- बालू के उत्खनन, भंडारण व परिवहन पर लगी रोक का मामला

- खान मंत्री ने कहा : बालू घाटों के मजदूरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति

PATNA(20Feb): कोलकाता स्थित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा बिहार में बालू के उत्खनन, भंडारण और परिवहन पर लगाई गई रोक का असर राज्य भर के निर्माण कार्यों पर दिखने लगा है। खान एवं भूतत्व मंत्री मुनेश्वर चौधरी ने स्वीकार किया कि इससे पूरे राज्य में हाहाकार की स्थिति है। इस प्रतिबंध का प्रभाव निर्माण कार्यों पर तो पड़ा ही है, साथ ही बालू घाटों पर काम करने वाले मजदूरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति आ गई है। इसके अलावा सरकार को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। शनिवार को मंत्री ने कहा कि हमारा विभाग एनजीटी के इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के लिए कानूनी जानकारों से सलाह ले रहा है। अगले सप्ताह इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर कर दी जाएगी।

नहीं मिला एनओसी

इस मामले में केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने पिछले नौ महीने में क्क् बालू घाटों की बंदोबस्ती की है। इन सभी बंदोबस्तधारियों ने बिहार सरकार के साथ करार करने के बाद बालू उत्खनन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति हासिल करने के लिए केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से एनओसी प्राप्त करने का आवेदन दे रखा है। महीनों बीत जाने के बाद भी मंत्रालय ने इन्हें एनओसी नहीं दिया है, जबकि प्रावधान 90 दिनों के अंदर एनओसी देने का है। मंत्री ने कहा कि अब हमारे पास सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाने के सिवा और कोई विकल्प नहीं हैं।

Posted By: Inextlive