-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों को तीन महीनों से नहीं मिल रही मेडिसिन

-डेली वापस लौटने पर पेरेंट्स का टूटा सब्र, बच्चों के साथ सीएमओ ऑफिस पर काटा हंगामा

बरेली: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। यहां तक की हॉस्पिटल प्रशासन को पेशेंट्स की जान की परवाह भी नहीं है तभी तो पिछले दो महीनों से थैलेसीमिया की मेडिसिन का स्टॉक खत्म होने पर भी उन्हें मंगाने की जरूरत नहीं समझी। जिसके चलते बच्चे डेली लौटते रहे लेकिन वेडनसडे को बच्चों के पेरेंट्स के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने सीएमओ ऑफिस के बाहर जमकर हंगामा काटा। जिसके बाद सीएमओ जाग गए। उन्होंने डॉक्टरों को फटकार लगाई। वहीं सीएमएस ने भी डॉक्टरों से दवा न मिलने के लिए स्पष्टीकरण मांगा है।

डेली लौटते रहे पेशेंट

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में थैलेसीमिया के डेली 10 से 15 पेशेंट आते हैं लेकिन उनको मेडिसिन नहीं दी जा रही थीं। वेडनसडे को सुबह 11 बजे करीब 20 बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ दवा लेने पहुंचे तो फिर दवा नहीं मिली जिस पर सभी ने सीएमओ ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करने लगे। सीएमओ के समझाने के बाद पेरेंट्स लिखित शिकायत देकर घर लौट गए।

कोई नहीं सुन रहा

सीएमओ से मुलाकात के दौरान बच्चों के पेरेंट्स ने बताया कि सर हम सब सुबह से इधर-उधर चक्कर काट रहे हैं। कई बार डॉक्टरों से रिक्वेस्ट की लेकिन इसके बाद भी न तो जांच की जा रही है और न ही दवा मिल रही है। हम डेली खाली हाथ लौट रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

शासनादेश भी ताक पर

शासनादेश के मुताबिक थैलेसीमिया के बच्चों को हर 15 दिन में ब्लड चढ़ाया जाता है। वहीं जरूरी दवाएं फौरन उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। लापरवाही के चलते बच्चों की जान भी जा सकती है इसके बाद भी बच्चों के इलाज से खिलवाड़ किया जा रहा है।

15 दिन में ब्लड जरूरी

शहर में थैलेसीमिया के बच्चों के इलाज के लिए सोसायटी चलाने वाली डॉ। जे सरदाना ने बताया कि उनकी सोसायटी से करीब 200 बच्चे जुड़े हुए हैं, ऐसे बच्चों को हर 15 दिन में ब्लड की आवश्यकता होती है। वहीं उनके शरीर में आयरन की अधिकता रोकने के लिए सिलेशन मेडिसन दी जाती है। जो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओर से दी जाती है लेकिन दो महीनों से दवाएं नहीं मिल रही हैं।

थैलीसिमीया के पेशेंट को प्राथमिकता से देखने का शासनादेश है। दवा का टेंडर भेजने में देरी हुई है। अफसरों को आदेशित कर दिया गया है। जल्द बच्चों को दवा उपलब्ध कराई जाएगी।

-डॉ। विनीत कुमार शुक्ला, सीएमओ

एनीमिया से पीडि़त मासूम की मौत

कैंट के बभिया के रहने वाले राजकुमार की नौ माह की बच्ची पारुल की ट्यूजडे को अचानक हालत बिगड़ गई थी जिस पर परिजनों ने उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया था। जहां जाच में पता चला कि उसे सीवियर एनीमिया, निमोनिया और पाइरेक्सिया है। बच्ची की हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उसे हायर सेंटर रेफर किया था, लेकिन परिजन उसे लेकर नहीं गए। जिससे रात करीब 10 बजे उसकी मौत हो गई।

सस्पेक्टेड टीबी के लक्षण

चंदन नगर के रहने वाले 12 साल के बच्चे को अचानक दौरे पड़ने लगे। जिस पर परिजनों ने उसे ट्यूजडे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया लेकिन उसे दौरे पड़ने बंद नहीं हुए जिस पर डॉक्टर करमेंद्र ने वेडनसडे को बच्चे की जांच की तो उसमें टीबी के लक्षण भी दिखाई दिए। डॉक्टर ने उसका सैंपल लेकर पीपीडी टेस्ट के लिए भेजा।

Posted By: Inextlive