सब्जी बेचती थी अब खोल लिया अस्पताल
बेहतर उपचार मिल सके:
आज 65 साल की हो चुकी सुभाषिनी को उस समय गहरा दुख हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने आप से प्रण किया कि वह अब किसी को भी उपचार के अभाव में न मरने देंगी। इसके लिए वह एक अस्पताल बनवाएंगी, जहां पर लोगों को कम पैसों में बेहतर उपचार मिल सके। जिसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू कर दी।
हॉस्पिटल का शिलान्यास:
इसके बाद 5 फरवरी 1995 को एक सुभाषिनी की मेहनत से ह्यूमेनिटी हॉस्पिटल का शिलान्यास हुआ। यहां पर पर छोटी-छोटी बीमारियों के लिए 10 रुपये और सर्जरी के लिए बस 5 हजार तक रुपये लिए जाते है। सबसे खास बात तो यह है कि आज सुभाषिनी का बेटा अजय डॉक्टर बन इस अस्पताल में चंदा देता है।