वर्ष के अंत तक जारी होंगे स्पेक्ट्रम साझा करने के निर्देश
कंपनियों को मोबाइल सेवाएं देने की लागत में आएगी कमी
दूरसंचार क्षेत्र के नियामक ट्राई ने जुलाई में सभी श्रेणी के स्पेक्ट्रम की आपस में साझेदारी की अनुमति दिए जाने की सिफारिश की थी. नियामक ने कहा था कि पुराने 1,658 करोड़ रुपये के पुराने दाम पर आवंटित स्पेक्ट्रम अथवा बिना नीलामी के दिए गए स्पेक्ट्रम सहित सभी श्रेणियों में भागीदारी की अनुमति दी जानी चाहिए. नियामक के मुताबिक, इससे कंपनियों को मोबाइल सेवाएं देने की लागत में कमी आएगी.
बनाया जा सकता है स्पेक्ट्रम को आपस में साझा करने लायक
ट्राई ने सुझाव दिया है कि 800-900-1800-2100-2300-2500 मेगाहर्ट्ज के बैंड में स्पेक्ट्रम को आपस में साझा करने लायक बनाया जा सकता है, बशर्ते कि दोनों लाइसेंसधारकों के पास एक ही बैंड में स्पेक्ट्रम उपलब्ध हो. वर्तमान में दूरसंचार ऑपरेटरों के पास 800 मेगाहर्ट्ज (सीडीएमए), 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज (जीएसएम 2जी, 3जी), 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज (4जी) श्रेणी की रेडियोवेव दूरसंचार सेवाओं के लिये उपलब्ध हैं. दूरसंचार ऑपरेटरों को मोबाइल टावर जैसी ढांचागत सुविधाओं को आपस में साझा करने की अनुमति है. इससे उन्हें अपनी लागत कम करने में मदद मिलती है, लेकिन उन्हें सक्रिय ढांचागत सुविधाएं जैसे स्पेक्ट्रम आदि को आपस में साझा करने की सुविधा नहीं है.
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