भले ही कल शनिवार को यूएई के लिए खेलते हुए स्वप्निल पाटिल सिर्फ सात रन बना कर अश्विन के शिकार बन गए पर ये उनकी लाइफ का सबसे इमोशनल पल था और ये मैच उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मैच ऐसा वो खुद कहते हैं. क्यों?. आइये हम आपको यह बताते हैं कि सिर्फ स्‍वप्‍िनल कोई अकेले नहीं बल्‍कि और भी दूसरे भी कई भारतीय मूल के खिलाड़ी है जो दूसरे देशों की तरफ से खेले हैं...

ये रहा स्वप्िनल का सफर
ये मैच खास है स्वप्निल पाटिल के लिए क्योंकि अजिंक्य रहाणे की तरह स्वप्निल पाटिल भी कुछ साल पहले तक मुलुंड जिमखाना की ओर से खेलने के लिए भीड़भरी लोकल ट्रेन पकडक़र उपनगर से मुंबई आया करते थे. इन दोनों ने मुंबई की ओर से अंडर-14 से लेकर अंडर-22 तक एक साथ क्रिकेट खेला. रहाणे पूर्वी उपनगर डोंबीवली से, जबकि पाटिल पश्चिम उपनगर वसई से आते थे. रहाणे का करियर जहां आगे बढ़ता गया, पाटिल को सीनियर स्तर पर मुंबई में ज्यादा मौका नहीं मिला. हालांकि वह दो बार 2000-2001 और 2004-2005 में मुंबई रणजी संभावितों में शामिल रहे. अफसोस पाटिल को टीम में नहीं चुना गया और वह मुंबई की अपार क्रिकेट प्रतिभा में कहीं खोकर रह गए. किस्मत से उन्हें एक कॉरपोरेट टीम की ओर से खेलने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाने का अवसर मिला. वहां उन्हें यूएई की विश्व कप टीम की ओर से खेलने का मौका मिला. अब वह दुनिया की बेस्ट टीम्स के साथ यूएई की तरफ से मुकाबला कर रहे हैं.


भारतीय मूल के 5 क्रिकेटर...

रोहन कन्हाई (West Indies)
1960 के दशक का शानदार बल्लेबाज रहे रोहन भोलालाल कन्हाई का नाम भी दुनिया के जाने माने बल्लेबाजों में लिया जाता है. रोहन कन्हाई करीब 75 साल से अधिक के हो चुके है. सबसे खास बात तो यह है कि रोहन भोलालाल कन्हाई क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में शुमार किये जाते है. एंग्लो -गुयनाई इस बल्लेबाज़ के प्रशंसको में भारत के लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर भी है और तो और सुनील गावस्कर ने अपने बेटे का नाम भी रोहन कन्हाई के प्रति उनकी देव्व्नागी के चलते रोहन रखा. वेस्ट इंडीज़ के गौरवशाली इमारत की इबादत लिखने वाले कन्हाई ने अपने टीम के लिए 79 टेस्ट खेले और 47 .53 की औसत से 6227 रन बनाये. वनडे क्रिकेट की शुरुआत तब हुई थी जब कन्हाई अपने करियर के अंतिम दौर में थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 1975 में हुए पहले वर्ल्डकप में शानदार प्रदर्शन किया था. क्लाइव लॉयड के साथ निभाई 149 रन की साझेदारी उनकी सर्वश्रेष्ठ पारियों में गिनी जाती है. कन्हाई ने महान बल्लेबाज सर गैरी सोबर्स के साथ अपना ड्रेसिंग रूम शेयर किया था. इसके अलावा 1992 में वह वेस्टइंडीज की तरफ से नेशल क्रिकेट के पहले स्क्वॉड हुये.

एल्विन कालीचरण (West Indies)
सबसे खतरनाक कैरिबियाई बल्लेबाजों में शुमार रहे एल्विन इस्साक कालीचरण भारतीय मूल के खिलाड़ी रहे. कालीचरण ने 1972 से लेकर 1981 तक वेस्ट इंडीज टीम को अपनी सेवाएं दी थीं. छोटे कद के होने के बावजूद कालीचरण क्रिकेट का हर शॉट खेलने में माहिर थे. उन्हें 1973 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी चुना गया था. क्लाइव लॉयड के इस्तीफा देने के बाद कालीचरण को टीम की कमान सौंपी गई थी. हालांकि अब एल्विन कालीचरण भी अब 61 बरस से अधिक के हो गये है, लेकिन आज भी इनका नाम आधुनिक क्रिकेट में बड़े अदब से लिया जाता है. यह अपनी अक्रामक पारी के लिये मशहूर रहे हैं. इनकी खेल की शैली बेहद आक्रामक और सटीक थी. किसी भी एकदिनी प्रथम श्रेणी में दोहरा शतक लगाने वाले कालीचरण पहले बल्लेबाज़ थे. उनकी मशहूरियत भारत में इस कदर थी कि सुभाष घई की सुपरहिट फिल्म ना नामकरण इन्ही महाशय के नाम पर किया गया था. इन्होने 66 टेस्ट में 44 .43 की औसत से 4399 रन बनाये.

 

शिवनारायण चंद्रपॉल (West Indies)
चंद्रपाल से चंद्रपॉल हुए शिवनारायण ने भी वेस्ट इंडीज टीम को अपनी सेवाएं देने वाले भारतीय मूल के खिलाड़ियों में एक है. इंग्लैंड के खिलाफ पदार्पण करने वाले चंद्रपॉल टीम का अहम हिस्सा रहे हैं. टेस्ट में 49 की औसत रखने वाले चंद्रपॉल वर्ल्ड टॉप टेन बल्लेबाजों में भी शुमार रह चुके हैं.चंद्रपॉल के नाम लगातार 1000 गेंदें खेलकर नॉटआउट रहने का अनोखा रिकार्ड भी दर्ज है. आज के क्रिकेट में शिवनारायण चंदरपाल बेहद कामयाब क्रिकेटरों में से है. बाए हाथ के दुनिभर में सबसे सफल बल्लेबाजों में इनका नाम लिया जाता है. भारतीय मूल के क्रिकेटर ने टेस्ट में अपना पर्दापण बेहद मजबूत वेस्ट इंडीज़ टीम के लिए गुयाना से प्रतिनिधित्व किया. इस दौरान इन्होने वेस्ट इंडीज़ टीम का पतन होते हुए भी देखा. सबसे खास बात तो यह है कि रेखा और अमिताभ बच्चन के फिल्मो के दीवाने चंद्रपाल आज भी भारतभूमि और गंगा नदी से अपने जुड़ाव को भूले नहीं . 126 टेस्ट में 49 .28 की औसत से 8969 रन बनाकर वो वेस्ट इंडीज़ के लिए सबसे ज़्यादा रन बनाने के मामले में दूसरे पायदान पर गिने जाते हैं.

नासिर हुसैन (England)
इंग्लैड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन 2003 के विश्वकप में टीम के कप्तान थे. 1999 के बाद मरणासन हो चुकी इंग्लैंड की टेस्ट टीम को सही ट्रेक पर लाने का श्रेय डंकन फ्लेचर के नासिर हुसैन को दिया जाता है. नासिर हुसैन एक भारतीय मूल के खिलाड़ी रहे हैं इंग्लैंड के अब तक के बेहतरीन क्रिकेटर्स में से एक माने जाते हैं. चैन्नई में जन्मे हुसैन मात्र एक साल की उम्र में अपने पिता के साथ इंग्लैंड चले गए थे. हुसैन इंग्लैंड की कप्तानी करने वाले पहले भारतीय मूल के क्रिकेटर है, अपनी चतुर कप्तानी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हुसैन के पिता ओर चाचा दोनों रणजी ट्राफी में भारत के लिए और इंग्लिश काउंटी में वोर्सस्टरशायर की ओर से क्रिकेट खेले. सफल कप्तान के साथ इनका रिकार्ड भी शानदार रहा है इन्होने 96 टेस्ट खेलकर 37 .18 की औसत से 5764 रन बनाये.

हाशिम अमला (South Africa)
टेस्ट क्रिकेट से अपने करियर की शुरूआत करने वाले हाशिम अमला ने बाद में एकदिवसीय मैच में पर्दापण करके अपने क्रिकेटिंग टैलेंट से सबको चौंकाकर रख दिया. हाशिम अमला के पूर्वज गुजरात से हैं. हाशिम अमला के टैलेंट से से और उनकी खतनाक बल्लेबाजी से सब परिचित हैं. साउथ अफ्रीका ने जब वेस्टइंडीज के खिलाफ 439 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया. उस दौरान साउथ अफ्रीका की तरफ से 3 शतक लगे उनमें से एक शतक हाशिम अमला का था. जिससे साफ है कि हाशिम अमला की बल्लेबाजी कैसी है. हाशिम आमला - सूरत , गुजरात से दक्षिण अफ्रीका जाकर बसे हैं. इस भारतीय मुस्लिम क्रिकेटर ने दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलकर पहले मुस्लिम टेस्ट क्रिकेटर होने का गौरव पाया. बेहद सशक्त बल्लेबाजी तकनीक के लिए प्रसिद्ध इस होनहार युवा बल्लेबाज़ का अंतर्राष्ट्रीय रिकार्ड बहुत शानदार रहा है. अब तक यह 49 टेस्ट खेलकर 46.75 की औसत से 3787 रन बना चुके है .

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Posted By: Satyendra Kumar Singh