वेयर देयर इज ए विल देयर इज ए वे...यानी कि जहां चाह होती है वहां राह भी होती है। यह बात पश्चिम बंगाल में एक किसान महिला ने सच कर दिखाया। महिला ने सब्‍जी बेचकर जूते में पॉलिश करके एक अस्‍पताल बनवाया। आज यहां पर गरीबों का कम पैसों में बेहतर उपचार होता है।


बेहतर उपचार मिल सके:
आज 65 साल की हो चुकी सुभाषिनी को उस समय गहरा दुख हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने आप से प्रण किया कि वह अब किसी को भी उपचार के अभाव में न मरने देंगी। इसके लिए वह एक अस्पताल बनवाएंगी, जहां पर लोगों को कम पैसों में बेहतर उपचार मिल सके। जिसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू कर दी।

हॉस्पिटल का शिलान्यास:

इसके बाद 5 फरवरी 1995 को एक सुभाषिनी की मेहनत से ह्यूमेनिटी हॉस्पिटल का शिलान्यास हुआ। यहां पर पर छोटी-छोटी बीमारियों के लिए 10 रुपये और सर्जरी के लिए बस 5 हजार तक रुपये लिए जाते है। सबसे खास बात तो यह है कि आज सुभाषिनी का बेटा अजय डॉक्टर बन इस अस्पताल में चंदा देता है।

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Posted By: Shweta Mishra