- मध्यप्रदेश और झारखंड में भी जमा रहा था पैर

- जयगुरुदेव बाबा के नाम पर वसूल करता था चंदा

मथुरा: जवाहरबाग में रामवृक्ष यादव के एजेंडे के साथ-साथ राकेश गुप्ता अपने मिशन को भी पूरा करने की कोशिश कर रहा था। उसने पूर्वाचंल के कई जिलों में अपनी तगड़ी घुसपैठ बना ली थी। मध्यप्रदेश और झारखंड में भी धीरे-धीरे अपने पैर जमा रहा था। मजदूर वर्ग के लोगों को गुमराह करके आश्रम के लिए भी चंदा एकत्र करता था।

जवाहर बाग के कब्जेधारियों में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन का सचिव राकेश गुप्ता केवल रामवृक्ष के एजेंडे पर ही काम नहीं कर रहा था, बल्कि उसका भी अपना एक मिशन था। अपने मिशन को पूरा करने के लिए ही राकेश ने रामवृक्ष यादव से संगठन की गतिविधियों के अपनी करोड़ों की संपत्ति बेचकर देने का भी ऐलान कर दिया था। ये ऐलान उसने रामवृक्ष यादव का विश्वास जीतने के लिए किया था। उसके रामवृक्ष के इशारे पर कट मरने के लिए तैयार रहने वाले लोग आसानी से मिल रहे थे। बदायूं से निकल कर यहां तक पहुंचे राकेश गुप्ता ने पूर्वाचंल में अपनी तगड़ी घुसपैठ बना ली थी।

फसल कटाई के समय और मुख्य पर्वों पर रामवृक्ष के विश्वासपात्र लोगों को लेकर कई बार लखमीपुर खीरी, रामपुर, पीलीभीत, गाजीपुर, गोरखपुर, देवरिया, सीतापुर, हरदोई, झांसी, बुलदंशहर, बरेली, आजमगढ़ यात्रा पर गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, राकेश इन जिलों के अलावा मध्यप्रदेश और झारखंड में भी गया था। इन जिलों में राकेश गुप्ता ने मजदूर वर्ग में अपनी घुसपैठ बनाई और लोगों को उनकी समस्याओं को दूर कराने की बात कहकर उनका विश्वासजीत लेता था और फिर जवाहर बाग में ही बाबा जयगुरुदेव का भव्य आश्रम बनाए जाने के लोगों से चंदा एकत्र करता था। अनाज के साथ-साथ नकदी भी लेता था। चंदे का कुछ हिस्सा राकेश गुप्ता जवाहर बाग में खर्च कर रहा था और कुछ को अपने मिशन के लिए जमा कर रहा था।

सिद्धार्थ नगर निवासी शिव पूजन ने राकेश गुप्ता के कहने पर ही चीनी, दाल और आटा सस्ती दर पर मथुरा जवाहर बाग के लिए भेजा था। इसकी बिक्री राकेश गुप्ता के कहने पर रामवृक्ष यादव ने आम लोगों के लिए कराने को जवाहर बाग में दुकानें भी खोली थी। सूत्रों के अनुसार, जवाहर बाग में बेची गई खाद्य सामग्री भी राकेश गुप्ता ने विभिन्न जिलों से एकत्र करके शिवपूजन के उपलब्ध कराई थी। शिवपूजन ने इसको सस्ती दर पर रामवृक्ष के लिए बेचा था। रामवृक्ष ने इसका जो भुगतान किया, उससे में राकेश गुप्ता की भी हिस्सेदारी थी। पर इस खेल को राकेश गुप्ता ने बड़ी होशियारी से खेला था। राकेश गुप्ता ने ही रामवृक्ष के लिए लक्जरी गाड़ी दी थी। वह रामवृक्ष के साथ रहकर दोनों हाथों से खुलकर मजदूर वर्ग से अपनी जेब भरने के लिए धनराशि लूट रहा था। क्योंकि रामवृक्ष जवाहर बाग को छोड़कर बाहर नहीं जाता था, जबकि वह उसके आदमियों को अपने विश्वास में लेकर यह सब कुछ कर रहा था।

Posted By: Inextlive