- आज है व‌र्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे

- स्टडी का दावा, एनसीआर में 85 परसेंट लोग अटेंशन न मिलने की वजह से करते हैं सुसाइड

- रिजल्ट, जॉब, लव अफेयर्स और रिलेशनशिप में परेशानी की वजह से यूथ कर रहे हैं सुसाइड

Meerut : आखिर क्यों और किन हालात में कोई व्यक्ति खुद अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला कर लेता है। उसके दिमाग में क्या ख्याल आते हैं। क्या इसे रोका जा सकता है? दुनिया भर में सुसाइड के केस बढ़ रहे हैं। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए इंग्लैंड के एक पादरी ने सुसाइड को रोकने के लिए जिस मुहिम की शुरुआत की, वह आज विश्व अभियान के रूप में भी अपना स्थान बना चुकी है। इंटरनेशनल एसोशिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन और व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने मिलकर दस सितंबर को व‌र्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे घोषित किया है।

सिटी में सुसाइड के केस

- 9 सितम्बर को शिवलोक कॉलोनी में बीएससी की एक छात्रा ने कमरे में फांसी लगाकर फंदे पर लटक गई थी। मामले में अभी फिलहाल पुलिस उसके सुसाइड का कारण तो साफ नहीं कर रही है।

- ख्0 अगस्त को कंकरखेड़ा की एक महिला ने घर की अनबन को लेकर ही सुसाइड कर लिया था।

- क् अगस्त को अपने प्रेमी द्वारा शादी के लिए न करने पर, गंगानगर की एक युवती ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था।

साल में फ्भ्0 से भी अधिक सुसाइड

अगर मेरठ पुलिस के आंकड़ों की बात करें तो पिछले एक साल में फ्भ्0 से भी ऊपर सुसाइड केस हुए हैं। इनमें म्0 परसेंट महिलाएं और फ्9 परसेंट हैं। अधिकतर केस गलत अटेंशन चलते, रिजल्ट या जॉब को लेकर ही आए हैं। इसके अलावा लव और रिलेशनशिप को लेकर भी सुसाइड केस सामने आए हैं।

कैसे मिलती है मदद

सुसाइडल टेंडेंसी से बचाने के लिए कई एनजीओ काम कर रहे हैं। दिल्ली के एनजीओ सुमैत्री के लोग फोन, ईमेल व पर्सनल विजिट के जरिए लोगों को मौत के रास्ते से जिंदगी की ओर पहुंचाने का काम करते हैं। मेरठ के एक एनजीओ के लिए काम करने वाली डॉ। आरती साहनी का कहना है कि लिसनिंग थेरेपी के जरिए ऐसे लोगों में सुसाइडल टेंडेंसी को रोका जा सकता है। सुमैत्री के लिए काम करने वाली नेहा चावला ने का कहना है कि हमारा असली काम परेशान व्यक्ति को ध्यान से सुनने का है। उनका दुख और तकलीफ साझा करने करने का है, जिससे उनके मन की सारे बात निकल जाए और वह हल्कापन महसूस कर सकें। ऐसे में परेशान व्यक्ति को अपनी समस्या का हल भी सूझने लगता है।

अहम है भरोसा

ऐसे लोगों के लिए काम करने में भरोसा और गोपनीयता की जरुरत होती है। इसमें कॉलर्स या विजिटर्स से उनकी पहचान नहीं पूछी जाती है। संजीवनी संस्था की सदस्य अनुष्का ने बताया कि पहचान बताने में कॉलर्स को दिक्कत होती है। ऐसे में सुसाइड करने वाला किसी अंजान व्यक्ति को बिना शर्मिदगी के अपनी बातें बता लेता है। साथ ही उसे अपनी निजी बाते सार्वजनिक होने का खतरा भी नहीं रहता है।

ऐसे देते हैं सिग्नल्स

सुसाइड करने वाला हर व्यक्ति ऐसा कदम उठाने से पहले अपने आसपास के लोगों को कई तरह के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संकेत देता है। थोड़ा सचेत रहकर इन संकेतों को पकड़ा जा सकता है और उसकी मन स्थिति का अंदाजा भी लगाया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक डॉ। विभा नागर के अनुसार कुछ इस तरह के सिग्नल हो सकते है।

- जिंदगी के प्रति अपनी अनिच्छा जताना, मरने की बात करना, अचानक बिना किसी कारण के अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण कामों को निपटाना।

- लोगों के बीच अचानक गुडबाय व अलविदा जैसे शब्दों का यूज करना या इसके मैसेज भेजना, इन्हें अपना स्टेटस बनाना।

- अपनी चीजों के प्रति विरक्ति का भाव दिखाना।

- अचानक कोई व्यक्ति बिना वजह अपने सबसे प्यारी चीज किसी को भी यूं ही दे दे।

- मनपसंद कामों और चीजों के प्रति भी अनिच्छा का भाव दिखाना, उनकी अनदेखी करना या उनसे लगाव कम होना।

तो ये है सुसाइड की वजह

- सुसाइड प्रिवेंशन के लिए काम कर रही संस्थाओं के मुताबिक सुसाइड की तमाम वजह हो सकती है। जिनमें सोशल, इकोनॉमिकल और मेडिकल प्रमुख हैं।

- सामाजिक कारणों में सबसे अहम चीज है रिलेशनशिप जिसमें अफेयर, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर व शादीशुदा जिंदगी से संबंधित वजहें होती हैं।

- परिवार, मित्रों और जान पहचान की वालों के साथ आने वाली दिक्कतों के चलते भी लोग यह कदम उठा लेते हैं।

- आर्थिक कारण में बिजनेस का डूबना, नौकरी छूटना, आय का साधन न होना या फिर कर्जे में डूबना।

- मेडिकल कारण में लाइलाज शारीरिक व मानसिक बीमारी हो जाना। गहरा डिपे्रशन होना, बुढ़ापा जैसी तमाम वजह हैं।

- इसके अलावा स्टूडेंट्स में उनका खराब रिजल्ट ही सुसाइड का मुख्य कारण होता है।

- दिल्ली एनसीआर के लोगों पर की गई स्टडी ने भी साबित किया है कि 8भ् परसेंट लोगों को अटेंशन न मिलने की वजह से ही सुसाइड करते हैं। इस रिपोर्ट में एनसीआर के लगभग तीन हजार अडल्ट व यूथ पर स्टडी हुई थी।

इंडिया में हैं चार हेल्पलाइन

ऐसे लोगों की हेल्प के लिए इंडिया में चार महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं, जो भारत में अपनी विभिन्न ब्रांचों के साथ मौजूद हैं।

क्- नई दिल्ली की सुमैत्री संस्था का हेल्पलाइन नंबर है 0क्क्- ख्ब्फ्क्888फ्, ख्म्8म्ब्ब्88.

ख्- द सैमेरिटंस जो मुंबई की संस्था है। इसका नंबर 0ख्ख्-फ्ख्ब्7फ्ख्म्7 है।

फ्- संजीवनी संस्था यह भी नई दिल्ली की संस्था है। इसके लिए 0क्क्-ख्ब्फ्क्888फ् नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।

ब्- आसरा मुंबई की संस्था है। इसके लिए 0ख्ख्- ख्7भ्ब्म्म्म्9 पर संपर्क किया जा सकता है।

जब कोई व्यक्ति अपनी समस्या मन में रखता है और किसी से शेयर नहीं करता तो वह अधिक परेशान हो जाता है। ऐसे में उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है। ऐसे में उसमें सुसाइडल टेंडेंसी आ जाती है। ऐसे में किसी करीबी व्यक्ति से या फिर किसी ऐसे से बात कर लेनी चाहिए जिसपर आपको विश्वास हो।

डॉ। पूनम देवदत्त, मनोवैज्ञानिक, मेडिकल

जब हद से ज्यादा तनाव की स्थिति आ जाती है, तभी व्यक्ति इस गलत रास्ते को अपनाता है। ऐसी स्थिति न आए इसलिए अपनी बातों को शेयर करने की आदत डालनी चाहिए। क्योंकि जबतक कोई परेशानी हम मन में रखते है तो वह डिपे्रशन का कारण भी बन सकती है।

डॉ। अनिता बजाज, मनोवैज्ञानिक

Posted By: Inextlive