कॉरिडोर निर्माण के लिए मकराना से खरीदे जाएंगे दस लाख स्क्वायर फीट पत्थर राजस्थान के मकराना पहुंची कॉरिडोर करने वाली टीम

वाराणसी (ब्यूरो)। जिस मकराना के सफेद संगमरमर से ताज महल निखर रहा है वैसे पत्थर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की खूबसूरती बढ़ाएंगे। पत्थरों की जांच- पड़ताल को कॉरिडोर निर्माण की टीम मंदिर के सीईओ विशाल सिंह के नेतृत्व में राजस्थान के मकराना पहुंची और आधा दर्जन खदानों के मालिकों से संपर्क स्थापित करने के बाद फैसला किया कि दस लाख स्क्वायर फीट पत्थर कॉरिडोर निर्माण के दौरान लगेंगे।

लिए गए पत्थरों के सैंपल
बनारस से राजस्थान गयी टीम ने आधा दर्जन खदानों से सैंपल के तौर पर कई पत्थर भी लिए गए हैं। सभी खदान मालिकों से स्टीमेट भी लिया गया है। टीम ने निर्णय लिया है कि पत्थर की क्वालिटी, क्षमता और सभी मानकों को परखने के बाद कार्यदायी संस्था तय की जाएगी। तय किया गया है कि फ्यूचर के लिहाज से पत्थरों का क्वालिटी परक होना इसका पहला मानक होगा। इसी लिहाज से पत्थर के सैंपल आदि लिये गए हैं। एक्सपर्ट से बातचीत व पत्थरों की क्वालिटी तय होने के बाद ही खदान मालिक से डील फाइनल की जाएगी।

फ्लोरिंग से लेकर वॉल तक

-श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर करीब चार लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा क्षेत्रफल में बनेगा।

-अब तक लगभग तीन लाख 80 हजार स्क्वायर फीट जमीन हासिल कर ली गयी है

-हालांकि अभी भी परिक्षेत्र के बढ़ने की संभावनाएं बलवती है।

फ्लोरिंग सहित अन्य सुंदरीकरण कार्यो के लिए पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा।

-दीवारों पर भी इन पत्थरों का उपयोग किया जाएगा

-कॉरीडोर के अन्य हिस्सों में मकराना पत्थर लगेंगे

ताज महल की बढ़ायी सुंदरता
दुनिया की कई इमारतों में मकराना का मार्बल लगा हुआ है। यहां के सफेद मार्बल की धूम जहां पूरी दुनिया में वहीं, आगरा के ताजमहल की खूबसूरती में मकराना के मार्बल का बड़ा योगदान है। पूरा का पूरा ताजमहल मकराना के मार्बल से बना है। जयपुर राजपरिवार का सिटी पैलेस और बिड़ला मंदिर भी मकराना मार्बल से बना हुआ है।

दुनिया में सर्वश्रेष्ठ
आईयूजीएस के अनुसार, मकराना का मार्बल भूगर्भीय दृष्टि से कैंब्रियन काल के पहले कायांतरित चट्टानों से बना है। यह मूल रूप से चूना पत्थर के कायांतरण से बनती है। यह श्रेणी संगमरमर के विश्व की सबसे उत्कृष्ट श्रेणी में से माना जाता है। मकराना के मार्बल के बारे में माना जाता है कि इसकी सफेदी हमेशा बरकरार रहती है। पृथ्वी को बचाने के लिए और पृथ्वी के अंदर के खोज के लिए वैश्रि्वक सहयोग से 1961 में आईयूजीएस का गठन किया गया था और 121 देश इसके सदस्य है।

'मकराना में पहुंचकर खदान मालिकों से बातचीत की गई हैं। कुछ पत्थरों के सैंपल भी लिए गए हैं। एक्सपर्ट से जांच पड़ताल कराने के बाद पत्थरों का क्रय किया जाएगा.'

विशाल सिंह, सीईओ

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर
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Posted By: Inextlive