DEHRADUN: सैटरडे को आईएमए की पासिंग आउट परेड के बाद ऑर्गनाइज हुई पिपिंग सेरेमनी के संपन्न होने के साथ ही म्क्म् जवान जेंटलमैन कैडट्स से ऑफिसर बन गए। पीओपी में जहां इन कैडेट्स ने ऑफिसर बनने की खुशी एक दूसरे से गले मिल और गीत गाकर मनाई। वहीं बेस्ट कैडेट्स के तौर पर मैडल पाने वाले कैडेट्स ने अपनी सक्सेस और प्रेरणा के पीछे की कहानी बयां की।

स्वॉर्ड ऑफ ऑनर पाने वाले ईशान सिंघल उत्तर प्रदेश के बरेली डिस्ट्रिक्ट के रामपुर गार्डन के रहने वाले हैं। सैनिक स्कूल से एजुकेशन के बाद एनडीए और उसके बाद आईएमए ज्वॉइन किया। उन्हें बुक रीडिंग और स्पो‌र्ट्स बेहद पसंद है। फादर ब्रिगेडियर अनूप सिंघल कोलकाता हेडक्वॉर्टर में तैनात हैं। अपने पिता और दादा एससी सिंघल से प्रेरणा मिली तो आर्मी ज्वॉइन कर देश सेवा करने निकल पड़े। अलग-अलग स्टेट व देशों के कैडेट्स से मिलकर उनके संस्कृति के बारे में जानने का मौका मिला। वह कहते हैं कि उनके मन में देश के प्रति जान बाजी पर लगा देने की भावना अब ओर भी प्रबल हो गई है।

-- ईशान सिंघल, स्वॉर्ड ऑफ ऑनर

पासिंग आउट परेड में गोल्ड मैडल पाने वाले अजय कुमार पाठक सेना में कमीशन मिलने पर अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता व स्कूल के टीचर्स को देते हैं। लखनऊ अमेठी के रहने वाले अजय कुमार के पिता सूबेदार संतोष कुमार भी आर्मी में सेवाएं दे चुके हैं। अजय कुमार ने बताया कि सेना आज भी यंगस्टर्स के लिए कॅरियर बनाने का अच्छा प्लेटफॉर्म है। उनके सामने कई उदाहरण इस बैच में भी थे जो कि कैडेट अपनी अच्छी खासी जॉब छोड़कर आर्मी में रुचि के चलते आएं। यहां न सिर्फ वह शारिरिक तौर पर मजबूत हुए हैं बल्कि मानसिक रूप से अब पहले से कई गुना बेहतर हो चुके हैं। क्ख् सालों के सपने और तपस्या के बाद मिला यह मुकाम उनके लिए काफी खास है। उन्होंने बताया कि कठिन लक्ष्यों को पाने की जिद ने उनके भीतर के डर को खत्म कर दिया है।

- अजय कुमार पाठक, गोल्ड मैडल

टेक्निकल सिल्वर मेडल इस बार उत्तराखंड के नाम रहा। मेडल पाने वाले देहरादून के अंशुमान सिंह बिष्ट को लगता है कि आर्मी ऑफिसर बनने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद हर इंसान की पर्सनेलिटी चेंज हो जाती है। उनकी भी फिजिकल कैपेसिटी बेहतर हुई है। सिटी के ग्राफिक एरा से बीटेक सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद देश सेवा के जज्बे ने उन्हें आईएमए के अंतिम पग तक ले आई। अंशुमान ने बताया कि परेड में शामिल होने से पहले उन्होंने कैडेट्स के साथ कई-कई घंटे परेड ग्राउंड में पसीना बहाया है। उन्होंने कहा आर्मी में जाना बचपन का सपना था जो अब पूरा हो गया है।

---अंशुमान सिंह बिष्ट, टीजी सिल्वर मेडल

इंडिया मेरे लिए दूसरे घर की तरह है। एनडीए ज्वॉइन करने के बाद से अब तक मुझे यहां से बहुत कुछ सीखने को मिला है। इंडियन मिलिट्री ट्रेनिंग विश्वभर में सबसे बेहतरीन प्रशिक्षणों में से एक है। आईएमए में पिछले एक साल में मुझे न सिर्फ फिजिकली बल्कि बाकी सभी आयामों पर भी मजबूत बनाया है।

--- अली शरीफ, सिल्वर मेडल, बेस्ट फोरन जेंटलमैन कैडेट, मालदीव

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नॉर्मल कैडेट कोट्स----

कानपुर के नमितेष दीक्षित पासिंग आउट परेड के बाद बेहद खुश नजर आए। उनकी इस खुशी को दोगुनी बनाने के लिए उनकी पूरी फैमिली भी इस यादगार लम्हों की गवाह बनी। नैनीताल के सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से स्कूलिंग के बाद एनडीए ज्वॉइन किया। जहां से ट्रेनिंग लेने के बाद आईएमए के लिए चुने गए। उन्होंने बताया कि एक साल पहले उनके बडें भाई ने आर्मी ज्वॉइन की। इसके बाद एक साल की तैयारी और मेहनत के बाद उन्होंने भी आर्मी का विकल्प चुना। पिता देवेंद्र दीक्षित उत्तर प्रदेश रेशम विभाग में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि दोनों बेटों को देश के लिए सेवा करने का मौका मिला है, यही उनके लिए किसी अवॉर्ड से कम नहीं हैं।

---- नमितेष दीक्षित, कानपुर

देश की सेवा करना पहला लक्ष्य है। नेपाल मूल से जरूर हूं, लेकिन पूरी फैमिली शुरू से ही भारत में रही है। फादर सोबित बहादुर रोका दिल्ली में टाटा मोटर्स में कार्यरत हैं। भारत में ही रहा हूं तो अब भारत के लिए सेवा करने का फैसला किया है।

--- भेष बहादुर रोका, जेंटलमैन कैडेट, नेपाल

साल ख्0क्क् में एआईईईई के जरिए आईआईटी चेन्नई में एडमिशन मिला। स्टेट की कैटेगरी मेरिट में क्क्वें नंबर रहा, लेकिन देश सेवा करने का जुनून कुछ ऐसा था कि वहां की जगह एनडीए को अपना लक्ष्य बनाया। जिसके बाद आज यह दिन आया है जब मैं देश की सवा करने में समर्थ हो सका हूं। फादर प्राइवेट जॉब करते हैं। इकोनॉमिकली फैमिली स्ट्रॉन्ग नहीं है। लेकिन पैसा ही सब कुछ नहीं होता। देश सेवा सर्वोपरी है।

--- राहुल शर्मा, त्यूनी, उत्तराखंड

आर्मी स्कूल सिकंदराबाद से स्कूलिंग की। इसके बाद एआईटी पूणे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। फैमिली में नाना, दादा और पिता सभी आर्मी में थे, तो आर्मी में जाने का इरादा शुरुआत से था। मैं खुश हूं कि फैमिली की परंपरा को आगे बढ़ा पाया हूं।

--- ईशान रावत, कोटद्वार, उत्तराखंड

बीटेक के बाद दुनिया भर में रास्ते खुले होते हैं, लेकिन मैं अपनी डिग्री को देश सेवा में लगाना चाहता हूं। इसी मकसद से कैंब्रियन हॉल से स्कूलिंग के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। उसके बाद एनडीए ज्वॉइन किया। जिसके बद आईएमए में चुना गया। मेरी प्रेरणा मेरे दादा और नाना है। वह दोनों आर्मी से रिटायर्ड हैं। बचपन से आर्मी के अनुशासन में पला तो आर्मी को ही अपना ड्रीम बना दिया।

---नवीन बहुगुणा, गोविंद गढ़, देहरादून

Posted By: Inextlive