ने फीस बढ़ा दी। बावजूद इसके जो स्कॉलरशिप मिलनी थी, वह भी तीन वर्ष से पेंडिंग है। इस स्टूडेंट के सामने मुसीबत यह है कि आखिर मेडिकल की पढ़ाई कैसे पूरी करे।

फाइनल इयर में पहुंच गया, स्कॉलरशिप का इंतजार:

मेडिकल की पढाई कर रहे एक अन्य स्टूडेंट की परेशानी भी बड़ी है। उसे एमबीबीएस सैकंड इयर में स्कॉलरशिप मिली थी। उसके बाद से तीन वर्ष हो गए। कॉलेज की फीस तो हर वर्ष भरनी पड़ रही है, फाइनल इयर में आ चुका। अब तक स्कॉलरशिप नहीं मिली।

पढ़ाई पूरी हो गई, स्कॉलरशिप मिली ही नहीं, कर्ज में डूबा भविष्य:

दून में सेलाकुई में इंजीनियरिंग कॉलेज से बी टेक कर चुका स्टूडेंट भी स्कॉलरशिप का इंजतार कर रहा है। एडमिशन के समय अनुसूचित जाति स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया था। पहले वर्ष आवेदन टेक्नीकल फॉल्ट में आ गया,दूसरे वर्ष और तीसरे वर्ष की स्कॉलरशिप अभी मिली नहीं। लोन लेकर पढ़ाई तो कंपलीट कर ली,लेकिन नौकरी अभी मिली नहीं। कुछ करने से पहले ही कर्ज के बोझ तले दबा यह छात्र भी स्कॉलरशिप के इंजतार में टकटकी लगाए बैठा है।

समाज कल्याण स्कॉलरशिप के आंकड़े

202322

ऑन लाइन रजिस्टर्ड स्टूडेंटस

1829

पोटर्ल पर रजिस्टर्ड इंस्टीट्यूट

सिस्टम के रवैये से स्टूडेंट परेशान

दरअसल समाज कल्याण विभाग के रवैये के चलते छात्रों को दिक्कत झेलनी पड़ रही है। छात्रों की ओर से ऑनलाइन स्कॉलरशिप के फॉर्म भरे जाते हैं। विभाग की आईटी सेल की ओर से फार्म सहित खातों का वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए। बैंक खाता रनिंग पॉजिशन में है कि नहीं। छात्र ने बैंक का आईएफएस कोड सही भरा है कि नहीं। लेकिन ऐसा कुछ भी बिना किए सीधे ये सब फॉर्म ट्रेजरी को भेज दिए जा रहे हैं।

Posted By: Inextlive