नोवल कोरोना वायरस से होने वाली कोविड-19 बीमारी और उसका प्रभावी उपचार तथा टीके को लेकर हाल में जो वैज्ञानिक शोध हुए हैं। उनमें कई नई बातें सामने आई हैं। किसी सतह पर वायरस पर बाहरी तापमान और नमी के असर को लेकर भी अध्ययन किए गए हैं।

मुंबई (राॅयटर्स)। तापमान और नमी वायरस के जीवन साइकिल को किस प्रकार प्रभावित करता है इसे लेकर एक मैथमैटिकल माॅडल से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि गर्म और शुष्क हालात में किसी सतह पर पड़े वायरस वाले ड्राॅपलेट्स कम मात्रा में वायरस फैलाते हैं। यानी ऐसे वातावरण में वायरस कम मात्रा में पनप पाते हैं। शोधकर्ताओं ने सोमवार को कहा कि एक बार किसी संक्रमित व्यक्ति से किसी सतह पर ड्राॅपलेट्स गिरते हैं तो सूखने के बाद वे इनएक्टिव हो जाते हैं। शोधकर्ताओं ने यह बात एक जर्नल 'फिजिक्स ऑफ फ्लूइड' में कही। बाहरी मौसम का श्वांस योग्य ड्रापलेट्स के सूखने का समय प्रभावित होता है।

ड्राॅपलेट्स सूखने के समय से जुड़ा है कोरोना वायरस का जीवन चक्र

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी बाॅम्बे के रजनीश भारद्वाज जो जर्नल के सह लेखक हैं, उन्होंने न्यूज एजेंसी राॅयटर्स से बातचीत में कहा कि ड्राॅपलेट्स के सूखने के समय से ही कोरोना वायरस का जीवन चक्र जुड़ा है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि बाहरी मौसम का सिर्फ यही तत्व कोरोना वायरस के जीवन चक्र को प्रभावित करता है। उनका कहना था कि अध्ययन में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि कम तापमान और ज्यादा नमी से कोरोना वायरस किसी भी सतह पर लंबे समय तक एक्टिव रहता है। अध्ययन में यह भी पता लगाया गया है कि कुछ सतह पर वायरस की एक्टिविटी अपेक्षाकृत लंबे समय तक चलती है।

स्मार्टफोन स्क्रीन पर ज्यादा देर तक एक्टिव रहता है कोरोना वायरस

भारद्वाज ने बताया कि उनके अध्ययन में यह बात सामने आई है कि स्मार्टफोन स्क्रीन और लकड़ी को बार-बार साफ करने की जरूरत है। ऐसे सतह पर कोरोना वायरस ज्यादा समय तक एक्टिव रहते हैं। वहीं कांच और स्टील की सतह पर अपेक्षाकृत कम समय तक वायरस एक्टिव रहता है। इन सतहों पर ड्राॅपलेट्स बूंद की शक्ल में रहते हैं और उनके वाष्पीकृत होकर सूखने में समय लगता है। ऐसे में कोरोना वायरस इन सतहों पर ज्यादा देर तक एक्टिव रहते हैं और उनका जीवन चक्र में वृद्धि होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। यही वजह है कि स्मार्टफोन और लकड़ी की सतह को तुलनात्मक रूप से बार-बार साफ करते रहना चाहिए।

कोरोना संक्रमित मां की सिजेरियन डिलिवरी में जोखिम ज्यादा

स्पेन में हुए एक अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मां यदि सिजेरियन डिलिवरी कराती है तो उन्हें स्वास्थ्य का जोखिम ज्यादा है। कोराेना वायरस से माइल्ड या मोडरेटली संक्रमित 78 महिलाओं को लेकर एक शोध किया गया। 37 महिलाओं जिनकी सिजेरियन डिलिवरी हुई उनमें से 21.6 प्रतिशत को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। वहीं 41 महिलाएं जिनकी नाॅर्मल डिलिवरी हुई उनके से सिर्फ 5 प्रतिशत को ही ऑक्सीजन की जरूरत महसूस हुई। सिजेरियन डिलिवरी से पैदा हुए नवजात को भी जोखिम ज्यादा रहता है ऐसे मामलों में उन्हेें नियोनेटल आईसीयू में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh