- स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके उद्देश्य पर हुई चर्चा

- भारतीय संस्कृति को गुफा व मठों से बाहर लाए थे विवेकानंद

Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी कैंपस के बृहस्पति भवन में स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर साहित्यिक और सांस्कृतिक परिषद् द्वारा विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में स्वामी विवेकानंद और भारतीय युवा वर्ग विषय पर विचार मंथन हुआ। जिसमें वक्ताओं ने स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा भारतीय संस्कृति के लिए कार्यो की सराहना की। साथ ही उनके द्वारा दिए गए संदेशों को जीवन में उतारने पर जोर दिया। दोपहर से शाम तक चली इस गोष्ठी में वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किए।

इन्होंने रखे विचार

कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रोफेसर ओएस गुप्ता ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ग्लोबलाइजेशन के दौर में आज संसार बाजार है, लेकिन भारतीय संस्कृति ने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया। विवेकानंद ने हमे समरसता का संदेश दिया, जो भारत का दृष्टिकोण है। उन्होंने शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की बात की थी। विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद बीएन पराशर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति और वेदांत को गुफाओं व मठों से निकालकर आम जनता के बीच में लेकर आए थे।

गांधी और नेहरू को भी मिली थी प्रेरणा

स्वामी विवेकानंद से गांधी, सुभाष और नेहरू को सर्वाधिक प्रेरणा मिली थी। विवेकानंद युग ऋषि थे, उन्होंने लोगों को मजबूत बनने की प्रेरणा दी थी। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए अजय मित्तल ने कहा कि विवेकानंद स्वामी मेरठ में 80 दिन ठहरे थे, उनकी स्मरण शक्ति अद्वितीय थी। विवेकानंद ने कहा था कि युवा वर्ग से ही मेरे कार्यकर्ता निकलेंगे। उन्होंने आह्वान किया था कि भारत को अज्ञान के अंधकार ने घेर लिया है, उसमें से युवाओं को निकलना है। वक्ता डॉ। विध्नेश त्यागी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को पूरे विश्व के युवाओं का आदर्श माना गया है।

एक देवता भारत की पूजा करें

विध्नेश ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि देवी देवताओं की पूजा न करके केवल एक देवता भारत की पूजा की जानी चाहिए। जिन्होंने कहा था कि आत्म विश्वास बनें। उन्होंने निकम्मेपन को सबसे बुरा माना है। उनसे सभी क्रांतिकारी प्रभावित थे। गरीबों की भलाई के कार्यो पर सर्वाधिक जोर दिया था। इस दौरान साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक डॉ। जेएस सिद्दीकी मौजूद रहे। साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद की अध्यक्ष प्रो। अर्चना शर्मा ने भी अपने वक्तव्य रखे। कार्यक्रम में डॉ। धर्मेंद्र, डॉ। योगेंद्र विकल, प्रवीण पंवार, जयवीर राणा, गौरव पुंडीर, प्रत्युष उपाध्याय, कमल प्रताप, अजय तोमर, मोहित गुप्ता, सोनू, प्रशांत उपस्थित रहे।

निबंध प्रतियोगिता

इस गोष्ठी के दौरान एक निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें बीटेक के प्रशांत कुमार को फ‌र्स्ट प्राईज, फाइन आर्ट डिपार्टमेंट की कुमारी गिन्नी को सेकंड और गिन्नी देवी कॉलेज मोदीनगर की मिनाक्षी को थर्ड प्राईज मिला। इनके साथ भाषण प्रतियोगिता में भागीदारी करने वाले मोहित कुमार और अनुज भड़ाना को सांत्वना पुरस्कार दिए गए। इस दौरान डॉ। स्नेहवीर पुंडीर ने भी अपनी भागीदारी की। इन्होंने भी अपने वक्तव्य रखे। साथ ही स्वामी विवेकानंद की जीवनी और उनके आदर्शों पर प्रकाश डाला।

Posted By: Inextlive