- कागजी साबित हो रहे विभागीय दावे

- वार्ड में भर्ती एक मरीज ने तोड़ा दम

बरेली : शासन से लेकर प्रशासन हर कोई टीबी का दंश मिटाने के लिए पुरजोर कोशिशें कर रहा है बीते दिनों राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आरयू में कान्वोकेशन के दौरान टीबी मुक्त राज्य बनाने के लिए टीबी रोगियों को गोद लेकर बीमारी से उभारने को कहा था लेकिन यहां हेल्थ महकमा टीबी मुक्त भारत के सपने को ग्रहण लगा रहा है। सिस्टम की लापरवाही के चलते टीबी रोगी दम तोड़ रहे हैं। संडे को टीबी वार्ड में एडमिट एक और पेशेंट की मौत हो गई। पिछले एक महीने में एक के बाद एक तीन टीबी पेशेंट की मौत हो चुकी है।

केस 1

16 दिसंबर को भोजीपुरा के मोहल्ला गोपालपुर निवासी 45 वर्षीय रामसरन को जांच में टीबी की पुष्टि थी, वह अगले दिन दोपहर में परिजन उन्हें लेकर डिस्ट्रिक्ट टीबी हॉस्पिटल पहुंचे तो दो घंटे के इंतजार के बाद भी उन्हें भर्ती तक नहीं किया गया। वहीं अगले दिन आने को कहकर टरका दिया। जब परिजन दोबारा उन्हें लेकर सुबह 11 बजे हॉस्पिटल पहुंचे तो उनकी जांच की गई। अन्य कागजी कार्रवाई के लिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल भेजा गया। यहां परिजन जैसे ही उन्हें लेकर इमरजेंसी पहुंचे तो भर्ती प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले ही रामसरन ने दम तोड़ दिया।

केस स्टडी

शहर के प्रेमनगर निवासी गुड्डू भी 16 दिसंबर को ही करीब 1 बजे ही डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बने टीबी वार्ड में भर्ती हुए थे लेकिन इलाज के दौरान करीब साढ़े तीन बजे उनकी भी मौत हो गई।

संडे को युवक को तोड़ा दम

किला के अलखनाथ मंदिर स्थित फाटक के रहने वाले धर्मपाल ने 16 जनवरी को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में जांच कराई तो टीबी की पुष्टि हुई इसके बाद उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया गया। संडे दोपहर को उन्होने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

टीबी की पुष्टि होने के बाद मरीजों को उचित इलाज दिया जा रहा है हालांकि डॉक्टर्स की संख्या कम होने पर सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं।

डॉ। एसके गर्ग, जिला क्षय रोग अधिकारी।

Posted By: Inextlive