2002 के गुजरात दंगे में इफेक्ट हुई गुलबर्ग सोसायटी में म्यूजियम बनवाने की रकम में गबन के लिए एक्यूज तीस्ता सीतलवाड़ और उनके हसबेंड जावेद आनंद को सुप्रीम कोर्ट ने 19 तारीख तक अरेस्ट ना करने के ऑर्डर देकर कम से कम छह दिन की राहत तो दे ही दी है.


गुजरात की गुलबर्ग सोसाइटी में म्यूजियम के लिए मिले पैसों में करोड़ों का गबन करने के केस में एक्यूज्ड तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की गिरफ्तारी पर थर्स डे को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. हालाकि गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी जमानत की अपील रिजेक्ट कर दी थी, और पुलिस उनके घर गिरफ्तारी के लिए पहुंच गई. इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने किसी और मामले की हियरिंग के लिए मौजूद एडवोकेट कपिल सिब्बल की फोन पर पैरवी के चलते गिरफ्तारी पर फ्राइडे तक के लिए रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि सीतलवाड़ और उनके हसबेंड जावेद को फ्राइडे को हियरिंग होने तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.


गुजरात हाईकोर्ट के सीतलवाड़ दंपति की एंट्रिम बेल की अप्लीकेशन रिजेक्ट होते ही सीनियर लॉयर और कांग्रेस लीडर कपिल सिब्बल ने लॉयर अर्पणा भंट्ट के साथ बेंच को एक केस की हियरिंग के बीच यह कहते हुए इन्फार्मेशन दी कि पुलिस गिरफ्तारी के लिए सीतलवाड़ के घर पहुंच गई है इसलिए जमानत की यह अपील बेहद जरूरी है. तब खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के डिसीजन के अगेंस्ट अपील फ्राइडे को दिन में की जा सकती है. यह सब कुछ हाईकोर्ट का आदेश आने के एक घंटे के अंदर ही हो गया. हाईकोर्ट ने जमानत रिजेक्ट की और तीस्ता ने बताया पॉलिटिकल कांस्परेसी इससे पहले थर्स डे को एनजीओ की मालिक सीतलवाड़ और उनके पति को करोड़ों रुपये के घपले की जांच में सहयोग न करने पर गुजरात हाईकोर्ट ने एंट्रिम बेल की रिक्वेस्ट को रिजेक्ट करते हुए कहा कि जब जांच वे सहयोग नहीं कर रहे तो उन्हें बेल का सुरक्षा कवच नहीं दिया जा सकता है. इसके बाद सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत मंजूर होने के बाद कहा कि गुजरात के दंगा पीड़ितों का पक्ष लेने के कारण उनको टारगेट किया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि दंगा कराने वाले लोग उन्हें पॉलिटिकल रीजन से टारगेट कर रहे हैं. क्या है मामला

तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद पर गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने धोखाधड़ी, आइटी एक्ट में विश्वासघात के तहत दफाएं लगाकर एक साल पहले केस रजिस्टर किया था.  2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान तबाह हुई गुलबर्ग सोसाइटी में म्यूजियम ऑफ रेजिस्टेंट बनाने की तीस्ता सीतलवाड़ और उनके एनजीओ ने अनाउंसमेंट की थी. तब से अब तक पिछले 13 सालों में उन्होंने देश-विदेश से इसके लिए करोड़ों रुपये जमा किए और लेकिन बाद में म्यूजियम बनवाने से इंकार कर दिया. सीतलवाड़ दंपति पर इस रकम से विदेशों में वेकेशन मनाने का भी आरोप है.

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Posted By: Molly Seth