-जाजमऊ के गंगाजल में डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा सुबह जीरो होती है

-टेनरी के केमिकल वाले पानी और केमिकल कचरे से हो रहा स्किन कैंसर

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KANPUR : मोक्षदायिनी गंगा इंसानों की वजह से अब मोक्ष नहीं बल्कि 'मौत' देने को मजबूर हैं। दशकों से गंगा नदी को लोगों ने 'कूड़ाघर' बना दिया, हालात अब ऐसे हो चलें हैं कि गंगा खुद भी सांस नहीं ले पा रही हैं। गंगा की निर्मल और अविरल धारा के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट सजग हुई है और इसके लिए प्रयासरत है। लेकिन गंगा में क्वालिफॉम (बैक्टीरिया) का जो लेवल है वह काफी खतरनाक है। गंगाजल में बैक्टीरिया का रेशियो 100 एमएल पानी में 1 लाख बैक्टीरिया का है। जिससे त्वचा रोग हो सकता है। यही नहीं अगर इसमें केमिकल कचरा मिल जाएगा तो फिर कैंसर की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

हर महीने सैंपल होता है कलेक्ट

गाल ब्लैडर कैंसर पर चल रहे रिसर्च वर्क में इस कैंसर के बढ़ने की कई कारण सामने आए हैं। जिसमें कि गंगा का प्रदूषित पानी भी एक संभावित वजह है। इस पर टीम वर्क कर रही है।

-डॉ। शरद सिंह, जेके कैंसर इंस्टीट्यूट।

जाजमऊ के पास गंगाजल पीने योग्य नहीं है। क्वालिफाम पीने योग्य पानी में दो होना चाहिए। जबकि आईआईटी की टेस्टिंग में इसकी संख्या एक लाख आ रही है। यह जानकारी गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट प्लान से जुड़े आईआईटी प्रो। विनोद तारे ने दी। कुछ इसी तरह की बात जेके कैंसर हॉस्पिटल के कैंसर एक्सपर्ट डॉ। शरद सिंह ने कही है। गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट प्लान आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के सीनियर प्रो। विनोद तारे ने बताया कि गंगाजल की टेस्टिंग के लिए प्रत्येक महीने की 11-12 और 24-25 तारीख को सैंपल लिया जाता है। यह सैंपल कभी बिठूर से तो कभी जाजमऊ से कलेक्ट किया जाता है। जिसमें कि बीओडी(बायो केमिकल ऑक्सीजन), डिजॉल्व ऑक्सीजन और बैक्टीरिया(क्वालिफाम) की टेस्िटग की जाती है। खास बात यह है कि हरिद्वार में भी क्वालिफाम की मात्रा ज्यादा मिली है। वहां पर बीओडी व डिजॉल्व ऑक्सीजन का लेवल ठीक रहता है।

गंगा की धारा बरकरार रखनी है

डॉ। विनोद तारे ने बताया कि गंगा के किनारे करीब 20 मेजर सिटीज बसी हैं। इन सिटीज की इंडस्ट्री का कचरा, सीवेज कचरा और टेनरी का कचरा सीधे गंगा में गिर रहा है। यही वजह है कि गंगोत्री से निकलने वाली मोक्षदायिनी गंगासागर तक पहुंचते-पहुंचते धारा की निर्मलता और अविरलता खत्म हो जाती है। इसकी निर्मलता और अविरलता को बनाए रखने के लिए नए सिरे प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।

20 एमएलडी के ट्रीटमेंट प्लांट लगेंगे

इंडस्ट्री व टेनरी के लिए 20 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट सभी इंडस्ट्री या टेनरी में लगाने पर सहमति बन गई है। जिस इंडस्ट्री या टेनरी का पानी गंगा में सीधे गिर रहा है वहां पर पहले यह ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा। कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट(सीईटीपी) लगाए जाएंगे। इसका सपोर्ट सेंट्रल गवर्नमेंट करेगी, लेकिन इसका ट्रीटेड पानी गंगा में नहीं जाएगा बल्कि इसका पानी टेनरी फिर से यूज करेंगी। जिसके एवज मे वह पेमेंट देंगी। बोरिंग के माध्यम से भी पानी नहीं निकालेंगी। 20 एममएलडी ट्रीटमेंट प्लांट के लिए टेंडर प्रॉसेस मार्च में शुरू कर दिया जाएगा।

प्लांट पर एसपीवी नजर रहेगी

सीईटीपी की मॉनीटरिंग के लिए स्पेशल परपज वेहिकल(एसपीवी) बनाया गया है। जिसमें कि स्टेट गवर्नमेंट के अफसर, सेंट्रल गवर्नमेंट के अफसर, टेनरी प्रतिनिधि, आईआईटी के एक्सपर्ट को शामिल किया जाएगा। टेनरी या इंडस्ट्री में लगे ट्रीटमेंट अच्छी तरह से काम कर रहे हैं या नहीं इस पर नजर एसपीवी रखेगी।

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ट्रीटेड पानी से ट्रेनों की धुलाई

डॉ। विनोद तारे ने बताया कि रेल मंत्रालय व जल संसाधन मंत्रालय के बीच एक एमओयू साइन किया गया है। जिसमें कि ट्रीटेड पानी से ही ट्रेनों व प्लेटफार्म की साफ सफाई कराई जाएगी। इस पर काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा। इससे प्राकृतिक संसाधनों को दोहन कम होगा। कानपुर में सीसामऊ नाले में छोटे छोटे ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। सीसामऊ नाले के किनारे ग्रीन बेल्ट डेवलप की जाएगी साथ ही बोटिंग का अरेंजमेंट किया जाएगा। ट्रीटेड पानी से व्हिकल की धुलाई भी कराई जा सकती है।

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माघ मेले में त्रेयांस सफाई करेगा

आईआईटी प्रोफेसर डॉ। तारे व उनकी टीम ने त्रेयांस डेवलप किया है। इसकी डिजाइन इस तरह से की गई है कि यूरिन अलग पॉट में जाती है। सॉलिड अलग पॉट में और पानी अलग पॉट में जाता है। यूरिन का यूज फर्टिलाइजर में किया जाएगा। सॉलिड का यूज कम्पोस्ट खाद बनाने में होगा। पानी को रि-साइकिल करके फिर से त्रेयांस में यूज करेंगे। माघ मेले में 100 स्टेबल व 8 मोबाइल त्रेयांस इलाहाबाद में लगाए गए हैं।

आईआईटी की टेस्टिंग रिपोर्ट

-बैक्टीरिया(क्वालिफाम) एक लाख प्रति सौ एमएल। पीन के पानी में प्रति सौ एमएल दो होना चाहिए।

-डिजॉल्व ऑक्सीजन का लेवल 7-8 मिली ग्राम पर लीटर मिल रहा है, जाजमऊ में यह टेस्टिंग में सुबह के टाइम जीरो मिल रहा है।

-बायोकेमिकल ऑक्सीजन (बीओडी) 3 मिली ग्राम पर लीटर होना चाहिए। जबकि टेस्टिंग में 6-7 मिली ग्राम पर लीटर आ रहा है।

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Posted By: Inextlive