RANCHI: मैं शौक से नक्सली नहीं बना, बल्कि मुझे जबरन नक्सली दस्ते में शामिल किया गया। माओवादी दस्ते के शीर्षस्थ नेताओं ने मुझे कईप्रलोभन दिए। मेरा नाम जबरन पुलिस रिकॉर्ड में डाला गया, वह भी घटना को अंजाम देने के बाद। दस्ते में शामिल होने का जितना दुख नहीं हुआ, उससे ज्यादा दुख यह देख कर हुआ कि नक्सलियों के शीर्षस्थ नेता महिला कैडरों के साथ जबरन यौन संबंध बनाते हैं। महिला कैडरों की बहाली के पीछे इनका मुख्य उददेश्य यही होता है। यह खुलासा प्रतिबंधित नक्सली संगठन के हार्डकोर जीतन उर्फ विमल गुडि़या उर्फ पांडेय गुडि़या उर्फ टिंकू गुडि़या ने किया है। उसने ये बातें बुधवार को डीजीपी डीके पांडेय के समक्ष सरेंडर करने के बाद कहीं।

तो कई और नक्सली करेंगे सरेंडर

जीतन ने बताया कि नक्सलियों के शीर्षस्थ नेताओं में जात-पात, ट्राइबल व नन-ट्राइबल की फीलिंग इन दिनों ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में जंगल में दर-दर भटकने से अच्छा है कि मुख्य धारा में आ जाए और परिवार के साथ खुशी-खुशी जिंदगी बिताए। उसने यह भी कहा है कि यदि सरकार पुनर्वास नीति में संशोधन कर प्रक्रिया को सरल बनाए, तो कई और नक्सली सरेंडर कर सकते हैं।

सेक्सव‌र्द्धकगोलियां रखते हैं माओवादी

सरेंडर करनेवाले नक्सली के मुताबिक, बाहरी नक्सली रीडरों द्वारा जमकर शारीरिक शोषण किया जाता है। इसके लिए वे अपने पास सेक्स व‌र्द्धक दवाइयां व प्रेग्नेंसी किट भी रखते हैं। नक्सली ने बताया कि उनके शीर्षस्थ नेता ग्रामीण लड़कियों को अपने प्यार में फंसाकर यौन शोषण करते हैं। गर्भ ठहरने पर उन्हें जान से मार देते हैं और बैनर पोस्टर चिपका कर इल्जाम पुलिस पर लगा देते हैं।

कौन है जीतन विमल गुडि़या

डीजीपी के पास सरेंडर करनेवाला जीतन विमल गुडि़या पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर थाना क्षेत्र के सोनपखरी के गुडि़या टोला का रहनेवाला है। वह दक्षिणी छोटानागपुर जोनल कमेटी के सचिव अनमोल दा के दस्ते में शामिल था। उसने संगठन में रहते हुए हार्डकोर नक्सली जॉनसन से हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली। वह केन बम बनाने में भी माहिर है। जीतन के खिलाफ राज्य के विभिन्न थानों में 15 से भी अधिक नक्सली कांडों में प्राथमिकी दर्ज है। जीतन ने यह भी बताया है कि वह चाईबासा जेल ब्रेक और 2012 में तिरिलपोसी में नक्सली अनमोल, सपन व अन्य 60 नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में भी शामिल था। जेल ब्रेक कांड के बाद वह जॉनसन व संदीप के दस्ते के साथ घूम रहा था।

क्या है नई सरेंडर पॉलिसी (फोर योर इंफॉर्मेशन)

राज्य सरकार ने मार्च में नई सरेंडर पॉलिसी को मंजूरी दी है। इसके तहत सरेंडर करनेवाले नक्सलियों को दो कैटेगरी में रखा गया है। पहली कैटेगरी में जोनल कमांडर व उससे ऊपर रैंक के नक्सली शामिल हैं। इनके सरेंडर करने पर इन्हें पांच लाख रुपए पुनर्वास अनुदान देने का प्रावधान है। इसमें एक लाख रुपए तत्काल व बाकी राशि दो किश्त में देने का प्रावधन है। दूसरी कैटगेरी में जोनल कमांडर से नीचे के नक्सली आते हैं। इन्हें सरेंडर करने पर ढाई लाख रुपए देने का प्रावधान है। इसमें 50 हजार रुपए तत्काल और बाकी राशि दो किस्तों में दी जाएगी। दूसरी और तीसरी किस्त का भुगतान स्पेशल ब्रांच की जांच के बाद दिया जाएगा। इसके अलावा सरेंडर करनेवाले नक्सलियों के बच्चों की स्नातक तक की शिक्षा के लिए हॉस्टल फीस समेत अन्य खर्च भी सरकार वहन करेगी। यह राशि साल में अधिकतम 25 हजार रुपए होगा।

कई नक्सली बन गए सिपाही (बॉक्स)

झारखंड सरकार की ओर से चलाए गए अभियान पहल के तहत समाज की मुख्यधारा से भटके युवाओं को नियुक्ति पत्र दिया गया है। पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने 24 अक्टूबर को सरेंडर करनेवाले पांच युवाओं को आरक्षी पद पर नियुक्ति का पत्र सौंपा था।

अब तक 75 नक्सली कर चुके हैं सरेंडर (प्वाइंट टू बी नोटेड का लोगो)

झारखंड में अब तक 75 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। वर्ष 2010 से लेकर अब तक 75 नक्सलियों ने सरेंडर एंड रिहैबिटेशन पॉलिसी के तहत सरेंडर किया है। इनमें मुख्य रूप से भाकपा माओवादी संगठन से 52 व पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया(पीएलएफआई) के 16 सदस्य शामिल हैं। कमांडरों को इस नीति के तहत पुलिस के प्रयास से मुख्य विचारधारा में लौटाया गया। इनमें से 39 नक्सलियों को हजारीबाग के ओपेन जेल में रखा गया है। सरेंडर करनेवालों में लालदीप सिंह खरवार उर्फ बंधन सिंह, जयप्रकाश भुईया, रंजीत प्रधान व राजकमल गोप उर्फ फौजी, भाकपा माओवादी के हार्डकोर अनिल सिंह, जोनल कमांडर पंकज मुंडा, एरिया कमांडर शंकरण साहू, किशोर मुंडा, शिवनारायण महतो, पंडू पाहन, इंडी पाहन, ब्रिज महतो, राजकुमार महतो, दानियल लकड़ा, मार्शल टूटी, सुरेश मुंडा, संजय प्रमाणिक, चांद महतो, एतवा मुंडा, सीताराम मुंडा, भोला पाल, सुनीता कुमारी, गीता गंझू, मधु मुंडा, त्रिलोचन सिंह मुंडा, हरिपदो सिंह मुंडा, अर्जुन मिर्धा, राम लोहरा, सुखराम सिंह मुंडा, रेशमी महली, मधु मुंडा उर्फ रोहित, दीपक उर्फ निशांत, सुखराम लोहरा, ब्रिज महतो, रामपदो लोहरा, प्रवीण कुमार भगत, रमेश प्रमाणिक, शिवनारायण महतो, रंगलाला मुंडा उर्फ हाथी, पीतांबर महतो उर्फ प्रीतम महतो, गुरुवरी कुमारी, पंकज मुंडा, बाबूमणि सिंह, जोसेफ पूर्ति, शंकरशन साहू व लखन यादव समेत कई नक्सली शामिल हैं।

वर्जन

ऑफिसियल स्टैंड का लोगो लगाएं

नक्सलियों-उग्रवादियों का समय अब खत्म हो चुका है। उनका प्रभाव क्षेत्र घट रहा है। उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। पुलिस की कार्रवाई तेज हुई है। झारखंड की सरेंडर पॉलिसी आकर्षक है। इसलिए नक्सली-उग्रवादी सरेंडर करें और मुख्यधारा में शामिल हों जाएं

-डीके पांडेय, डीजीपी, झारखंड

Posted By: Inextlive