छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: संवाद की अंतिम शाम की शुरूआत केरल की इरुला जनजाति द्वारा कम्बलम चीयरू (अंतिम संस्कार नृत्य) की प्रस्तुति से हुई। इसमें कलाकारों ने चार वाद्य यंत्रों, पेरे, ढ़ाबी, कोयल व जलरा के साथ जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव को दर्शाया। अपने पहले गीत सोढ़ो-सोढ़ो में कृषि के जीवन पर जबकि दूसरे गीत थेक कुमे मेकलुरूट्टी में लड़के-लड़की के प्रेम मिलाप को दर्शाया गया है। इसके बाद त्रिपुरा के कलाकारों ने फसल काटने के बाद मामिता नृत्य प्रस्तुत किया। इसमें ये कलाकार बेहतर फसल के लिए तब तक नाचते हैं जब तक घर का मुखिया बाहर आकर उन्हें इनाम न दे दे। इसके बाद असम की राभा जनजाति द्वारा सथर नृत्य की प्रस्तुति देकर अपने यहां होने वाले बाइको उत्सव की झलक प्रस्तुत की। वहीं, अंत में नागालैंड के चकेसंग जनजाति ने चाकसांग योद्धा नृत्य का प्रदर्शन किया। हाथों में भाला और दरांती का उपयोग कर इन्होंने अपनी युद्धकला को दर्शाया।

शहर के होटलों में परोसे जाएंगे आदिवासी व्यंजन

जनजातीय सम्मेलन संवाद में इस बार 120 तरह के आदिवासी व्यंजन परोसे गए। टाटा स्टील की कोशिश होगी कि ये सभी आदिवासी व्यंजन जमशेदपुर के होटलों के मेन्यू में भी शामिल हो। गोपाल मैदान में प्रेसवार्ता में टाटा स्टील के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी (सीएसआर) चीफ सौरभ रॉय ने यह जानकारी दी। बताया कि इसके लिए वे होटलियर्स एसोसिएशन से बात कर रहे हैं। उम्मीद है कि इसका सकारात्मक रिजल्ट आए। वहीं, उन्होंने बताया कि छह व सात दिसंबर को ताज गोवाहाटी में भी आदिवासी फूड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। इसके बाद अंडमान व निकोबार व महाराष्ट्र में भी यह आयोजन होंगे। इसलिए हमारी कोशिश होगी कि ट्राइबल फूड चेन स्थापित कर महिलाओं को इस दिशा में स्वालंबी बनाया जाए। इस मौके पर अर्बन सर्विसेज हेड जिरेन टोप्पनो व कॉरपोरेट कम्युनिकेशन से अमरेश सिन्हा भी उपस्थित थे।

संवाद की स्टोरी होगी प्रकाशित

सौरभ ने बताया कि संवाद में पांच दिनों तक सोनारी स्थित ट्राइबल कलचर सेंटर में विभिन्न समुदायों ने अपनी सफलता की गाथा सहित जलवायु परिवर्तन के विषय में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी है। इसमें शेड रिपब्लिक के प्रतिनिधियों ने बताया कि उनके यहां पहले 24 हजार वर्ग किलोमीटर में झील थी जो जलवायु परिवर्तन के कारण सिमट कर मात्र तीन किलोमीटर में रह गए हैं। वहीं, ओडिशा की सुंदरगढ़ की अन्ना कुजूर सहित देश भर के आदिम जनजातियों की स्टोरी वे मई-जून माह में प्रकाशित कर इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी सौपेंगे।

15 लाख से की बिक्री

सौरभ ने बताया कि गोपाल मैदान में इस बार विभिन्न समुदायों द्वारा 40 स्टॉल लगाए हैं। पिछली बार 15 लाख रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ था। उन्हें उम्मीद है कि इस बार यह आंकड़ा पार हो चुका है।

2075 प्रतिनिधि आए

सौरभ ने बताया कि संवाद के छठे संस्करण में 28 राज्य (दो केंद्र शासित राज्य) और 13 देशों से 170 आदिम जनजातियों जमशेदपुर आए हैं। जबकि पिछली बार 132 जनजातियों के 1300 प्रतिनिधि शामिल हुए थे और हर बार यह संख्या बढ़ती जा रही है।

बनाएंगे म्यूजिक एल्बम

सौरभ ने बताया कि तीन वर्षो की तपस्या के बाद कर्नाटक के स्वरात्मा बैंड ने 13 राज्यों के 90 कलाकारों के साथ रिदम ऑफ द अर्थ की प्रस्तुति दी थी। उनकी कोशिश होगी कि विभिन्न आदिम जनजाति को म्यूजिक एल्बम निकालकर उन्हें अलग पहचान दी जाए।

शहर के विभिन्न हिस्सों में लगाए जाएंगे कैनवास

सौरभ ने बताया कि इस वर्ष नई पहल करते हुए उन्होंने संवाद की थीम पर आठ जनजाति को कैनवास पर अपनी कला प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। इसमें सोहराय, उरांव, सोहरा सहित विभिन्न जनजातियों ने मिलकर एक पेंटिंग बनाई है। इसे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लगाए जाएंगे।

सात नए राज्यों में होगा क्षेत्रीय संवाद

सौरभ ने बताया कि नवंबर 2020 तक देश के सात अलग-अलग राज्यों में क्षेत्रीय संवाद आयोजित किया जाएगा। इसके लिए उन्हें अब तक 20 राज्यों से संवाद आयोजित करने के लिए आमंत्रण मिल चुका है।

Posted By: Inextlive