क्या कहते हैं सनी देओल राजनीति और टेलीविज़न की दुनिया में कदम रखने के बारे में? पढ़िए इस रिपोर्ट में.

पूरे देश में इस वक़्त चुनावों की हलचल है और जो फ़िल्में इस दौरान रिलीज़ हो रहीं हैं, उनके प्रमोशन के वक़्त भी फ़िल्म कलाकार चुनावों को लेकर अपनी राय दे रहे हैं.
मुंबई में बीबीसी की बात हुई अभिनेता सनी देओल से फ़िल्म 'ढिशक्यांऊं' के प्रमोशन के वक़्त, जहां उन्होंने बताया अपने सपनों के भारत के बारे में, सत्यमेव जयते के बारे में और अपनी आने वाली फ़िल्मों के बारे में.
‘पहले हमें बदलना होगा’
फ़िल्म 'ढिशक्यांऊं' में 'लकवा' का किरदार निभाने वाले सनी देओल से जब पूछा गया कि वो आने वाले चुनाव के बाद देश में क्या-क्या बदलाव देखना चाहेंगे?

इस पर सनी बोले "बदलाव पहले हम सबको अपने अंदर लाना होगा. हमें हर चीज़ सही ढंग से करने की ज़रूरत है. अगर हम कोई काम करने जा रहे हैं और वह काम नहीं हो पा रहा है, तो हमें उसके लिए रिश्वत नहीं देनी चाहिए."वो कहते हैं, "अगर किसी लाइन में आप लगे हों तो उस लाइन को न तोड़ें और इधर-उधर कचरा न फेंके. अगर हम यह सब करें और किसी की बुराई न करें तो देश में अपने आप ही बदलाव आ जाएगा."पर क्या सनी देओल का फिल्मों से राजनीति में आने का कोई मन है? इस पर सनी ने साफ़ किया "मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता क्योंकि कल क्या होगा, कोई नहीं जानता. हाँ, मैं इतना ज़रूर कह सकता हूं कि मैं उस ढंग का आदमी नहीं हूं और मैं राजनीति के लिए नहीं बना हूं."
‘सत्यमेव जयते नहीं देखा’
आजकल कई अभिनेता फ़िल्मों के साथ टेलीविज़न में भी अपनी कलाकारी दिखा रहे हैं. आमिर ख़ान, सलमान ख़ान और अमिताभ बच्चन पहले से ही टेलीविज़न में काम कर रहे हैं. तो क्या सनी देओल भी टेलीविज़न में काम करना चाहेंगे?
 सनी बोले "अगर टेलीविज़न में मुझे कुछ ऐसा शो मिले, जिसमें एक अच्छी कहानी हो और उसके पात्र अच्छे हों तो मैं उस कार्यक्रम को ज़रूर करना चाहूंगा." जब उनसे पूछा गया कि वह 'सत्यमेव जयते' जैसे किसी प्रोग्राम का हिस्सा बनना चाहेंगे, जहां सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाती है?सनी बोले “देखिए मैंने यह शो देखा नहीं है पर जैसा मैंने कहा कि अगर किसी शो में अच्छी कहानी होगी, तो मैं उसे ज़रूर करना चाहूंगा.”

'पब्लिसिटी से ही नहीं चलती फ़िल्में'
आजकल जितनी ज़रूरी फ़िल्म की कहानी होती है उससे कहीं ज़्यादा ज़रूरी फ़िल्म का प्रमोशन होता है. पर सनी देओल की सोच इससे बिल्कुल उलट है. वो कहते हैं "देखिये पब्लिसिटी से ही फ़िल्में नहीं चलती. पब्लिसिटी आपको बस जागरूकता फैलाने के लिए करनी चाहिए. उसके बाद ही लोगों को आपके फ़िल्म के ट्रेलर अच्छे लगेंगे, आपकी फ़िल्म का लुक अच्छा लगेगा तो वो देखने आएंगे. अब जनता का उस वक़्त क्या खाने का मन है, वो आपको पता नहीं!” वह कहते हैं "आज जनता हेल्थ फ़ूड खाएगी, कल चायनीज़ खाएगी, कुछ पता नहीं. तो हमें सिर्फ़ उतनी ही पब्लिसिटी करनी चाहिए जिससे लोगों के बीच जागरूकता फैले."

Posted By: Chandramohan Mishra