RANCHI : गोस्सनर एवेंजलिकल लूथरन चर्च (जीइएल) के लिए सोमवार का दिन ऐतिहासिक रहा। चर्च की पहली महिला जेनरल सेक्रेटरी सुजया कुजूर ने अपना पद संभाला। उन्होंने एलियाजर टोपनो की जगह ली जो 31 अगस्त को इस पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पहली बार चर्च के जेनरल सेक्रेटरी के पद पर किसी महिला के आसीन होने से वीमेन इंपावरमेंट के साथ महिलाओं के अधिकार और सम्मान को नई पहचान मिली है। जीइएल चर्च में अब तक पुरुष ही यह पद संभालते रहे हैं। जीइएल चर्च असम- झारखंड प्रशासन ही देश के आधे से ज्यादा चर्चो की गवर्निग बॉडी है।

हर फील्ड में बढ़ेगी भागीदारी

जीइएल चर्च के जेनरल सेक्रेटरी का पद संभालने के बाद सुजया कुजूर ने कहा कि कलीसिया के सभी सहयोगियों के साथ मिलकर मिशन को आगे लेकर जाउंगी। अब बाद मेरे ऊपर महिलाओं को आगे ले जाने की जिम्मेवारी भी है। हर फील्ड में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी हो। वे हर क्षेत्र में सफलता के परचम लहराएं, इसके लिए काम करना है।

शिक्षा क्षेत्र में लगाएंगे मजबूती

सुजया कुजूर ने बताया कि जीइएल चर्च के द्वारा कई शिक्षण संस्थानों का संचालन किया जा रहा है। हमारा फोकस होगा की शिक्षण संस्थानों को और बेहतर किया जाए, समाज के लोग जब शिक्षित होते हैं तो वो अच्छा समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं।

नामकुम में है घर, रांची से हुई पढ़ाई

जीइएल की जेनरल सेक्रेटरी सुजया कुजूर नामकुम के खरसीदाग की रहने वाली हैं। बचपन मिशन कंपाउंड में नाना नानी के घर बिता। पिता सामुएल होरो हजारीबाग में कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट में असिस्टेंट कमिशनर थे। सुजया ने बेथेसदा स्कूल में उन्होंने आठवीं की पढ़ाई की। इसके बाद सेंट जेवियर्स कॉलेज से इंटरमिडिएट, रांची वीमेंस कॉलेज से बीएससी और एक्सआईएसएस से एमबीए किया। 1997 में एनपीसीआईएल में जॉब होने के बाद मुम्बई शिफ्ट कर गईं।

एनपीसीआईएल से हुईं रिटायर्ड

न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट में जेनरल मैनेजर के रूप में कार्यरत सुजया कुजूर 31 अगस्त को रिटायर हो चुकी हैं। वे कॉरपोरेशन के मुंबई स्थित कॉरपोरेट ऑफिस में जीएम, एचआर के पद पर कार्यरत थी। इसी 31 अगस्त को सेवा निवृत हुई हैं। इससे पहले वे वे सीसीएल रांची व एचइसी रांची में एचआर प्रोफेशनल के रूप में भी काम कर चुकी थीं।

कलीसिया से शुरू से रहा कनेक्शन

सुजया कुजूर बताती हैं- शुरू से ही अपनी कलिसिया के साथ जुड़ी रही। मेरे नाना जी भी जुड़े थे। मुम्बई ऑफिस में काम करने के दौरान साल में कम से कम दो बार रांची जरूर आती थी। यहां आकर कलिसिया के लिए जो काम दिया जाता था उसको करती थी। ऑफिस के सहकर्मियों को भी पता था कि साल में दो बार इनको रांची जाकर कलीसिया के लिए काम करती हैं।

Posted By: Inextlive