कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में कोलकाता के एक टैक्सी ड्राइवर ने अपनी मेहनत से बनवाया अस्पताल सरकार को दे दिया। ड्राइवर ने सरकार से गुजारिश की वह अस्पताल को क्वारंटाइन सेंटर बना दें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इलाज हो सके।

कोलकाता (आईएएनएस)। दो साल पहले जब पीएम नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में टैक्सी ड्राइवर सईदुल लश्कर की चर्चा की, तो हर कोई उन्हें जानने लगा। सईदुल कोलकाता के पुनेरी गांव के रहने वाले हैं। वह एक टैक्सी ड्राइवर हैं मगर उनके सपने काफी बड़े थे, जिसे पूरा करने के बाद उनसे पीएम मोदी भी प्रभावित हुए। सईदुल ने करीब 16 साल तक कड़ी मेहनत कर एक अस्पताल बनवाया ताकि गांव वालों का इलाज हो सके। इस अस्पताल को सईदुल ने अब सरकार को दे दिया ताकि क्वाॅरंटीन सेंटर बनाकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक कदम आगे बढ़ा जा सके।

बीडीओ से जाकर मांगी अनुमति

कोलकाता से लगभग 40 किमी दूर बरुईपुर के पुनेरी गांव में स्थित इस अस्पताल का नाम 'मरुफा मेमोरियल हॉस्पिटल' है। यहां रोजाना लगभग 300 रोगियों का इलाज होता है। इसमें एक आपातकालीन वार्ड भी है। सईदुल ने हाल ही में ब्लॉक विकास अधिकारी से अनुरोध किया था। सईदुल कहते हैं, 'मैं रुपये दान करने के लिए उनके पास गया था। मैंने मुख्यमंत्री आपातकालीन राहत कोष में 5,000 रुपये दिए हैं। वहां मैंने उनसे अपने अस्पताल को क्वाॅरंटीन सेंटर बनाने की पेशकश की। उनसे यह भी कहा कि वे हमारे 12 पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करें ताकि कोविड 19 रोगियों का इलाज करने में मदद मिल सके। उन्होंने मेरा अनुरोध उपयुक्त अधिकारियों को भेज दिया जाएगा। बाद में बीडीओ अपने अधिकारियों के साथ आए और अस्पताल की जांच की।'

जल्दी ही बन जाएगा क्वारंटाइन सेंटर

जिला प्रशासन ने कहा कि अस्पताल में मूलभूत सुविधाएं हैं और थोड़ा परिवर्तन कर इसे क्वारांटाइन सेंअर बनाया जा सकता है। हालांकि अधिकारियों का कहना है, 'अंतिम निर्णय ऊपर से आना है।' सईदुल का कहना है कि वह अपने अस्पातल में मॉर्डन फैसिलिटी चाहता है। इसके लिए उन्हें आधुनिक मशीनों और चिकित्सीय उपकरणों की आवश्यकता है लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए अभी प्राथमिक उपचार ही लक्ष्य होना चाहिए।

पत्नी को बेचने पड़े थे गहने

सईदुल के इस अस्पताल को बनवाने की कहानी काफी इमोशनल है। उन्होंने इस अस्पताल का निर्माण अपनी बहन की याद में करवाया, जिनकी साल 2004 में छाती में संक्रमण के चलते मौत हो गई थी। तब सईदुल ने संकल्प लिया कि वह आगे गांव में किसी को भी इलाज के अभाव में मरने नहीं देंगे। इस सपने का पीछा करते हुए बारह साल बीत गए। सईदुल कैब ड्राइवर हैं, कई बार उन्होंने पैसेंजर्स से अस्पताल बनवाने का जिक्र किया तो कुछ लोग उन्हें आर्थिक मदद कर देते थे वहीं कुछ सीधे मना कर देते थे।

12 साल लग गए बनने में

सईदुल के इस सपने को साकार करने में उन्हें पत्नी शमीमा से पूरा सहयोग मिला, जिन्होंने अस्पताल बनवाने के लिए खर्चे के लिए अपने गहने तक बेच दिए। यही नहीं सईदुल ने अपनी चार टैक्सियों को भी बेच दिया ताकि अस्पताल बन सके। खैर इस साल फरवरी में जब अस्पताल बनकर तैयार हुआ और इसमें काम शुरु हुआ तो सईदुल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सईदुल के इस नेक काम का पीएम मोदी ने मन की बात में भी जिक्र किया था।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari