सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना को अपनाने की दिशा में विचार करने काे कहा है। केंद्र सरकार की यह योजना इस साल जून में शुरू होने वाली है। जानें क्या है ये पूरा मामला...

नई दिल्ली (पीटीआई)। कोराेना वायरस संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना को लागू करने पर विचार करने का निर्देश दिया है। जस्टिस एनवी रमना, संजय किशन कौल और बीआर गवई की पीठ ने सोमवार को दिए एक आदेश में कहा हम भारत संघ को यह विचार करने के लिए निर्देशित करते हैं कि क्या इस चरण में उक्त योजना को लागू करना उचित है या नहीं। वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में निर्णय पर विचार किया जाना चाहिए।

लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सके

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही वकील रीपक कंसल द्वारा दायर एक याचिका का निस्तारण किया। कंसल ने इस देशव्यापी हड़ताल के कारण विभिन्न स्थानों में फंसे प्रवासी श्रमिकों, लाभार्थियों और अन्य राज्यों के नागरिकों के लाभ के लिए 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना शुरू करने की मांग की थी। जिससे कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सके।

वन नेशन, वन राशन कार्ड जून 2020 से शुरू होनी

वन नेशन, वन राशन कार्ड मोदी सरकार की योजना है और यह जून 2020 से शुरू होने वाली है। इसके तहत देश में कहीं से भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से राशन लिया जा सकेगा। याचिका में याचिकाकर्ता ने महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों, लाभार्थियों, राज्यों के निवासियों व पर्यटकों के हितों की रक्षा और उन्हें रियायती खाद्यान्न और सरकारी योजना के लाभ उपलब्ध दिलाने के लिए अस्थाई रूप से एक राष्ट्र एक राशन कार्ड अपनाने के लिए कोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।

पहचान पत्र की वजह से भूखा न रखा जाए

वकील रीपक कंसल ने कहा कि किराए के परिसर में या ट्रांजिट शिविरों में रहने वालों को स्थानीय पहचान पत्र या किसी पहचान पत्र की वजह से भूखा न रखा जाए। कंसल ने दावा किया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने संबंधित नागरिकों और मतदाताओं को प्राथमिकता दे रहे हैं और प्रवासियों मजदूरों या अन्य राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के नागरिकों को रियायती जैसे स्थानीय पहचान प्रमाण के अभाव में सब्सिडी वाले अनाज / खाद्य / आश्रय / चिकित्सा सुविधाओं के लाभ से वंचित कर रहे हैं।

Posted By: Shweta Mishra