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-स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में खुलासा, सुसाइड पर अमादा हर 22वां इंसान

-जिले की तमाम ओपीडी में साल भर देखे गए मानसिक रोगी

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इन ग्रुप्स में यह रहीं वजहें

ग्रुप सुसाइड रीजन

टीनएजर्स एकेडमिक, मोबाइल, पोर्न

यंगस्टर्स लव ब्रेकअप, कॅरियर प्रेशर

मैच्योर ग्रुप एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स और घरेलू विवाद

ओल्ड एज अकेलापन

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मेंटल हेल्थ प्रोग्राम का ब्यौरा

21640 मरीज देखे गए 2018-19 में

16416 पाए गए कॉमन डिजीज के मरीज

5060 पाए गए सीवियर डिजीज के मरीज

1020 सुसाइडल टेंडेसी के पाए गए मरीज

vineet.tiwari@inext.co.in

PRAYAGRAJ: हमारे आसपास लोग मेंटल प्राब्लम से जूझ रहे हैं और हमें इसकी खबर तक नहीं है। सबसे अहम कि इसमें से हर 22 व्यक्ति सुसाइडल टेंडेंसी का शिकार है। वह किसी भी वक्त आत्महत्या कर सकता है। इस अनजान तथ्य से रूबरू करा रही है स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट। एनसीडी (नान कम्युनिकेबल डिजीज) सेल द्वारा पिछले एक साल में लगातार कई जगहों पर लगाए गए मेंटल हेल्थ कैंप में यह हकीकत सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग फिलहाल ऐसे पेशेंट्स को स्टेबलाइज करने में लग गया है।

हर किसी के पास सुसाइड की वजहें

एनसीडी सेल की ओर से सालभर शरणालय, जेल, स्कूल, काल्विन हॉस्पिटल, सीएचसी और मजारों में कैंप लगाए गए। इस दौरान 22 हजार के आसपास मेंटल डिसआर्डर के मरीजों की जांच की गई। इनमें एक हजार से अधिक ऐसे मरीज मिले जिनके मन में सुसाइडल टेंडेंसी पनप रही थी। यह कभी भी अपनी जीवनलीला समाप्त कर सकते थे। लेकिन घर, परिवार और दोस्तों की मदद से इनको क्लीनिक पहुंचा दिया गया। काउंसिलिंग के दौरान सभी के अलग-अलग कारण सामने आए।

खतरे की घंटी है एंजाइटी और डिप्रेशन

एंजाइटी और डिप्रेशन के मरीज सबसे ज्यादा मिले। इनमें सर्वाधिक युवाओं का एजग्रुप था। 20 से 35 साल के लोगों में किसी न किसी वजह से अंदर ही अंदर चिड़चिड़ापन पनपने के लक्षण मिले। कुछ मरीजों में यह इतने अधिक थे कि सीवियर कैटेगरी में पहुंच सकते थे। वहीं सीवियर मरीजों में सर्वाधिक उन्माद के लक्षण मिले। इनकी सोच में विध्वंसक आइडियाज की भरमार थी। वहीं सीजोफ्रेनिया जैसी घातक बीमारी के मरीजों की संख्या भी अधिक मिली।

स्कूल और मजारों पर भी चला अभियान

पिछले एक साल में स्कूलों में लगाए गए 6 कैंपों में 1800 बच्चों की जांच की गई। इनमें से अधिकतर बच्चों में अवसाद के शुरुआती लक्षण पाए गए। पढ़ाई में मन नहीं लगने और बार-बार पनिशमेंट मिलने से उनकी मेंटल हेल्थ डिस्टर्ब हो रही थी। उनकी कम्प्लेंट पर डॉक्टर्स ने पैरेंट्स की भी काउंसिलिंग की। बच्चों को मेंटल प्रॉब्लम से बचाने के लिए 200 स्कूलों में टीचर्स के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने के साथ बच्चों के लिए 20 अलग-अलग सेशंस भी चलाए गए।

इन लक्षणों से रहिए होशियार

-किसी व्यक्ति द्वारा बार-बार मरने की बात करना।

-एकांत में रहने का मन करना या बेवजह अपने में खोए रहना।

-दूसरे से बातचीत में लड़ाई-झगड़े के लक्षण प्रकट होना।

-हर बात का निगेटिव पहलू सोचना, पॉजिटिव नहीं होना।

-छोटी समस्या को बढ़ा चढ़ाकर बताने की कोशिश करना।

-समूह या किसी उत्सव से दूरी बनाकर चलना।

-वर्क प्लेस पर जरूरत से ज्यादा तनाव में रहना।

वर्जन

ओपीडी में आने वालों में इतनी अधिक संख्या में सुसाइडल टेंडेंसी के लोगों का मिलना चिंता का विषय है। भगवान का शुक्र है कि यह समय से आ गए। यह तय है कि लोगों का जीवन तनाव से भरा हुआ है। इसलिए एंग्जाइटी और डिप्रेशन से बचने के लिए खुद मैनेज करना जरूरी है।

-डॉ। राकेश पासवान, प्रभारी, मेंटल हेल्थ प्रोग्राम

हमारी ओर से साल भर ऐसे कार्यक्रम चलाए जाते हैं। स्कूलों से लेकर मजारों तक लोगों की जांच की जा रही है। अगर आपके आस-पास ऐसे गंभीर मनोरोगी नजर आते हैं तो उन्हें ओपीडी तक जरूर पहुंचाएं।

-डॉ। वीके मिश्रा, प्रभारी, एनसीडी सेल

Posted By: Inextlive