सुप्रीम कोर्ट ने काले धन के मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम यानि एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है और यह टीम समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट को जांच की प्रगति के बारे में बताएगी.

जस्टिस पीवी जीवन रेड्डी की अगुवाई में गठित की जाने वाली इस विशेष टीम के पास देश और विदेश में किसी भी व्यक्ति या संस्था के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का अधिकार होगा। ग़ौरतलब है कि इससे पहले काले धन की जांच के लिए केंद्रीय सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी।

जाने माने वकील राम जेठमालानी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की थी कि विदेशों में जमा काले धन का पता लगाया जाए और उस राशि को भारत वापस लाया जाए।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वो उन लोगों के नाम सार्वजनिक करे जिनके ख़िलाफ़ विदेशी बैंक में काला धन जमा कराने के लिए क़ानूनी नोटिस जारी किया गया है।

कोर्ट ने आशंका जताई कि काले धन का इस्तेमाल ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों के लिए हो रहा है। सरकार की आलोचना करते हुए कोर्ट ने कहा है कि उन्हें इस मामले से जुड़ी पूरी जानकारी और दस्तावेज़ कभी मुहैया नहीं करवाए गए। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इस मामले को टालने की भरपूर कोशिश की।

उधर सरकार पर लीपापोती का इलज़ाम लगाते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, “सरकार सूचना के अधिकार की बात करती है और कहती है कि आरटीआई का अधिकार आम आदमी को दिया जाना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। लेकिन काले धन वालों का नाम छिपाना सरकार खूब जानती है। यहां तक कि कोर्ट के मांगने पर भी वो नाम नहीं दिए गए। आज कोर्ट के आदेश को देख कर मैं उन्हें धन्यवाद कहना चाहूंगा.”

जब गृह मंत्री पी चिदंबरम से इस बाबत सरकार की प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि जब तक सरकार को इस आदेश की प्रति नहीं मिल जाती, तब तक वे अपनी टिप्पणी नहीं देंगें।

सरकार को झटका
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले को केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साल की शुरुआत में कहा था कि सरकार विदेशी खातों की जानकारी को सार्वजनिक नहीं कर सकती क्योंकि सरकार कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों से बंधी हुई है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का तर्क है कि सरकार को विदेशी बैंकों में जमा काले धन की जानकारी अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अंतर्गत मिली है, और अगर सरकार इस जानकारी को सार्वजनिक करती है तो भविष्य में कोई भी विदेशी सरकार भारत को ऐसी जानकारी नहीं देगी।

ये पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने काले धन पर सरकार के रवैये को ले कर सरकार को फटकार लगाई है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विदेशों में जमा भारतीयों का कालाधन राष्ट्र की लूट है।

जिन 26 लोगों का काला धन विदेशी बैंक में जमा होने पर बवाल मचा हुआ है, उनके नाम बैंक ऑफ़ लिख़टेंश्टाइन ने भारतीय सरकार को सौंपे थे।

विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी पार्टियों समेत कई विपक्षी दल इस बात पर लगातार बल देते रहे हैं कि इन नामों को जनता के समक्ष उजागर किया जाना चाहिए।

भाजपा ने तो सरकार पर ये आरोप तक लगाए हैं कि वो विदेशी बैंकों में जमा भारतीय काले धन को देश वापस लौटाना ही नहीं चाहती।

Posted By: Inextlive