सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020 के मसौदे को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है। सरोगेसी बिल संशोधना में राज्य सभा की सिलेक्ट कमेटी की सिफारिशों को शामिल किया गया है। इस प्रस्तावित बिल के अनुसार तलाकशुदा हो या विधवा कोई भी महिला अमहिला अपनी इच्छा से सरोगेट मां बन सकेगी।

नई दिल्ली (एएनआई)। केंद्रीय कैबिनेट ने सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल 2020, को मंजूरी दे दी है।विधेयक को अब अगले महीने से शुरू होने वाले बजट सत्र के सेकेंड फेज की शुरुआत में लाए जाने की संभावना है। नए विधेयक में राज्यसभा की प्रवर समिति की सिफारिशों को शामिल किया गया है। सरोगेट मां बनने के लिए कुछ शर्तें होंगी।नए प्रस्तावित बिल के मुताबिक कोई भी इच्छुक महिला किराये की कोख वाली मां यानी सेरोगेट मदर बन सकती है। इस विधेयक के जरिए पैरेंट्स न बन पाने वाले कपल के अलावा विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को भी मां बनने का अधिकार होगा। सरोगेट मां बनने के लिए उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच होनी चाहिए।

सरोगेट मदर का बीमा कवर 16 महीने से बढ़ाकर 36 महीने होगा

इस संबंध में केंद्रीय मंत्रिमंडल, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस विधेयक के बारे में कहा कि सरोगेसी के नए बिल में राज्यसभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के बाद बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसमे व्यापारिक सरोगेसी पर रोक लगाया गया है और परोपकार के लिए की जाने वाली सेरोगेसी की अनुमति दी गई है। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि सरोगेट मदर का बीमा कवर 16 महीने से बढ़ाकर 36 महीने किया जाएगा। भारतीय विवाहित जोड़े व देश से बाहर रह रहे भारतीय मूल के विवाहित जोड़े और अकेली भारतीय महिलाएं कुछ शर्तों के साथ सरोगेसी लाभ ले सकेंगे।

अकेली महिलाओं की स्थिति में उनका विधवा या तलाकशुदा होना जरूरी

हालांकि अकेली महिलाओं की स्थिति में उनका विधवा या तलाकशुदा होना जरूरी होगा। पिछले बिल में एक करीबी रिश्तेदार के प्रावधान के बारे में चर्चा का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि अब यह प्रस्तावित है कि सरोगेट मां एक इच्छुक महिला होनी चाहिए। पिछले बिल में केवल नजदीकी रिश्तेदार महिला को ही सरोगेट मदर बनने की इजाजत दी गई थी। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के प्रजनन के अधिकारों में उदारवादी विचारों को बढ़ावा दिया है। इसके लिए एसिसटेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल हो या फिर सेरोगेसी बिल को वरीयता दी गई।

नजदीकी रिश्तेदार महिला को ही सरोगेट मदर बनने की इजाजत थी

महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के मुद्दों पर एक उदार दृष्टिकोण पर मुझे एक भारतीय महिला के रूप में गर्व है। लोकसभा ने पिछले साल अगस्त में व्यावसायिक सरोगेसी पर रोक लगाने और परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देने के लिए सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 पारित किया गया था। इसमें गर्भावस्था के दौरान चिकित्सा खर्च और बीमा कवरेज के अलावा सरोगेट मां को मौद्रिक मुआवजा शामिल नहीं है। केवल नजदीकी रिश्तेदार महिला को ही सरोगेट मदर बनने की इजाजत थी। इसका काफी विरोध हुआ था। इसके बाद विधेयक को राज्य सभा की एक प्रवर समिति को भेजा गया था।

Posted By: Shweta Mishra