शूटआउट एट वडाला मूवी मूवी में जॉन अब्राहम अनिल कपूर और मनोज बाजपेई जैसे एक्टर्स मौजूद थे. पर इन सबके बीच एक ऐसा एक्टर भी था जो मूवी में कुछ सीन्स के लिए अपनी मौजूदगी को पूरी तरह जस्टिफाई कर गया. बात हो रही है सिद्धांत कपूर की जो भले ही एक न्यूकमर हों और उनके साथ उनके फादर शक्ति कपूर और आंटी पद्मिनी तेजस्वनी कोल्हापुरे का नाम जुड़ा हो पर बॉलीवुड में उनकी एंट्री के पीछे सबसे स्ट्रॉन्ग वजह रही है उनकी डिटर्मिनेशन.

सिद्धांत कपूर डायरेक्टर प्रियदर्शन की चार मूवीज में उन्हें असिस्ट भी कर चुके हैं और अब अपनी नेक्स्ट मूवी अगली की तैयारी कर रहे हैं. उनके पास सैक्स की दुकान नाम की एक मूवी और है जिसमें वह लीड रोल प्ले कर रहे हैं. जानते हैं सिद्धांत के बारे में खुद उन्हीं से...
Gangsta rap
मैंने एक दिन संजय गुप्ता को कॉल किया और उनसे बोला कि मैं शूटआउट एट वडाला का हिस्सा बनना चाहता हूं. मैंने शूटआउट एट लोखंडवाला देखी थी और मुझे लगा था कि मैं इस मूवी के कई कैरेक्टर्स प्ले कर सकता था. हम साथ बैठे और इसके बारे में बात की. उन्होंने मुझे गैंचो के कैरेक्टर के बारे में बताया और मैं इसके लिए तैयार हो गया. मैं इससे बहुत अच्छा रिस्पांस एक्सपेक्ट नहीं कर रहा था पर मैंने इसके लिए अपनी तरफ से पूरी मेहनत की थी. यह एक बड़ी मूवी थी और मैं हारा हुआ महसूस नहीं करना चाहता था. इस मूवी से जुड़े हर एक्टर ने मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ाने में मेरी हेल्प की. मैं हमेशा से ही एक गैंगस्टर मूवी का हिस्सा बनना चाहता था, मैं इन मूवीज का बहुत बड़ा फैन हूं फिर चाहे वह इंडियन हों या फॉरेन मूवीज ही क्यों ना हों.
Staying away from tags
रोल निगेटिव है, पाजिटिव है, कॉमिक है या हीरो का है, मैं इन सारी चीजों के बारे में नहीं सोचता हूं. अगर कैरेक्टर स्क्रिप्ट पर अपना इम्पैक्ट छोड़ता है तो मुझे नहीं लगता कि हीरो या विलेन के टैग से कोई फर्क पढ़ता है. मेरे फादर के दिनों से लेकर आज के वक्त में विलेन की डेफिनेशन काफी चेंज हो गई है. आजकल ऐसा नहीं रह गया है कि स्टोरी सिर्फ हीरो और हीरोइन के आस-पास घूमेगी, फिर विलेन कुछ गलत करेगा और हीरो उससे इसका बदला लेगा. आजकल निगेटिव कैरेक्टर्स में भी काफी फ्लेवर मौजूद होता है. वे रिएलिटी के ज्यादा करीब होते हैं.
Raring to go
अनुराग कश्यप की मूवी अगली में मेरा कैरेक्टर थोड़ा ट्विस्टेड है. यह मूवी एक यंग गर्ल की किडनैपिंग में और फिर उसके बाद होने वाली चीजों पर बेस्ड है. इस मूवी को इस साल कान्स में ‘डायरेक्टर्स फोर्टनाइट’ के लिए भी चूज किया गया था. अनुराग हमारे कुछ सबसे बेहतरीन डायरेक्टर्स में से एक हैं और मैं उनकी किसी मूवी में काम करने के लिए उनके पीछे पड़ा हुआ था. मैं वीर दास के साथ सैक्स की दुकान मूवी भी कर रहा हूं. यह बहुत ही अलग तरह की कॉमेडी मूवी है, कुछ-कुछ डेली बेली जैसी. यह मूवी दो ऐसे नाकारा लडक़ों की स्टोरी है जो दिल्ली में सेक्स प्रॉडक्ट्स बेचने का काम करते हैं. यह बहुत ही इंटरेस्टिंग और फनी स्टोरी है.

Family matters
बचपन से ही मैं अपने घर का चलता-फिरता लाइव एंटरटेनमेंट रहा हूं. मेरे फादर से ज्यादा हार्र्डवर्किंग इंसान मैंने अपनी लाइफ में नहीं देखा है. यह सोचकर घबराहट होती है कि लोग मुझे उनसे कम्पेयर करते हैं, मैं बस अपना काम कर रहा हूं. वे दो लोग जिनसे मैं सबसे ज्यादा एडवाइस लेता हूं वह हैं मेरी सिस्टर श्रृद्धा और मेरी गर्लफ्रेंड एरिका. श्रृद्धा और मेरी बॉडिंग बहुत स्ट्रॉन्ग है. मैं भी उसको लेकर काफी पजेसिव हूं. हम दोनों एक-दूसरे को काफी हेल्पफुल एडवाइस देते हैं.

Posted By: Kushal Mishra