दुनिया में कुछ घटनाक्रम किस्से कहानियां अद्भुत अविश्वसनीय अकल्पनीय लगती हैं. मगर वो पूरी तरह सच होती हैं. पुनर्जन्म की घटनाएं भी कुछ ऐसी ही होती हैं.आगरा की एक कहानी भी कुछ ऐसी ही है जो हैरतअंगेज होने के साथ-साथ रहस्य और रोमांच से भी भरपूर है. यह 41 साल पुरानी वो कहानी है जो इतिहास बन गई और आज भी आगरा के लोगों की जुबान पर है. जी हां... हम बात कर रहे हैं आगरा के चर्चित सुरेश वर्मा के पुनर्जन्म केस की. सदर बाजार की फेमस सौदागर लेन में &सुरेश रेडियोज&य के मालिक सुरेश वर्मा हत्याकांड से जुड़े घटनाक्रम ने पुनर्जन्म की एक ऐसी कहानी को स्थापित किया है जिसे देश-विदेश में चर्चा मिली. पढ़ें दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की यह स्पेशल रिपोर्ट.

आगरा (अखिल दीक्षित)। यह घटना करीब 41 साल पुरानी है. आगरा की फतेहाबाद रोड स्थित एक पॉश कॉलोनी में बिजनेसमैन सुरेश वर्मा अपने पैरेंट्स, वाइफ और दो बेटों (सचिन और अमित) के साथ रहते थे. आज भी आगरा के सदर बाजार में उनकी सुरेश रेडियोज नाम से शॉप है. 28 अगस्त, 1983 की रात काम के बाद कार से सुरेश घर लौटे. अपनी वाइफ उमा के लिए घर का गेट खोलने के लिए हॉर्न बजाया. उसी समय दो लोग बंदूकों के साथ उनकी ओर दौड़े और गोलियां चला दीं. एक गोली उनके सिर पर लगी, जिससे सुरेश की मौके पर ही मौत हो गई. बात 41 साल पुरानी है इसलिए बेटों को ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन सुरेश वर्मा की पत्‍‌नी उमा के जेहन में आज भी हर घटनाक्रम ताजा है. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत में उन्होंने अपने पति की पुनर्जन्म की कहानी के सभी पहलुओं पर कई जानकारियां दी और कहा कि &पुनर्जन्म की यह कहानी सच है&य.

पत्‍‌नी की तरह किया ट्रीट
उमा देवी ने इस घटनाक्रम को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के साथ साझा करते हुए बताया कि मुलाकात के दौरान टीटू के पैरेंट्स ने सुरेश वर्मा के माता-पिता और उन्हें एक-एक घटनाक्रम की जानकारी दी. बताया कि टीटूृ किस तरह उनकी माली हालत पर उन्हें शमदा करता है. कहता है कि..ये मेरे माता-पिता नहीं हैं. मैं बस यहां से गुजर कर रहा हूं. मेरे असली माता-पिता आगरा में हैं. बताया कि जब वह तीन साल का था तब से ऐसा ही है. पहले प्लेटें फेंकता था, बहुत नाराज होता था. उमा ने बताया कि जब मैं बाद गांव पहुंची तो टीटू ने सभी को पहचान लिया. यहां तक कि दोनों बेटे सचिन और अमित को पड़ताल के लिए गांव के बच्चों के साथ छोड़ दिया था. जहां से टीटू पूर्व जन्म के अपने दोनों बेटों को उनका नाम लेकर बुला लाया. इतना ही नहीं 5 साल के मासूम टीटू ने उमा को बिल्कुल पत्नी की तरह ट्रीट किया. कहा-बगल में आकर बैठो. उनको (उमा) यह कहते हुए डांट भी लगा दी कि तुमने यह कैसे कपड़े पहने हुए हैं, सिर पर पल्लू क्यों नहीं डाला. उमा देवी के साथ सुरेश के माता-पिता भी थे. टीटू ने उनको देखते ही पहचान लिया और दौड़कर उन्हें अपने गले लगा लिया.

पहली बार आगरा पहुंचा टीटू
अब तक तोरण सिंह और सुरेश वर्मा के फैमिली मेंबर यह एक्सेप्ट कर चुके थे कि तोरण ही पूर्व जन्म में सुरेश वर्मा थे. मगर, एक बार फिर संतुष्टि के लिए सभी तोरण को बाद गांव से आगरा लेकर आए. तोरण को बताए बिना वे सुरेश की रेडियो की दुकान के पास से निकल गए. जिस पर उन्होंने तुरंत दुकान को पहचान लिया और उन्हें रुकने के लिए कहा. वह अंदर आया, एक स्टूल थपथपाया (उमा कहती है कि यह आदत सुरेश की थी) और फिर एक शो केस की ओर इशारा करते हुए पूछा कि- &यह कब बनाया गया था? यह पहले नहीं था.&य शो केस वास्तव में सुरेश की मौत के बाद रखा गया था.

कनपटी पर मिला निशान
सुरेश के बेटे अमित सिंह ने बताया कि सबसे ज्यादा चौंकाने वाले सबूत तब मिले जब पैरा मनोवैज्ञानिक शोधकर्ता और दिल्ली यूनिवर्सिटी के डॉ. एनके चड्ढा और अमेरिका की वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के डॉ. एंटोनिया मिल्स ने तोरण सिंह के मामले की विस्तृत जांच शुरू की. उनकी रिसर्च में जिन फैक्ट्स की पुष्टि की गई उनमें एक विचित्र बात भी थी. टीटू की दाहिनी कनपटी का निशान.. पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जांच से रिसर्चर्स को मालूम चला कि सुरेश वर्मा को कनपटी को जिस स्थान पर गोली मारी गई थीं, वहीं पर टीटू के सिर पर निशान है. इसके अलावा गोली खोपड़ी से टकराकर दाहिने कान के नीचे से निकल गई थी. जब उन्होंने टीटू के कान के नीचे देखा, तो ठीक उसी जगह पर, वहां भी उन्हें एक बर्थ मार्क मिला.

क्यों हुई सुरेश की हत्या...
उमा देवी ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को पति की हत्या के कारण की जानकारी देते हुए बताया कि उनके पति के पास जो फिएट कार थी वो चोरी हो गई थी. काफी तफ्तीश के बाद पुलिस की मदद से उस कार को गुरुग्राम (गुडग़ांव) में एक कबाड़ी के यहां से बरामद किया था. इतना ही नहीं पुलिस को उस कबाड़ी के यहां से और भी कई महंगी चोरी की कार बरामद हुई थीं. इसके बाद आगरा एवं आसपास कहीं भी कार चोरी होती तो कार स्वामी सुरेश के पास आता और उसे गुरुग्राम के कबाड़ी का पता बता देते. ऐसा एक-दो बार हुआ तो कबाड़ी सुरेश से दुश्मनी मान बैठा और उसने सुरेश की &सुपारी&य देने की ठान ली.

पुनर्जन्म के बाद टीटू ने खूब पढ़ाई की और अब डॉ. तोरण सिंह के नाम से फेमस हैं. इस वक्त वो हरिद्वार स्थित पतंजलि यूनिवर्सिटी में फैकल्टी ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस विभाग में डीन पद पर तैनात हैं और परिवार के साथ हरिद्वार में रह रहे हैं. उनके भाई राजकुमार ने बताया कि फैमिली फंक्शन में अपने पैतृक निवास गांव बाद आते हैं. इससे पहले तोरण सिंह बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में बतौर फैकल्टी तैनात थे.

Posted By: Inextlive Desk