बहुचर्चित मिर्चपुर कांड में दो लोगों के जिंदा जलने की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने क्षोभ और नाराजगी जताते हुए कहा कि इंसान का जिंदा जलाना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं. ये समाज पर धब्बा है. कोर्ट ने पीडि़त दलितों को गांव के बाहर बसाए जाने का विरोध कर रही हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए गुरुवार को ये कड़ी टिप्पणियां की. साथ ही इस संबंध में बनी सरकारी कमेटी की रिपोर्ट पर भी हरियाणा सरकार से जवाब-तलब किया है. हरियाणा सरकार के अनुरोध पर कोर्ट ने सुनवाई सोमवार तक टाल दी.


''इंसान को इंसान जला दे, ये किसी हालत में स्वीकार्य नहीं. ऐसी घटना समाज पर धब्बा है. वे एक समुदाय विशेष के होने के कारण जल गए. ये घृणा का मामला है.''-जस्टिस जीएस सिंघवीमिर्चपुर में दलितों पर हमलामालूम हो कि हरियाणा के मिर्चपुर गांव में दलितों पर हमला हुआ था, जिसमें दलितों के घर जला दिए गए थे, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी. घटना की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट थी कि पीडि़तों के गांव में वापस लौटने के हालात नहीं है. वहां उनके लिए भय का माहौल है, लिहाजा उन्हें गांव के बाहर बसाया जाए. राज्य सरकार के वकील मनजीत दलाल ने पीडि़तों को गांव के बाहर बसाने के सुझाव का विरोध किया. उन्होंने कहा कि एक समय माहौल खराब था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.सरकार के जवाब से कोर्ट नाराज
इस पर पीठ ने पूछा कि क्या गांव में पीडि़तों के घर नहीं जलाए गए या दो लोगों की हत्या नहीं हुई? साथ ही सरकार का जवाब था कि घर जले थे लेकिन दोबारा बनवा दिए गए. इसके अलावा दो लोगों की हत्या नहीं हुई बल्कि वे घर में लगी आग से जलकर मरे थे. जस्टिस सिंघवी ने जवाब पर नाराजगी जताते हुए कहा कि एक विकलांग लड़की भाग नहीं सकी इसलिए जल गई. सरकार ऐसी दलील दे रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि वह घटना से बहुत ज्यादा विचलित और क्षुब्ध हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh