शिवालयों में तैयारी पूरी, आज होगा रुद्राभिषेक
- दिन भर चलती रही मंदिरों की सजावट, तड़के 3 बजे खुले मंदिरों के पट
- कांवडि़यों ने प्रशासन की मानी शर्ते, शांति और सौहार्द से मनाएंगे सावन माह BAREILLY: सावन माह के पहले सोमवार पर देर रात मंदिरों के पट बम-बम भोले और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ खुल गए। मंदिरों के पट खुलते ही कांवडि़यों के जत्थों ने जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और महाश्रृंगार किया। इसके बाद भोर से ही शिव दर्शन को उमड़े श्रद्धालुओं ने शिव दर्शन कर मन्नतें और मुरादें मांगी। वहीं, ज्योतिषाचार्यो ने सिद्धियोग में किए जाने वाले शिव दर्शन को जातकों के लिए फलदायी बताया है। साथ ही, राशि अनुरूप रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ होने की संभावना जताई है। दिन भर होती रही तैयारियांमंदिरों में पहले सोमवार के स्वागत के लिए दिन भर तैयारियां चलती रहीं। सुबह से जुटे श्रद्धालुओं और पुजारियों ने मंदिरों की साफ-सफाई की इसके बाद उन्होंने देर शाम झालरों और गेंदे के फूलों से सजाया गया है। वहीं, भारी तादाद में उमड़ने वाले श्रद्धालुओं को देखते हुए मंदिरों में बैरिकेडिंग की गई। बता दें कि सुबह मंदिरों में दर्शनार्थियों, श्रद्धालुओं और कांवडि़यों से पहले बंद कपाटों के पीछे देर रात शिव का महाश्रृंगार मंत्रोच्चार के साथ किया। जिसके बाद मंदिरों के पट श्रद्धालुओं के खोले गए। जिसके बाद सबसे पहला दर्शन कांवडि़यों को कराया गया। इनके लिए अलग से जलपान और ठहरने के इंतजाम किए गए हैं।
प्रशासन की हिदायत मंजूर सुरक्षा के बाबत कांवडि़यों के साथ पिछले दिनों हुई प्रशासन की मीटिंग के बाद कांवड़ उठाने से मना करने वाले कांवडि़यों के जत्थों ने कांवड़ उठाने के लिए अब राजी हो गए हैं। सैटरडे को अलखनाथ मंदिर में सैकड़ों कांवडि़यों की मीटिंग हुई। जिसमें अलखनाथ मंदिर के महंत समेत अन्य मंदिरों और इलाकों के लोग मौजूद रहे। करीब घंटे भर तक चली मीटिंग के बाद सावन में सांप्रदायिक माहौल न बने इसके लिए प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइंस को मान लिया गया है। सिद्धयोग करेगा मनोकामना पूरी बाला जी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा के मुताबिक पहला सोमवार नन्दा तिथि में पड़ रहा है। उत्तरा भाद्रपद, रेवती नक्षत्र में सुबह 5:39 बजे से शाम 7.45 बजे तक सिद्धियोग का मुहूर्त बन रहा है। इस समयावधि में पूजन करने से मुकदमों में सफलता, रोगों से मुक्ति, अकाल मृत्यु न होने समेत पारिवारिक सुख समृद्धि प्राप्त होती है। वहीं, राशिनुकूल पूजा पाठ और रुद्राभिषेक करना जातकों के लिए विशेष होने की संभावना ज्योतिषाचार्यो ने जताई है। राशि अनुरूप करें रुद्राभिषेक मेष - जल में गुड़ मिलाकरवृष - जल में दही मिलाकर
मिथुन - गन्ने के रस से कर्क - घी से सिंह - जल में लाल चंदन मिलाकर कन्या - जड़ीबूटी के रस से तुला - इत्र या सुगंधित तेल से वृश्चिक - शहद से धनु - हल्दी मिले दूध से मकर - तिल के तेल से कुंभ - पानी या सरसों तेल से मीन - केसर मिले दूध से