ओलंपिक साइज का पूल, खिलाड़ी फिर भी प्रैक्टिस से दूर

तैराकों के लिए सिर्फ छह माह खुलता है स्वीमिंग पूल

स्वीमिंग के बेसिक सिखाने के लिए नहीं है लर्निग पूल

कोच बोले, बिना बेसिक्स नहीं उतार सकते गहरे पानी में

Meerut। पुरानी कहावत है कि किसी भी खेल का अभ्यास ही खिलाड़ी को चैंपियन बनाता है। मगर कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम के तैराक अभ्यास के अभाव में पिछड़ रहे हैं। यहां साल भर में केवल छह माह के लिए ही स्वीमिंग पूल खुलता है। सर्दी की दस्तक होते ही पूल को बंद कर दिया जाता है और खिलाडि़यों का अभ्यास केवल फिजिकल ट्रेनिंग तक सिमटकर रह जाता है। कई बार लर्निग पूल के प्रस्ताव के सहारे अभ्यास की परंपरा को बढ़ाने का प्रयास हुआ लेकिन हर बार प्रस्ताव फाइलों में दबकर ही रह गया।

छह माह खुलता है पूल

स्टेडियम में हर साल एक अप्रैल को स्वीमिंग पूल तैराकों के अभ्यास के लिए खुलता है। यहां सितंबर तक तैराक अभ्यास करते हैं। इसके बाद पूल बंद कर दिया जाता है। यह सिलसिला कई वर्षो से चला आ रहा है। इतनी ही नहीं पूल पर कार्य करने वाले स्टाफ को भी छह माह के लिए स्टेडियम के अन्य कार्यो में लगा दिया जाता है। साथ ही कोच बाकी छह माह स्टेडियम में तैराकी सीखने आने वाले तैराकों को पूल के बाहर ही फिजिकल ट्रेनिंग कराते हैं।

ओलंपिक साइज का पूल बेकार

स्टेडियम में स्वीमिंग कोच चंचल ने बताया कि यहां ओलंपिक साइज और तमाम मानकों पर खरा उतरता स्वीमिंग पूल मौजूद है। मगर ये पूल तब तक बेकार है जब तक खिलाडि़यों के एक अन्य लर्निग पूल यहां न बने। दरअसल, स्वीमिंग सीखने आने वाले किसी भी खिलाड़ी को सीधे ओलंपिक साइज स्वीमिंग पूल में तैराकी सीखाने नहीं उतारा जा सकता।

बेसिक्स के लिए लार्निग पूल

कोच के मुताबिक बच्चों को तैराकी के कांसेप्ट और बेसिक्स सीखाने के लिए पहले लर्निंग पूल में उतारा जाता है। जब वो पानी के साथ शरीर को ठीक से एडजस्ट करना सीख जाता है तब उसे गहरे और फिर और गहरे पानी में तैराकी सीखाई जाती है। डायरेक्ट गहरे पानी में बच्चों को उतारना रिस्की होता है।

स्वीमिंग पुल के बाहर ट्रेनिंग

स्टेडियम में छह माह स्वीमिंग पुल बंद रहने के दौरान भी तैराकी सीखने आने वाले बच्चों का रजिस्ट्रेशन तो कर लिया जाता है। मगर उनको पूल में न उतारकर केवल पूल के बाहर ही छह माह ट्रेनिंग कराई जाती है। जिससे ज्यादातर बच्चे एक माह बाद ही यहां आना बंद कर देते हैं।

लाइफ सेफ्टी गार्ड भी नहीं

स्टेडियम के उप क्रीडा अधिकारी ने बताया कि स्वीमिंग पूल के लिए किसी लाइफ सेफ्टी गार्ड को भी नियुक्त नहीं किया गया है। यहां कोच ही अभी तक लाइफ सेफ्टी गार्ड की भूमिका निभाते हैं। ये बात समझनी होगी कि लाइफ सेफ्टी गार्ड स्नीमिंग के दौरान जीवन रक्षक का काम करता है, उससे कोचिंग का काम नहीं लिया जा सकता है। आने वाले कोचिंग सेशन में कोई गार्ड नहीं मिलता है तो मुश्किलें बढ़ सकती है।

नए खिलाडि़यों को स्वीमिंग पूल में उतारने में काफी खतरा होता है। इसलिए उन्हें पूल के बाहर ही ट्रेनिंग दी जाती है। साथ ही लर्निग पूल के लिए प्रस्ताव भेजा हुआ है। जैसे ही फैसला आता है लर्निग पूल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

चंचल कुमार, स्वीमिंग कोच, कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम

Posted By: Inextlive