- पशुओं के कंकाल पर रिसर्च के लिए बनाई गई हाईटेक लैब

- यहां से डिग्री लेकर देश-विदेश में स्टूडेंट्स पा सकेंगे जॉब

अंकित चौहान, बरेली : अब पशु चिकित्सा में फ्यूचर और भी ब्राइट होने जा रहा है। पशुओं की शारीरिक संरचना को समझकर स्टूडेंट्स अपने करियर को नई दिशा दे रहे हैं। पशु-पक्षियों के कंकाल पर रिसर्च करने के बाद उन्हें जॉब के कई अवसर मिलेंगे। आर्मी, बीएसएफ, मेडिसिन बनाने वाली कंपनियों और रिसर्च लेबोरेट्रीज में जाकर वे अपना भविष्य संवार सकते हैं। यूजी में कंकालों पर रिसर्च का यह कोर्स उनकी काफी मदद करेगा। डिग्री लेने के बाद उनके पास अब पहले से कहीं अधिक जॉब की संभावनाएं होंगी।

इससे बढ़ेगी जिज्ञासा

इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि आईवीआरआई में एक हाईटेक लैब तैयार की गई है। इसमें मृत जानवरों की हड्डियों को जोड़कर कंकाल के रूप में खड़ा किया गया है, ताकि स्टूडेंट्स के अंदर इनकी आकृति को देखकर ही इनके बारे में जानने की जिज्ञासा जागे।

2015 में शुरू हुआ कोर्स

वर्ष 2015 से पहले यहां सिर्फ पीएचडी और पीजी कोर्स ही थे। लेकिन वर्ष 2015 से यहां बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस यानि बीवीएससी कोर्स की शुरुआत की गई। इस कोर्स में एनॉटमी का अध्ययन करना अनिवार्य किया गया, जिस कारण यह लैब बनाई गई, इसमें पशुओं के कंकालों की संख्या को लगातार बढ़ाया जा रहा है।

दो साल में हाईटेक हुई लैब

वर्ष 2015 से अब लैब पूरी तरह से हाईटेक हो गई है। दो वषरें में पशुओं की इंडोस्कोपी, डिजिटल एक्स-रे, आईसीयू की भी सुविधा शुरू की गई है। वहीं, लैब में तमाम प्रकार के पशु और पक्षियों के कंकाल रखे हुए हैं। जिस पर स्टूडेंट्स सीनियर सांइटिस्ट के सुपरविजन में रिसर्च कर रहे हैं।

इन पर हो रही रिसर्च

फिलहाल, लैब में शेर, टाइगर, तेंदुआ, मोर, गिद्ध प्रजातियों के भी कंकाल रखे हैं। शेर और मगरमच्छ सबसे ज्यादा जिज्ञासा बढ़ाते हैं। दरअसल, इन लायन सफारी इटावा में एक शेर की मौत हो गई थी। यहां से इस शेर की डिमांड की गई। इसके बाद आईवीआरआई में इसकी हड्डियों को जोड़कर कंकाल खड़ा किया। इतना ही नहीं, मगरमच्छ का भी कंकाल बनाया गया है। कंकाल की यह दोनों आकृतियां ध्यान खींचती हैं।

बढ़ी स्टूडेंट्स की संख्या

कोर्स की शुरुआत होने पर एनॉटमी लैब इतनी हाईटेक नही थी यहां कंकालों की कमी थी, जिस कारण स्टूडेंट्स का रुझान भी इस ओर कम था लेकिन लैब में पशुओं के कंकाल के बढ़ने से पिछले सालों की तुलना में स्टूडेंट्स का रुझान भी इस ओर काफी बढ़ा है।

बीवीएससी कोर्स में एनॉटमी रिसर्च बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी शुरुआत 2015 से हुई। लेकिन लैब हाइटेक नहीं थी, पिछले सालों में हमने काफी बदलाव किए। इसके बाद स्टूडेंट्स ने भी रुचि ली। इस कोर्स का देश-विदेश में काफी स्कोप है। जॉब आसानी से स्टूडेंट्स को मिल जाती है।

डॉ। अमरपाल, हेड ऑफ सर्जरी, एंड एनॉटमी इंचार्ज, आईवीआरआई।

Posted By: Inextlive