-विष्णु भगवान पब्लिक स्कूल में स्टडी करता था प्रतीक

-कॉलेज से कंप्लेन मिलने के बाद पड़ी थी डांट

-हॉस्टल के रूम में फांसी पर लटका मिला, मैनेजमेंट भी सन्न

ALLAHABAD: इस मौत का जिम्मेदार कौन है? मनचाहा करने की जिद, परिवार वालों का पढ़ाई का प्रेशर या कुछ और? यह तो पुलिस की जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएगा। लेकिन, वह तो इन सवालों के साथ ही दुनिया छोड़ गया। अब परिवारवालों के पास रोने के अलावा कुछ नहीं है।

क्क्वीं का छात्र था प्रतीक

क्म् साल का प्रतीक फतेहपुर का रहने वाला था। उसके पिता पीके श्रीवास्तव ने इसी साल उसका एडमिशन धूमनगंज एरिया में स्थित विष्णु भगवान पब्लिक स्कूल में ग्यारहवीं क्लास में कराया था। प्रतीक स्कूल के हॉस्टल में रूम नंबर क्ख्0 में रहता था। उसके साथ उसका रूम पार्टनर हाई स्कूल का स्टूडेंट था। मैनेजमेंट मेम्बर्स से जो फैक्ट सामने आया उसके मुताबिक प्रतीक को पढ़ाई में कोई इंट्रेस्ट नहीं था। वह हॉस्टल में रहने के बाद भी क्लास अटेंड नहीं करता था। काफी कोशिश के बाद भी उसने क्लास बंक करना नहीं छोड़ा तो उसके परिवार को इसकी जानकारी दे दी गई।

चचेरा भाई आया था समझाने

फ्राइडे को भी प्रतीक क्लास अटेंड करने नहीं पहुंचा तो एक बार फिर प्रतीक के पेरेंट्स से शिकायत की गई। परिवारवालों ने प्रतीक को समझाने के लिए इलाहाबाद में रहने वाले उसके कजिन सर्वेश को भेजा था। दोहपर में सब कुछ सामान्य था। प्रतीक के रूम पार्टनर ने बताया कि उससे प्रतीक ने कहा कि उसे घर फोन से बात करनी है। आप बाहर जाओ। इस पर रूम पार्टनर बाहर निकल गया। कुछ देर बाद पता चला कि प्रतीक ने रूम के अंदर ही फांसी लगा ली है।

मैनेजमेंट पर लगाए आरोप

घटना के बाद हॉस्टल के सारे स्टूडेंट्स एक हो गए। उन्होंने कालेज मैनेजमेंट के खिलाफ ही बोलना शुरू कर दिया। लड़कों ने मीडिया को बताया कि प्रतीक फ्राइडे को स्कूल गया था। बावजूद इसके स्कूल की तरफ से स्कूल बंक करने की सूचना भेजी गई थी। इसी से वह नाराज था और प्रेशर में उसने सुसाइड कर लिया। देर शाम तक सैकड़ों स्टूडेंट्स विरोध जताते रहे। उन्हें मैनेजमेंट मेम्बर्स ने किसी तरह से समझा-बुझाकर शांत कराया।

स्कूल मैनेजमेंट ने बताया कि प्रतीक सिगरेट पीता था और क्लास भी अटेंड नहीं करता था। इसकी कंप्लेन उसके घर वालों को की गई थी। उसका कजिन भी उसे समझाने पहुंचा था। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।

-राम सूरत

धूमनगंज इंस्पेक्टर

स्टूडेंट फतेहपुर का था। हास्टल में रहने के बाद भी क्लास अटेंड नहीं करता था। फ्राइडे को उसके गार्जियन को बुलाया गया था। उनके सामने ही उसे समझाया गया। इसके बाद यह घटना घट गई। पता नहीं आजकल के बच्चों को क्या हो गया है? जरा सी बात पर इस तरह के कदम उठा रहे हैं।

केके तिवारी,

सचिव

Posted By: Inextlive