आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाज़ी की जाँच करने वाले वाली समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत जस्टिस मुकुल मुद्गल ने बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को हटाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को बेहद संतुलित बताया है.


बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, ''कोर्ट का फ़ैसला बिलकुल सटीक है. इसमें क्रिकेट प्रशासन को सुधारने के अलावा क्रिकेटरों के हितों का भी ध्यान रखा गया है."उन्होंने सुनील गावस्कर को बीसीसीआई का अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने के बारे में कहा, "वह पढ़े लिखे, अनुभवी और क्रिकेट के जानकार हैं. उनके आने से भारतीय क्रिकेट का भला होगा और सुधार होगा. उनके पास पर्याप्त अनुभव है और वह इस काम के लिए सबसे उपयुक्त हैं.''कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि अदालत आईपीएल के सातवें संस्करण को रद्द करने का आदेश दे सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ.इसके बारे में जस्टिस मुद्गल ने कहा, "कुछ प्रशासकों और क्रिकेटरों की ग़लत हरकत की वजह से बेचारे सभी क्रिकेटरों को क्यों भुगतना पड़े. इसलिए क्रिकेट की बेहतरी के चलते ऐसा नहीं कहा गया."चुप बीसीसीआई


सुनील गावस्कर को बीसीसीआई का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया.इस मामले में हमने जब बीसीसीआई के पदाधिकारियों रत्नाकर शेट्टी और जगमोहन डालमिया से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने साफ़ तौर पर हमसे बात करने से इनकार कर दिया.

आईपीएल-6 में सट्टेबाज़ी के आरोपों से घिरे श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मेयप्पन और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ जांच चल रही है. कोर्ट ने कहा था कि मामले की निष्पक्ष जाँच के लिए श्रीनिवासन को बीसीसीआई अध्यक्ष का पद छोड़ देना चाहिए.सुप्रीम कोर्ट ने फ़िक्सिंग की जांच के लिए जस्टिस मुद्गल के नेतृत्व में एक जांच कमेटी गठित की थी. मुद्गल कमेटी ने फ़रवरी के अंतिम सप्ताह में अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी.क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा इस मामले में याचिकाकर्ता हैं.आदित्य वर्मा ने कहा, ''श्रीनिवासन को तब तक के लिए हटाया गया है जब तक जांच चलेगी. यह फैसला केवल अंतरिम है और बोर्ड के बाकी कामकाज को उपाध्यक्ष शिवलाल यादव संभालेंगे. '''नहीं चलेगी बीसीसीआई की दादागीरी'पूर्व भारतीय क्रिकेटर मदन लाल ने भी फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा, "बेहद नपा-तुला फ़ैसला है. इससे क्रिकेट का फ़ायदा होगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को बता दिया है कि अगर आप अपनी ही दादागीरी चलाना चाहेंगे तो अब ऐसा नहीं होने वाला."मदन लाल के मुताबिक़ इस सारे घटनाक्रम से बीसीसीआई की छवि धूमिल हुई है लेकिन अदालत के सख़्त रवैये के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि क्रिकेट प्रशासन में अब पारदर्शिता आएगी.

क्रिकेट विशेषज्ञ अयाज़ मेमन ने कहा कि इस सारे वाकये से श्रीनिवासन एक ज़िद्दी शख़्स के तौर पर सामने आए और उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी कुर्सी छोड़ी.लेकिन सुनील गावस्कर भी पूर्व में बीसीसीआई से जुड़े रहे हैं और उसके कमेंट्री पैनल में भी रहे हैं. ऐसे में उनके आने से बीसीसीआई के काम करने के तरीक़े में पूर्ण सुधार की गारंटी कैसे आ सकती है.इस पर अयाज़ मेमन ने कहा, "देखिए गावस्कर अंतरिम अध्यक्ष होंगे. उनके पास ज़्यादा अधिकार नहीं होंगे. लेकिन अगला आदेश आने तक किसी को तो बोर्ड को चलाना ही पड़ेगा. इसलिए गावस्कर को ये ज़िम्मेदारी दी गई. हां उन पर सवाल ज़रूर लोगों ने उठाए कि उनको बीसीसीआई से पैसा मिलता रहा तो उनसे पूरी पारदर्शिता की उम्मीद कैसे की जा सकती है."अदालत का फ़ैसलागुरुवार को ही सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 16 अप्रैल तय की थी.बीसीसीआई अधिवक्ता आर्यम सुंदरम ने कहा कि धोनी को बेवजह इस मामले में घसीटा गया है और यह दुखद है.उन्होंने कहा, ''श्रीनिवासन नीतिगत मामलों से अलग रहेंगे इस पर बोर्ड सहमत है.''इसका मतलब यह है कि बीसीसीआई और आईसीसी की बैठकों में श्रीनिवासन भाग नहीं ले पाएंगे.
सुंदरम ने कहा, ''बोर्ड के कामकाज से अलग रहने का प्रस्ताव श्रीनिवासन ने खुद अपने वकीलों के मार्फत कोर्ट में दिया था. बीसीसीआई ने भी यही विकल्प कोर्ट में प्रस्तुत किया था.''

Posted By: Subhesh Sharma