न खुदा ही मिला न विसाले सनम, न इधर के रहे न..
-बागियों को न हाईकोर्ट से मिली राहत, न सुप्रीम कोर्ट से
-आज फ्लोर टेस्ट में वोटिंग नहीं कर पाएंगे 9 बागी विधायक DELHI/ DEHRADUN: बागी विधायक जहां से चले थे वहीं आ पहुंचे। उनको न तो हाईकोर्ट से कोई राहत मिली और न ही सुप्रीम कोर्ट से। आज होने वाले फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस के 9 बागी विधायक वोट नहीं कर पाएंगे। हाईकोर्ट की एकल बेंच ने सोमवार को अपने फैसले में कहा कि स्पीकर ने उनकी सदस्यता रद की थी उसे रद ही माना जाएगा, क्योंकि स्पीकर ने संवैधानिक न्याय किया था और उस पर कोई पुनर्विचार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की ली थी शरणहाईकोर्ट की एकल पीठ से अपने खिलाफ फैसला आने के बाद बागी विधायक सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्होंने अदालत से अंतरिम राहत की मांग करते हुए फ्लोर टेस्ट में वोटिंग का अधिकार मांगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली। अदालत ने उनकी याचिका तो स्वीकार कर ली लेकिन सुनवाई के लिए क्ख् जुलाई की तारीख मुकर्रर कर दी।
न घर के रहे, न उनके हुएपूरे सियासी खेल में अगर किसी ने कुछ खोया तो वो हैं 9 बागी। ये 9 विधायक न तो कांग्रेस के ही रहे और न बीजेपी के हो पाए। इन्हें उम्मीद थी कि बगावत करने के बाद या तो पार्टी हाईकमान इनके सामने झुक जाएगा या फिर बीजेपी इन्हें हाथोंहाथ ले लेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब ये बागी अगले चुनाव में अपना वर्चस्व बचाने की चिंता में डूबे हैं।
वर्जन मैंने संवैधानिक रूप से सही फैसला दिया था। फैसला नियम और कानून के तहत ही दिया गया था। 9 विधायकों ने बगावत की थी और उनकी सदस्यता नियम कानून के तहत ही समाप्त की गई। गोविंद सिंह कुंजवाल, स्पीकर, विधानसभा बॉक्स यह हैं वह 9 विधायक अमृता रावत (रामनगर) हरक सिंह रावत (रुद्रप्रयाग) प्रदीप बत्रा (रुड़की) कुंवर प्रणब चैंपियन (खानपुर) शैला रानी रावत (केदारनाथ) शैलेंद्र मोहन सिंघल (जसपुर) सुबोध उनियाल (नरेंद्र नगर) उमेश शर्मा काउ (रायपुर) विजय बहुगुणा (सितारगंज) प्वाइंटर कब क्या हुआ क्8 मार्च की बगावत ख्7 मार्च सदस्यता खत्म ख्8 मार्च हाईकोर्ट में चुनौती क् अप्रैल सुनवाई क्क् तक टली क्क् अप्रैल सुनवाई ख्फ् तक टली ख्फ् अप्रैल सुनवाई ख्8 तक टली ख्8 अप्रैल सुनवाई 9 को तय हुई ख्8 अप्रैल काउ ने इमरजेंसी याचिका लगाई भ् मई सुनवाई 7 मई तक टली 7 मई सुनवाई पूरी, फैसला 9 को9 मई स्पीकर का फैसला मान्य रखा
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