फूड प्रोडक्ट्स में मिलावट है कि नहीं घर बैठे चुटकियों में फ्रूट ऐनलाइजर और मिल्क ऐनलाइजर डिवाइस ऐप से पता लगा सकते हैं।


features@inext।co।inKANPUR: अक्सर अपनी फैमिली को आपने खाने और पीने की चीजों में मिलावट को लेकर परेशान होते देखा होगा या फिर कई बार किसी फूड रिटेल शॉप वाले को उसके गोदाम में रखी खाने की चीजों के सड़ने पर इरीटेड होते देखा होगा। इस तरह की सभी प्रॉब्लम्स का सॉल्यूशन ढूंढ निकाला है। राजस्थान की एनआईआईटी यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र राहुल कुमार, वाष्र्णेय राज, अभिनंदन भार्गव और ऐलफॉन्स धास ऐंटनी ने अपने स्टार्टअप के जरिए।2018 में की थी शुरुआत उन्होंने मिलकर 2018 में दिल्ली से आरएवी टेकलैब्स की शुरुआत की। इन्होंने मिलकर एक फ्रूट ऐनलाइजर और मिल्क ऐनलाइजर डिवाइस ऐप को डेवलप किया। इन डिवाइसेस की हेल्प से ना सिर्फ घर में रखी खाने और पीने की चीजों को बल्कि कृषि उत्पादों की क्वालिटी को परखा जा सकेगा।ऐसे कनेक्ट किया ऐप से


डिवाइस से किए गए इन सभी टेस्ट्स के रिजल्ट्स को यूजर अपने स्मार्टफोन्स पर देख सकते हैं। ये वो स्मार्टफोन्स होंगे, जिनसे ये डिवाइसेज कनेक्ट होती हैं। इसके लिए यूजर को अपने फोन पर स्पेक्टर नाम का ऐप डाउनलोड करना होता है। इस ऐप को लेकर कंपनी के को-फाउंडर राहुल बताते हैं कि खाद्य सामग्री के हिसाब से ऐनलाइजर के इस्तेमाल की लागत 20 पैसे से 1 रुपए तक आती है। इसका यूज करने से डिवाइस से मिली सारी जानकारी आपके मोबाइल फोन पर नजर आ जाएगी। ऐसे काम करती है डिवाइसफूड ऐनलाइजर एक तरह की पोर्टेबल और हाथ में पकड़ी जा सकने वाली डिवाइस है। इसको किसी भी फल या सब्जी के पास में लाने पर उसके केमिकल कॉम्पोजीशन और उससे होने वाले नुकसान को भी मापा जा सकता है। इस डिवाइस की मदद से फ्रूट्स की न्यूट्रीशनल वैल्यू का भी पता लगाया जा सकता है। आरएएवी के को-फाउंडर वाष्र्णेय राज बताते हैं कि यह डिवाइस ये भी बताती है कि फल या सब्जी को कस्टमर्स तक पहुंचाने की लास्ट टाइम लिमिट क्या हो सकती है।डिवाइसेस के अलग-अलग कामआरएएवी टेकलैब्स के को-फाउंडर राहुल कुमार बताते हैं कि वे दो डिवाइस डेवलप कर चुके हैं, जो न्यूट्रीशन वैल्यू से रिलेटेड रियल टाइम डेटा प्रोवाइड कराते हैं। इसकी हेल्प से स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट और कटाई की प्रक्रियाओं को इस तरह से योजनाबद्ध किया जा सकता है कि फसल या खाद्य पदार्थों की भी बर्बादी न हो।ऐसा है फ्यूचर प्लान

दिल्ली के इस आरएएवी टेकलैब्स का लक्ष्य अपनी इस सप्लाई चेन की डिफरेंट एक्टीविटीज के अंतर्गत क्वालिटी एनालिसिस डिवाइसों का इस्तेमाल करते हुए फूड की वेस्टेज को रोकना है। ताकि फूड के क्वालिटी टाइम तक वह कस्टमर्स के पास पहुंच सके। ये डिवाइसेज फूड में केमिकल्स का पता लगाने के साथ ही साथ उसमें न्यूट्रीशन और अडल्ट्रेशन का पता भी लगा सकती हैं।Success Story: मेन्यू में किसी डिश का अजीब नाम सिर घुमा देता है, तो 'फीडोस' करेगा मददअब DL बनवाने के लिए पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं, सरकार करेगी मोटर वीहिकल एक्ट में बदलावऐसे अलग है औरों सेयूं तो कई ऐप ऐसे हैं जो फूड प्रोडक्ट्स की क्वालिटी बता सकते हैं, लेकिन टेकलैब्स का फूड एनालाइजर औरों से अलग इसलिए है, क्योंकि ये सिर्फ आपके सामने रखे फूड की क्वालिटी ही नहीं बताता, बल्कि उसमें न्यूट्रीशन के लेवल को भी बताता है। साथ ही साथ ये भी बताता है कि आपके स्टोर में रखा फूड कितने दिनों तक खाने लायक रहेगा।

Posted By: Vandana Sharma