KAUSHAMBI: दोआबा के शिक्षक परिषदीय विद्यालय में लागू किए गए एमडीएम का विरोध कर रहे हैं। इसकी वजह से बुधवार को प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में अध्यनरत आधे-अधूरे बच्चों को नए मेन्यू के मुताबिक एमडीएम व दूध दिया गया। इसकी वजह से जनपद वासियों में शिक्षकों के प्रति खासा आक्रोश है।

दूध खोजने में परेशानी

सूबे की सरकार ने परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को बुधवार को कोफ्ता, चावल व दूध देने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी किया था। कुछ दिन तो शिक्षकों ने नए मेन्यू के चुताबिक बच्चों एमडीएम उपलब्ध कराया, लेकिन अब जूनियर शिक्षक संघ इसका विरोध कर रहा है। जूनियर शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अजय पांडेय ने पूर्व में बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से शासन संबोधित ज्ञापन सौंपकर अवगत भी कराया था कि दूध खोजने में काफी परेशानी होती है। इस लिए बुधवार को नए मेन्यू के मुताबिक बच्चों को एमडीएम नहीं दिया जाएगा। संघ के निर्देश के मुताबिक कई विद्यालयों में नए मेन्यू के मुताबिक एमडीएम नहीं दिया गया। हालांकि सिराथू बीआरसी क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय भड़ेसर में अध्ययनरत बच्चों को नए मेन्यू के अनुसार एमडीएम व दूध दिया गया।

कोफ्ता, चावल की जगह सब्जी-रोटी

सिराथू बीआरसी क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बलीपुर में बच्चों को मिलने वाले मध्याह्न भोजन में जिम्मेदारों द्वारा काफी हेराफेरी की जा रही है। इसकी शिकायत कई बार विभागीय अधिकारियों से ग्रामीणों ने की थी, लेकिन कोई भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। शासन द्वारा परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को किताबें, यूनिफार्म व निश्शुल्क शिक्षा के साथ-साथ दोपहर में खाने का प्रबंध किया गया है। प्रतिदिन मेन्यू केच्अनुसार बच्चों को खाना देने का प्रावधान है। अभी हाल ही में शासन द्वारा सप्ताह के बुधवार को 200 मिली दूध व कोफ्ता, चावल देने का निर्देश जारी किया गया है, लेकिन यह योजना जिले में परवान नहीं चढ़ रही है। जिम्मेदारों द्वारा मेन्यू के अनुसार खाना नहीं बनवाया जा रहा है। इसका उदाहरण सिराथू बीआरसी क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बलीपुर में देखा गया। इस विद्यालय में 86 बच्चे पंजीकृत हैं। बुधचर को बच्चों को कोफ्ता, चावल की जगह सब्जी व रोटी परोसी गई।

Posted By: Inextlive