- जरूरत के समय किसानों को नहीं मिल रहा टेंपरेचर डाटा

- कृषि विज्ञान केंद्र ने हैदराबाद संस्थान को भेजा त्राहिमाम संदेश

जरूरत के समय किसानों को नहीं मिल रहा टेंपरेचर डाटा

- कृषि विज्ञान केंद्र ने हैदराबाद संस्थान को भेजा त्राहिमाम संदेश

PATNA/ BUXAR: PATNA/ BUXAR: आम लोगों को इंटरनेट के माध्यम से आसानी से तापमान बताने वाला सिस्टम फेल हो गया है। भरतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के लालगंज स्थित परिसर में तापमान रिकॉर्ड तो हो रहा है, लेकिन यह इंटरनेट सिस्टम पर शेयर नहीं हो पा रहा है। दरअसल, हैदरबाद स्थित रेनफेड एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट में लगा सर्वर डाउन होने से यह समस्या उत्पन्न हुई है। सर्वर डाउन होने से मीडिया को भी तापमान का आंकड़ा ऑनलाइन नहीं मिल पा रहा है और उन्हें मैनुअली उपलब्ध कराया जा रहा है। बताते चलें कि हैदरबाद स्थित नेशनल इनोवेशन्स इन क्लाइमेट रेसिलिएन्ट एग्रीकल्चर (निक्रा) की ओर से देशभर के कृषि विज्ञान केंद्र को मौसम पूर्वानुमान बताने वाले सिस्टम से जोड़ा गया था। जानकार सूत्रों के अनुसार जिस सर्वर पर यह सिस्टम काम कर रहा था, उसका सलाना रखरखाव करने वाली एजेंसी ने निविदा का समय पूरा होने के बाद अपना काम बंद कर दिया। जिस वजह से सर्वर डाउन है और कृषि वैज्ञानिकों व किसानों को ऑनलाइन तापमान की जानकारी नहीं मिल पा रही है।

कृषि कार्य पर असर

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ। देवकरण ने बताया कि सर्वर डाउन होने के बाद से तापमान निक्रा के सिस्टम पर अपलोड नहीं हो पा रहा है। हालांकि, केंद्र में हर घंटे तापमान दर्ज की जा रही है। इधर, मौसम में तल्खी की वजह से तापमान को लेकर पूछताछ ज्यादा हो रही है। वहीं, आने वाले दिनों में कृषि कार्य भी प्रारंभ होंगे और तापमान बताने वाला सिस्टम शुरू नहीं हुआ तो खेती पर भी इसका असर पड़ेगा। इधर, डॉ। देवकरण ने बताया कि इसी सप्ताह हैदराबाद में बैठक होने वाली है, जिसमें सर्वर को जल्द चालू करने का अनुरोध किया जाएगा।

पुणे से आएगी मशीन

कृषि विज्ञान केंद्र का मौसम विभाग इन दिनों हवा की गति का आकलन नहीं कर पा रहा है। केंद्र में हवा की गति बताने वाली मशीन खराब है। ऐसे में केवल तापमान का रिकॉर्ड संग्रह हो रहा है। केंद्र के अधिकारियों के मुताबिक हवा का रुख बताने वाली मशीन एनेमोमीटर पुणे से मंगाई जा रही है और एक पखवारे में यह काम करना शुरू कर देगा। बताते चलें कि कुकुढ़ा में हवा की गति बताने वाली मशीन लगाई गई है। इसमें तकनीकी खराबी से हवा की अहम जानकारी नहीं मिल पा रही है। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ। देवकरण ने बताया कि हवा की गति बताने वाली मशीन शीघ्र आ जाएगी।

Posted By: Inextlive