कांग्रेसी नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्‍कर मामले में दिल्‍ली पुलिस ने एक नया खुलासा किया है. दिल्‍ली पुलिस के अनुसार सुनंदा पुष्कर की मौत पोलोनियम नामक दुर्लभ जहर देकर की गई थी. इसके साथ ही इस मामले की जांच एसआईटी द्वारा की जाएगी. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर के प्रकार का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी हत्या रेडियोधर्मी पदार्थ पोलोनियम 210 देकर की गई.


अमेरिका जाएंगे विसरा के नमूनेदिल्ली पुलिस ने सुनंदा पुष्कर हत्या मामले में रहस्योद्घाटन करते हुए बताया है कि सुनंदा की हत्या पोलोनियम 210 नामक रेडियोएक्टिव जहर से हो सकती है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि कथित जहर के बारे में पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीक की जरूरत है जो देश में मौजूद नहीं है. ऐसे में दिल्ली पुलिस विसरा जांच के लिए नमूने यूके या यूएस भेजे जा सकते हैं. इसके साथ ही इस जहर को कई पदार्थों का मिश्रण बताया जा रहा है जिनमें पोलोनियम के अलावा थैलियम, सांप का जहर, फोटोलेबाइल जहर, हेरोइन और नीरियम ओलिएंडर शामिल हैं. गौरतलब है कि भारतीय प्रयोगशालाओं में इनकी पहचान संभव नहीं है. यासर अराफात भी मरे थे पोलोनियम से
इससे पहले फलस्तीनी नेता यासर अराफात और रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के पूर्व एजेंट अलेक्जेंडर लिटविनेंको की मौत में भी पोलोनियम का नाम सामने आया था. फलस्तीन के नेता यासर अराफात की वर्ष 2004 में फ्रांस के एक सैन्य अस्पताल में मृत्यु हुई थी. कयास लगाए जाते हैं कि उनकी मौत पोलोनियम जहर देने से हुई. उनके टूथब्रश, कपड़ों की जांच से इसके प्रमाण मिले थे लेकिन बालों के गिरने और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र के लक्षण नहीं मिले. इस कारण वैज्ञानिक उनकी मौत की गुत्थी के असल कारणों को अभी तक सुलझा नहीं पाए. इसके अलावा सोवियत संघ के दौर की खुफिया एजेंसी केजीबी के एजेंट अलेक्जेंडर लिटविनेंको की मौत भी इसी जहर से हुई थी. उल्लेखनीय है कि लिटविनेंको रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी थे और निर्वासन में लंदन में रह रहे थे. इसके बाद वर्ष 2006 में उनको एक होटल में चाय में पोलोनियम मिलाकर पिलाया गया था जिसके तीन हफ्तों बाद उनकी मौत हो गई. इसके साथ ही मैडम क्यूरी की बेटी आइरीन क्यूरी एक बार गलती से प्रयोगशाला में इस तत्व के संपर्क में आ गई थीं. इसके चलते उनको ल्यूकीमिया हो गया और बाद में मौत हो गई. इजरायल के एक लेखक माइकल कारपिन ने दावा किया था कि वर्ष 1957 में वहां के वीजमान इंस्टीट्यूट ऑफ सांइसेज की प्रयोगशाला में पोलोनियम लीक होने की वजह से कई वैज्ञानिक इसकी चपेट में आ गए थे. बाद में उनकी कैंसर से मृत्यु हो गई थी. हालांकि इजरायल ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया.आखिर क्या होता है पोलोनियम 210


पोलोनियम 210 एक दुर्लभ रेडियोएक्टिव तत्व है. इसे धीमे जहर के रूप में जाना जाता है. वर्ष 1898 में मैरी क्यूरी और उनके पति पियरे क्यूरी ने इसकी खोज की थी. अपने देश पोलैंड के नाम पर उन्होंने इस तत्व का नाम पोलोनियम रखा. गौरतलब है कि यह जहर यूरेनियम की रासायनिक प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होता है. हालांकि न्यूक्लियर रिएक्टर में इसको कृत्रिम रूप से भी बनाया जा सकता है. खाने में दिया जा सकता है जहरइस जहर को खाने-पाने में मिलाकर दिया जा सकता है. इसके साथ ही यह जहर प्रदूषित वायु या खुले जख्म के माध्यम से इस शरीर में प्रवेश करता है. एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके घातक प्रभावों को रोक पाना संभव नहीं है. इसके अल्फा विकिरण कण शरीर के अंगों, लिवर, किडनी, अस्थि मज्जा (बोन मैरो) पर घातक प्रभाव डालते हैं. इन अंगों के फेल हो जाने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. मितली, बालों का गिरना और गले में सूजन इसके प्रमुख लक्षण हैं.

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Posted By: Prabha Punj Mishra