-देवी चौधरी शहीद स्मारक, मिलर उच्च मा। विद्यालय में मोदी का पाठशाला

- इस पाठशाला में टीचर भी स्टूडेट्स के साथ बेंच पर बैठे

PATNA: इस स्कूल में सुबह क्क् बजे से ही टीवी चैनलों ने अपने ओवी वैन लगा रखे थे। स्टूडेंट्स के बैठने की व्यवस्था हॉल में की गई थी। यही पर टीवी लगाए गए थे। आगे की बेंच पर टीचर्स बैठे और उससे पीछे स्टूडेंट्स। इस स्कूल में शिक्षक के साथ शिक्षिकाएं भी काफी खुश थीं। टीचर मोदी की हर बात ध्यान से सुनते रहे स्कूल टीचर। खासतौर से शिक्षिकाएं मोदी के भाषण के कल्चरल टच से काफी खुश दिखीं। शिक्षिका रेणु कुमारी ने आई नेक्स्ट को बताया कि मोदी के भाषण ने टीचर के सिर को ऊंचा किया है। आज हमें एहसास हुआ कि आई एम टीचर। फास्ट लाइफ में किसी नेता को फुर्सत नहीं है। किसी मंत्री को फुर्सत नहीं है। किसी अफसर को फुर्सत नहीं है, लेकिन पीएम मोदी ने इतना समय दिया कि पूछिए मत। मैं तो चाहती हूं कि भगवान एक क्या हर जन्म में मुझे शिक्षक ही बनाए। उन्होंने बताया कि एक बार जब वह सड़क पर अकेले जा रही थीं तभी एक कार ने पीछा किया। नजदीक आकर उसमें से बॉडीगार्ड धड़ाधड़ उतरे। मैं डर गई, लेकिन क्षण भर बाद ही उसमें से अफसर जैसी एक लड़की उतरी और मेरा पैर छूते हुए मेरे गले से लग गई। उसने सवाल किया मैडम मुझे पहचाना कि नहीं मुझे आपने ही पढ़ाया है। मैंने कहा हां पहचान लिया, तो समझिए कि इस सम्मान के आगे दुनिया की सारी खुशी कम है। सारे धन-दौलत पीछे हैं। वह कहती हैं कि टीचर से ही बच्चे सीखते हैं। टीचर का आईना कोई और नहीं उसके स्टूडेंट्स ही होते हैं। इसलिए स्टूडेंट्स से डिसीप्लीन की उम्मीद करने वाले खुद भी डिसीप्लीन में रहना सीखें।

स्टूडेंट्स ने पहली बार देखा पीएम टीचर

ये स्टूडेंट्स के लिए बड़ा अवसर था, जब उन्होंने स्क्रीन पर ही सही पर सामने पीएम टीचर को देखा। ऐसे टीचर को सुनने स्टूडेंट्स के स्कूल के टीचर भी साथ बैठे थे। यानी ये सिर्फ स्टूडेंट्स का क्लास ही नहीं था बल्कि स्टूडेंट्स-टीचर का ज्वाइंट क्लास था। नरेन्द्र मोदी ने जब शहनाईवाले का जिक्र किया और इमली से ललचाने वाले वाकया सुनाया तो बच्चों सहित टीचर्स ने भी ताली बजायी। शादी समारोहों में दो लोगों के कपड़ों को जोड़ स्टेपलर मारने के संस्मरण पर भी खूब मस्ती कटी।

धरती माता, सूरज दादा और चंदा मामा

नरेन्द्र मोदी ने एक सवाल के जवाब में पर्यावरण के इंपार्टेंस को बताने-समझाने के लिए एग्जांपल का सहारा लिया उसने सब का ध्यान खींचा। जूली कुमारी कहती हैं कि अब वो भी पेड़ लगाएगी और पानी बर्बाद होने पर लोगों को कहेगी कि आपने पीएम मोदी का भाषण नहीं सुना है क्या? सरोज ने कहा कि वो कल सुबह सबेरे उठेगा और सूर्योदय देखेगा। मनीषा ने भी सुबह सबेरे उठकर सूर्योदय को देखने का मन बनाया है। विनय कहता है कि उनसे सोचा ही नहीं था कि चांदनी रात इतनी सारी बिजली बचा सकती है।

स्कूल में देखा तो कैसा लगा

टीचर जब पीएम हों तो टीचर्स ने भी स्टूडेंट की बेंच पर बैठ उन्हें सुना। स्टूडेंट्स तो आज डबल टीचर के साथ थे। मनीष कहते हैं कि पहली बार ऐसा हुआ कि स्कूल में टीचर- स्टूडेंट्स साथ बैठे और सामने पीएम टीचर थे। हमारा ध्यान अपनी टीचर पर नहीं था बल्कि उस टीचर पर था जो पीएम है और जिसका आज क्लास था।

बात दिल में उतर गई

मोदी सर की बात सब के दिल में उतर गई। उनकी भाषा हिन्दी थी इसलिए ज्यादातर के समझ में आई। उनके उदाहरण भी आस पास से लिए गए थे। मनीष कहता है कि विदेशों के उदाहरण भी ऐसे थे जिससे काफी बातें सीखी जा सकती हैं। शरारतों का जिक्र करने के पहले और बाद उन्होंने हम सब से कहलवा लिया हम उसे नहीं करेंगे।

मोदी के आने से फर्क तो पड़ेगा ही

सुनीता कहती है कि मोदी जी की क्लास से स्टूडेंट्स ने भी सीखा और मैं उम्मीद करती हूं कि टीचर्स ने भी सीखा होगा। उन्होंने बातों ही बातों में कई बातें समझा दीं। उपदेश देते बाबा जैसे नहीं दिखे पीएम मोदी सर। मनोज कुमार का कहना है कि पीएम मोदी सर ने देश के स्टूडेंट्स और टीचर्स के लिए समय निकाला ये बड़ी बात है। ये हर टीचर्स डे के साथ-साथ बाल दिवस पर भी होना चाहिए। कम से कम साल में दो बार भ् सितंबर और क्ब् नवंबर को जरूर होना चाहिए। कुछ वैसे बच्चे भी मोदी सर को सुनने स्कूल पहुंचे जिनके घर टीवी नहीं। इन बच्चों ने स्कूल की खिड़की से पीएम मोदी सर को सुना।

Posted By: Inextlive