-10 साल में पहली बार जलस्तर में 16.5 मीटर की रिकॉर्ड गिरावट

-बांध में लगातार घटते पानी की वजह से बिजली उत्पादन घटा

-मई-जून में प्रदेश को मिलने वाली बिजली में हो सकती है भारी कटौती

नई टिहरी (जेएनएन):

पानी के लिए पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। जलस्त्रोत अप्रैल में ही सूख गए हैं। इसका असर एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध पर भी पड़ा है। कम बारिश और बर्फबारी की वजह से टिहरी झील का जलस्तर पिछले दस साल में सबसे ज्यादा कम हुआ है। इस बार झील का जलस्तर 760 मीटर से घटकर 743.5 मीटर हो गया है। जलस्तर घटने से बिजली उत्पादन पर सबसे ज्यादा असर हो रहा है और यूपी-दिल्ली को भी कम पानी दिया जा रहा है।

ऐसा पहली बार हुआ

वर्ष 2006 में बनी टिहरी झील का जलस्तर दस साल में पहली बार अप्रैल माह में इतना गिरा है। आमतौर पर यह स्थिति मई में आती है, जब झील अपने न्यूनतम स्तर करीब 740 मीटर पर रहती है। लगातार जलस्तर घटने से अब दिल्ली और उत्तर प्रदेश के लिए भी कम पानी छोड़ा जा रहा है। अप्रैल में उत्तर प्रदेश और दिल्ली के लिए झील से औसतन 140 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि सामान्य स्थितियों में यह मात्रा 200 क्यूमेक्स रहती है।

नदियों में भी कम है पानी

टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी) के महाप्रबंधक एचएल अरोड़ा ने बताया कि आमतौर पर अप्रैल में झील का जलस्तर 760 मीटर के आसपास रहता है, लेकिन इस बार इसमें रिकॉर्ड गिरावट आई है। अरोड़ा ने यह भी बताया कि शनिवार को झील में भागीरथी और भिलंगना नदियों से 65 क्यूमेक्स ही पानी आया है, जबकि झील से 140 क्यूमेक्स पानी छोड़ा गया। अरोड़ा ने कहा कि फिलहाल तो स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सबकुछ मौसम पर निर्भर करता है।

बिजली उत्पादन पर असर

झील में पानी की कमी का असर बिजली उत्पादन पर भी पड़ रहा है। टीएचडीसी के महाप्रबंधक एचएल अरोड़ा ने बताया कि पिछले साल अप्रैल में प्रतिदिन औसतन 7.5 से 8 मिलियन यूनिट का उत्पादन किया गया था लेकिन इस साल अप्रैल में यह उत्पादन औसतन 6 मिलियन यूनिट के आसपास ही रह गया।

Posted By: Inextlive