पिछले 16 सालों से चला रहा है गांजा और चरस का धंधा, यूपी के कई जिलों में फैला है नेटवर्क

महंगे कुत्ते और लग्जरी गाडि़यों का जुटा रखा है काफिला, हाल में देश के एम क्रीम (मनाला क्रीम) माफियाओं में होने लगी है गिनती

Meerut। तस्लीम, पुलिस के लिए कोई नया नाम नहीं है। बल्कि 2003 में भी एडीजी मुकुल गोयल ने तस्लीम को गांजा सप्लाई के एक मामले में पकड़कर जेल भी भेजा था। उस समय वह मेरठ के कप्तान थे। मेरठ में ही रह रहे रिटायर हो चुके एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जेल से छूटने के बाद सबसे पहले तस्लीम ने पुलिस महकमें में अपनी सेंटिग बनाई और कुछ ही सालों में पुलिस की मिलीभगत से तस्लीम ने मेरठ समेत आसपास के जिलों में गांजा और चरस सप्लाई का अपना बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया। पुलिस सूत्रों की मानें तो हाल के दिनों में तस्लीम की गिनती हिमाचल से लेकर दिल्ली-एनसीआर और गुरुग्राम के 'एम क्रीम' माफियाओं में होने लगी है।

16 साल चला रहा धंधा

मछेरान में रहने वाला तस्लीम पिछले 16 सालों से गांजा और चरस के काले कारोबार में जुड़ा है। उस पर हाथ डालना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि उसका नेटवर्क मेरठ ही नहीं बल्कि वेस्ट यूपी के कई बड़े जनपदों के तक फैला है। पुलिस की जांच में सामने आया कि, मेरठ में ही तस्लीम के लिए करीब 150 गुर्गे काम करते हैं, जो गांजा और चरस की सप्लाई उसके बताए ठिकानों पर करते हैं।

कुत्ते और महंगी लग्जरी गाडि़यों का शौक

सूत्रों की मानें तो दिल्ली के सबसे पॉश एरिया ग्रेटर कैलाश स्थित उसके घर में तस्लीम की निजी जिंदगी उसके काले कारोबार से ही रोशन है। घर के अंदर विभिन्न नस्ल के कुत्ते जैसे रॉट वेलर, अल शेशन, बुल डॉग, लेबरा, ग्रेट डैन समेत लग्जरी गाडि़यों का काफिला भी उसने बना रखा है। जिसमें पजेरो स्पो‌र्ट्स, बीएमडब्ल्यू टू सीटर, मर्सीडीज बैंज और फॉच्र्यूनर आदि गाडि़या शामिल हैं। इसके अलावा उसके पास स्पो‌र्ट्स बाइक की भी लंबी फेहरिस्त मौजूद है।

करोड़पति है तस्लीम

गांजा और चरस का सौदागर तस्लीम पिछले 16 सालों में करोड़पति बन गया है। दिल्ली-मेरठ के अलावा रामपुर के साथ-साथ कई जनपदों में भी उसने करोड़ों की संपत्ति बना रखी है। पुलिस रजिस्ट्रार कार्यालय से उसकी संपति के बारे में जानकारी जुटा रही है।

लूट से लेकर जानलेवा हमलों में नामजद

तस्लीम गांजा और चरस की तस्करी के अलावा लूट व जानलेवा हमलों के अलावा नारकोटिक्स के 30 मुकदमों भी में नामजद है। पुलिस तस्लीम की हिस्ट्री खंगाल रही है।

कराता है खुद की मुखबिरी

मछेरान और बरेली के चाहबाई सेंटर पर तस्लीम के लिए काम कर चुके बिट्टू ने बताया कि तस्लीम का नशे के बाजार के साथ ही पुलिस महकमे में भी अच्छा-खासा नेटवर्क है। हाईवे पर जब भी उसे पुलिस के एक्शन की सूचना मिलती है तो वह अपने पुलिस विभाग में अपने नेटवर्क के थ्रो गांजे की एक बड़ी खेप की मुखबिरी पुलिस को आउट करवाता है। पुलिस बिना देर किए उस खेप पर शिकंजा कसने के लिए जाल बिछाती है मगर पकड़ी गई खेप की क्वांटिटी कभी 20 किलो से ज्यादा नहीं होती। इस बीच तस्लीम की खेप उसकी वीआईपी गाडिय़ों में अपने सेंटर्स पर पहुंच जाती है। बिट्टू ने बताया कि तस्लीम द्वारा कराई गई मुखबिरी में उसका 20 से 25 किलो गांजा यानी 10 से 12 लाख माल पकड़ा तो जाता है लेकिन इससे उसकी करीब 600 किलो गांजे की खेप सेफ हो जाती है। साथ ही तस्लीम के विभाग में मौजूद मुखबिर (पुलिसकर्मी) भी सेफ रहते हैं। बिट्टू के मुताबिक तस्लीम हाईवे की बजाए ट्रेन वाले रूट पर ज्यादा भरोसा करता है। तस्लीम का सारा नेटवर्क मछेरान और भूसामंडी से चलता है लेकिन जब संबंधित थानाक्षेत्र रेलवे रोड पुलिस के मुताबिक तस्लीम वर्तमान में थाने में किसी मुकदमे में वांछित नहीं है।

Posted By: Inextlive