देश की सर्वोच्‍च अदालत ने पुलिस मुठभेड़ के ऊपर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. इन दिशा निर्देशों में पुलिस द्वारा मुठभेड़ के बाद एफआईआर कराना और मुठभेड़ की मजिस्‍ट्रेटी जांच शामिल है. इसके साथ ही राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के हस्‍तक्षेपों को बंद किया गया है.


एनकाउंटर के तुरंत बाद दर्ज हो एफआईआरसुप्रीम कोर्ट ने पुलिस मुठभेड़ के मामले में अपने नए दिशा निर्देशों में साफ किया है कि भविष्य में किसी भी पुलिस मुठभेड़ के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज कराना जरूरी होगा. इसके साथ ही एनकाउंटर में शामिल अधिकारियों को तब तक प्रमोशन नही दिया जाएगा जब तक मुठभेड़ की मजिस्ट्रेटी जांच ना हो जाए. इन मामलों की जांच सीबीआई और सीआईडी जैसी ऑटोनोमस एजेंसियों से कराई जानी चाहिए. मुखबरी को करना होगा रिकॉर्डसुप्रीम कोर्ट के निर्देशों में कहा गया है कि पुलिस बलों को अपराधियों के बारे में मिली सूचना को भी रिकॉर्ड करना होगा. इसके साथ ही एनकाउंटर करने के पश्चात अपने हथियार और गोलियों की एंट्री कराकर उन्हें जमा कराना होगा. इन नए दिशानिर्देशों से फर्जी एनकाउंटरों को रोकने में मदद मिलने की उम्मीद है. पुलिस मुठभेड़ में नही आएगा ह्यूमन राइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस मुठभेड़ के मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हस्तक्षेप नही करेगा. इन गाइडलाइंस में सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी एनकाउंटर से पीड़ित पक्षों के लिए इंतजाम किया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर इस बात की आशंका होती है कि मुठभेड़ फर्जी है तो पीड़ित पक्ष सेशन कोर्ट में इस संबंध में केस दर्ज करा सकता है. गौरतलब है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने यह दिशानिर्देश एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. इस बारे में सूरत सिंह नामक पेटिशनर ने कहा है कि अदालत के इन दिशानिर्देशों को सेक्शन 144 के तहत कानून माना जाएगा.

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Posted By: Prabha Punj Mishra