आपने कई तरह की बीमारियों के बारे में सुना होगा लेकिन सृजनशीलता नाम की बीमारी के बारे में सुना है?

शोधकर्ताओं की मानें तो सृजनात्मकता अकसर मानसिक बीमारी का हिस्सा होती है और लेखक आमतौर पर इसका शिकार हो जाते हैं. ये शोध 10 लाख से ज़्यादा लोगों पर किया गया.
स्वीडन में कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि लेखकों में बाइपोलर डिसऑर्डर, स्किज़ोफ्रेनिया ( खंडित मनोस्थिति), अवसाद और मादक पदार्थों के सेवन की आशंका ज़्यादा रहती है.

आम लोगों की तुलना में ख़ुद को ही मार डालने की आशंका लेखकों में लगभग दोगुनी होती है. नृतकों और फोटोग्राफरों में भी बाइपोलर डिसऑर्डर होने की आशंका ज़्यादा रहती है.

सृजनात्मकता की निशानी

हालांकि जर्नल ऑफ साइकेट्रिक रिसर्च का कहना है कि सृजनशील प्रोफेशन में लगे लोगों में मनोविकृतियाँ होने की आशंका आम लोगों जैसी ही होती हैं लेकिन ऐसे लोगों के रिश्तेदारों में विकृतियाँ होने की आशंका ज़्यादा रहती है जैसे ऑटिज़्म, एनोरेक्सिया.

मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर साइमन कहते हैं कि ये तथ्य फायदेमंद हो सकते हैं. मिसाल के तौर पर बाइपोलर डिसऑर्डर वाले व्यक्ति का पागलों जैसा बर्ताव सृजनात्मकता के लिए ज़रूरी ज़मीन तैयार कर सकता है और स्किज़ोफ्रेनिया में आने वाले बेतरतीब ख्याल किसी मास्टरपीस के लिए मौलिक आधार दे सकते हैं.

डॉक्टर साइमन का कहना है कि अगर हम ये समझें कि किसी बीमारी से जुड़ा विशेष बर्ताव इस मरीज़ के लिए फायदेमंद है तो इससे इलाज में भी मदद मिल सकती है.

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी संस्था माइंड के बेथ मर्फी कहते हैं कि जो लोग सृजनशील कामों में होते हैं हो सकता है कि उनके लिए बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लक्ष्ण लाभदायक होते हैं. या ये भी हो सकता है कि बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों को ऐसे ही काम पसंद आते हों जिसमें सृजनशीलता की ज़रूरत होती है.

हालांकि उनका ये भी कहना है कि मानसिक बीमारी वाले लोगों को इसी आइने से नहीं देखना चाहिए क्योंकि अकसर दिखाया जाता है कि मानसिक बीमारी वाले लोग अपने क्रिएटिव हुनर से जूझते रहते हैं.

 

 

Posted By: Surabhi Yadav