ट्रेन और बस के ड्राइवर भी हैं माफिया के नेटवर्क का हिस्सा

पुलिस से बचाने के लिए बैट्री और पेंट में छिपाकर भेजते हैं गांजा

Meerut । सब्जी, मसालों और चाय पत्ती के ट्रकों में गांजे की खेप मेरठ पहुंचती है। माफिया नेटवर्क के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि इसे छिपाने के लिए वार्निश के डिब्बों, इनवर्टर बैटरी का भी इस्तेमाल किया जाता है। यही नहीं बस और ट्रेन के ड्राइवर्स गांजा माफिया के लिए कुरियर का काम करते हैं। अपने गुर्गो और वीआईपी गाडि़यों से तस्लीम (बरेली और मेरठ सेंटर का हेड) गांजे की खेप को ठिकाने लगाता है। मेरठ भूसामंडी गांजे का कारोबार कर चुके एक व्यक्ति ने बताया कि मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और उड़ीसा से गांजे की खेप धड़ल्ले से मेरठ पहुंचती है।

ऐसे लगाते हैं ठिकाने

अगली खेप आने पर पहली खेप का करीब एक तिहाई हिस्सा मेरठ और बरेली में छोटे-छोटे सेंटर्स पर छोड़कर बाकी माल को मुरादाबाद, रामपुर, गढ़, बागपत, बड़ौत, शामली, मोदीनगर, गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली पहुंचा दिया जाता है। हाजी भाई के मुताबिक उसने लंबे समय तस्लीम के साथ काम किया है लेकिन उसके नेटवर्क और सेंटर्स की जानकारी उसके अलावा किसी को नहीं होती।

पकड़ी जाती है मामलू

मेरठ पुलिस के मुताबिक तस्लीम का नेटवर्क यूपी के कई जिलों में फैला है। वह गांजे की सप्लाई के लिए चोरी की वीआईपी गाडि़यों जैसे टाट सफारी, फा‌र्च्यूनर और ईको स्पो‌र्ट्स का इस्तेमाल करता है। साथ ही छोटा हाथी और डीसीएम में भी वह गांजे की खेप मंगाता है और ज्यादातर ये खेप पुलिस द्वारा पकड़ ली जाती है। दूसरे राज्यों से गांजा तस्करी करने वाले तस्लीम के बरेली और मेरठ के ऑर्डर को उसी के कहे अनुसार यहां भेजते हैं।

गुर्गे करते हैं सप्लाई

बरेली और मेरठ पहुंची गांजे की कुल 7800 किलो खेप में से करीब 1600 किलो को मेरठ शहर के अलग-अलग सेंटर्स और बरेली की खेप में से करीब 1000 किलो को वहां के अलग-अलग सेंटर्स पर गुर्गो के पास छुट्टे (पुडि़या) में बेचने के लिए भेज दिया जाता है। इन गुप्त सेंटर्स से गांजे को पुडि़या में पैक कर स्कूल, कॉलेज, हुक्का बार, कैफे, भांग के ठेकों आदि पर भेज दिया जाता है। इसके अलावा बरेली और मेरठ से बचे गांजे की 4200 किलो की खेप को अलग जिलों में डिमांड के हिसाब से सप्लाई कर दिया जाता है।

नहीं करती पुलिस मॉनिटरिंग

एसएसपी ने कुछ दिन पहले नियम बनाया था, जो भी बदमाश या फिर चरस-गांजा के तस्कर जेल से छूटकर आ रहे हैं उनकी जमानत होने के बाद लगातार मॉनिटरिंग की जाए। उनका रजिस्टर भी थाने में मेनटेन करते हुए हर माह उनकी हाजिरी लगवाई जाए। मगर ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।

पहले भी पकड़ा जा चुका है गांजा

13 नवंबर 2019 को नौचंदी पुलिस ने गांजे की बड़ी खेप पकड़ी हैं, जो ओडि़सा से आगरा के रास्ते ट्रक में मेरठ लाई जा रही थी। पुलिस ने तीन को गिरफ्तार कर लिया है।

12 नवंबर 2019 को सदर बाजार पुलिस ने बीएसएफ जवान के बेटे को चरस की खरीदारी करते रंगेहाथ पकड़ लिया। वह और उसका एक साथी मछेरान में रहने वाले सौदागर तस्लीम से चरस की खरीदारी करने आए थे।

5 अक्टूबर 2019 को कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के श्रद्धापुरी सेक्टर-4 में शुक्रवार को केंद्रीय जीएसटी की टीम ने छापामारी कर एक मकान से भांग, गांजा समेत करीब 5 किलोग्राम नशीले पदार्थ बरामद किया था।

14 जुलाई 2019 को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सरूरपुर के भूनी चौराहे से दो तस्करों को 235 किलो गांजा के साथ गिरफ्तार किया। गांजे की खेप पश्चिम उप्र कई जनपदों में खपाने के लिए उड़ीसा से ट्रक में लाई गई थी।

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गांजा सप्लाई करने वालो के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। सभी थानों की पुलिस को निर्देश दिया गया है कि नशे का अवैध धंधा करने वालो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

अखिलेश नारायण सिंह, एसपी सिटी

शिकंजा कसने की तैयारी

गांजा बेचने वालों की खबर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में एसएसपी ने एसपी सिटी से कार्रवाई करने के दिशा-निर्देश दिए हैं। एसपी सिटी ने शहर के सभी थानेदारों और सीओ को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए कहा है। निर्देशित किया गया है कि जो भी क्षेत्र में गांजा बेच रहा है उसको चिह्नित कर सख्त कार्रवाई की जाए।

कसा जाएगा शिकंजा

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सड़कों पर खुलेआम हो रही सूखे नशे की सप्लाई को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। एसएसपी अजय साहनी और एसपी सिटी ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करने की बात कही है। एसपी सिटी ने सभी को चिह्नित कर कार्रवाई करने की बात कही है। इसके लिए थानेदारों को गोपनीय टीम बनाकर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, ताकि आरोपियों पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके।

Posted By: Inextlive