University की merit high, limited seats, सबको नहीं मिलना admission

Colleges में PG course की पढ़ाई शुरू होने से जगी थी आस

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: कॉलेज सरकार का है। सुविधा भी सरकार से लेते हैं। कोई बड़ा आयोजन हो तो मंच से डंके की चोट पर कहते हैं यह छात्रों की यूनिवर्सिटी और कॉलेज है। यहां छात्रों की ही चलेगी। लेकिन बात को धरातल में उतारने का वक्त आया तो पूरा तंत्र छात्रों को ही गच्चा दे गया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जुड़े डिग्री कॉलेजेस में पहली दफा शुरू हुए पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं। कॉलेजेस ने पीजी कोर्स में भारी भरकम फीस की ऐसी चांप चढ़ाई है कि गरीब और आम छात्रों के होश फाक्ता हो रहे हैं। जिन्हें यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं मिलना है, उनके लिए आगे कुंआ पीछे खाई वाली सिचुएशन हो गई है।

29 हजार आए थे आवेदन

बता दें कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एमए, एमएससी और एमकाम में सीट्स की संख्या तकरीबन साढ़े तीन हजार के आसपास है। जबकि, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पीजी प्रवेश परीक्षा के लिए करीब 29 हजार आवेदन आए थे। करेंट में इविवि में पीजी के विभिन्न विषयों में एडमिशन का दौर चल रहा है। लेकिन यहां कि मेरिट इतनी हाई है कि कुल सीटों की सापेक्ष सभी को एडमिशन मिल पाना नामुमकिन है। ऐसे में जब कॉलेजेस में पीजी प्रवेश शुरु करने की बात इविवि के कुलपति प्रोफेसर आरएल हांगलू ने कही तो उन्हें बधाई देने वालों की कमी नहीं थी।

सबके बस की बात नहीं इतनी फीस

लेकिन वक्त बीता तो इविवि प्रशासन के निर्णय का सच भी सामने आ गया। कॉलेजेस ने पीजी कोर्स के लिए फीस के ऐसे मानक तय कर डाले। जिसके बोझ तले गरीब मध्यम वर्ग के छात्र दबे नजर आ रहे हैं। एमए, एमएससी और एमकाम की पूरी पढ़ाई करने के लिए सोलह हजार से चालीस हजार रुपए तक फीस रख दी गई है। जिसे सरकारी कॉलेज की फीस कहा ही नहीं जा सकता। कॉलेजेस में एडमिशन उन्हीं को मिलना है, जिन्होंने इविवि का पीजी इंट्रेंस दिया है। ऐसे में भारी फीस के चलते यूनिवर्सिटी में एडमिशन से वंचित हजारों हजार की संख्या में छात्र जाएं तो आखिर कहां जाए? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। क्योंकि, इतनी फीस चुका पाना सबके बस की बात नहीं है।

पूर्वाचल से आती है फौज

बता दें कि इविवि से जुड़े डिग्री कॉलेजेस में ज्यादातर एडमिशन लेने वाले छात्र पूर्वाचल समेत ग्रामीण एरिया से बिलांग करते हैं। इनमें से अधिकांश गरीब किसान के ही बेटे हैं। वैसे भी इलाहाबाद को लाखों लाख प्रतियोगियों का गढ़ भी इसलिए कहा जाता है। क्योंकि, गरीब परिवार से संबंध रखने वाले छात्र पैसा खर्च करके हायर लेवल की पढ़ाई नहीं कर सकते। ऐसे में उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं को अपने कॅरियर का माध्यम बनाना पड़ता है। जिसका रास्ता इविवि और उसके कॉलेजेस में होने वाली यूजी और पीजी की पढ़ाई से ही होकर गुजरता है।

मैने एयू से बीएससी किया है। अब मुझे एमएससी करना है। पैसे की बहुत प्राब्लम है मुझे। कॉलेजेस को फीस कम करनी चाहिए। हम सबकी पढ़ाई कंटीन्यू रहे। इसके लिए यह जरुरी है। वरना पढ़ाई यहीं पर रोकनी पढ़ जाएगी।

मारिया

फीस बहुत ज्यादा है। इससे आम स्टूडेंट्स को बहुत प्रॉब्लम होगी। इसे कम करना चाहिए। कोई गरीब छात्र इतना पैसा कहां से लाएगा। यह भी कॉलेज प्रशासन को सोचना चाहिए। क्योंकि, वही हमारे मार्गदर्शक हैं।

मनीष कुमार यादव

कॉलेजेस की फीस तो कमर तोड़ रही है। यूनिवर्सिटी की फीस डेढ़ हजार के अंदर और कॉलेज की कई गुना। यदि फीस कम नहीं हुई तो छात्र आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे।

आकिब जावेद,

उपाध्यक्ष समाजवादी छात्रसभा

Posted By: Inextlive