इलाहाबाद म्यूजियम में चल रही है ग्रीष्मकालीन कार्यशाला

ALLAHABAD: देश के चार नेशनल म्यूजियम में शुमार इलाहाबाद म्यूजियम का आकर्षण हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। यहां पिछले दस वर्षो से प्रत्येक वर्ष गर्मी की छुट्टियों में ऐसी कार्यशाला का आयोजन किया जाता है जिसका आधार छोटे-छोटे बच्चों के अलावा युवा होते हैं। इस बार भी म्यूजियम में एक महीने की ग्रीष्मकालीन कार्यशाला में बच्चों और युवाओं को शास्त्रीय नृत्य, शास्त्रीय गायन व चित्रकला की बारीकियां सिखाने का अवसर प्रदान किया गया है।

शास्त्रीय नृत्य में बालिकाओं की रूचि

कार्यशाला में शास्त्रीय नृत्य के अन्तर्गत दिव्य संगीत कला केन्द्र की अध्यक्ष मीनाक्षी तिवारी कथक की बारीकियों का प्रशिक्षण दे रही हैं। इसमें आठ से पंद्रह आयु वर्ष तक के कुल तीस बच्चे प्रशिक्षित हो रहे हैं। खास बात ये है कि इसमें बीस लड़कियां शामिल हैं जिन्होंने कथक सीखने में रुचि दिखाई। कार्यशाला से पहले सभी को म्यूजियम की वीथिका में स्थित खजुराहो की नायिकाओं कीविभिन्न मुद्राओं की तस्वीरों को दिखाया जाता है। इसके बाद एक घंटे तक बारीकियां सिखाई जाती हैं।

चित्रकला में सबसे ज्यादा होनहार

कार्यशाला में दूसरी विधा चित्रकारी का प्रशिक्षण कावेरी विज द्वारा दिया जा रहा है। इस विधा को सीखने के लिए म्यूजियम में सबसे ज्यादा 70 होनहारों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। इन्हें वाटर कलर के जरिए प्रख्यात कलाकार जेमिनी राय द्वारा बनाए गए तानसेन का चित्र, सिंहासन पर आसीन सुल्तान अकबर जैसी कलाकृतियां बनाने का तौर तरीका सिखाया जाता है। इसके अलावा नदी, पहाड़, पेड़-पौधे की कलाकृति बनाने की बारीकियां सिखाई जा रही हैं।

शास्त्रीय गायन में सिर्फ दस

कार्यशाला में शास्त्रीय गायन के जरिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संगीत विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। ज्योति मिश्रा बच्चों को शास्त्रीय गीतों के साथ ही चतुरंग, दादरा, ठुमरी व तराना जैसी राज घरानों की विधा में प्रशिक्षित कर रही हैं। लेकिन इस विधा में पारंगत होने के लिए सिर्फ दस बच्चों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। खास बात ये है कि प्रतिदिन बच्चों को सुर, लय व ताल में सामजंस्य कैसे बिठाया जाता है इसके बारे में बताया जाता है। इसकी प्रस्तुति बच्चों से कार्यशाला के समापन अवसर पर कराई जाएगी।

म्यूजियम में प्रत्येक वर्ष अलग-अलग विधाओं में बच्चों की पसंद के अनुसार उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। इस बार कथक नृत्य की दीवानगी देखने को मिली है। इसीलिए बच्चों को हमारी वीथिका में मौजूद क्लासिकल डांस की विभिन्न भाव भंगिमा के अनुसार बारीकियां सिखाई जा रही हैं।

डॉ। सुनील कुमार गुप्ता, निदेशक, इलाहाबाद म्यूजियम

Posted By: Inextlive