- पुलिस लाइन में एक ही दीवार से बने मंदिर और मस्जिद, एक साथ होती है आरती और नमाज

- वहीं, दरगाह-ए-आला हजरत के आसपास मिलजुलकर रहते हैं हिंदू और मुस्लिम भाई

अंकित चौहान, बरेली : अयोध्या मामले में फैसला आने से पहले शहर में इन दिनों तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कोई मस्जिद की बात कर रहा है तो कोई मंदिर की। लेकिन शहर में एक जगह ऐसी भी है जहां 'मंदिर-मस्जिद' की बात सिर्फ सांप्रदायिक सौहार्द के लिए होती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पुलिस लाइन की। यहां मंदिर मस्जिद की दीवार एक ही है और हिंदू-मस्लिम भाईयों में आपसी प्रेम भरपूर है।

मन में कोई बैर नहीं

आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां सैकड़ों लोग इबादत और पूजा करने आते हैं। कभी आपसी बैर नहीं रहा। यह एक बड़ा उदाहरण है, जो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों की की सोच बदल सकता है।

जिम्मेदार भी हैं आसपास

पुलिस लाइन में जहां मंदिर और मस्जिद बने हुए हैं। वहीं, ट्रैफिक डिपार्टमेंट भी बना हुआ है। जैसे मंदिर में पूजा आरती और मस्जिद में अजान होती है पुलिस महकमे के आला अफसर और कर्मचारी कुछ देर के लिए ध्यान मग्न हो जाते हैं।

इनसे भी मिलिए

शहर के मोहल्ला सौदागरान में दरगाह-ए-आला हजरत है। इस दरगाह से सटे हुए कई हिंदू परिवार हैं, जो कई सालों से यहां रह रहे हैं। हर दिन आपस में सलाम नमस्ते होती है। आला हजरत के सलाना उर्स में हिंदू परिवार भी बढ़कर हिस्सा लेते हैं। साथ ही, सहयोग भी करते हैं।

नहीं बिगड़ने देते माहौल

सौदागरान में रहने वाले मुकेश रस्तोगी बताते हैं कि वर्ष 2012 में कुछ असमाजिक तत्वों ने बारावफात के जुलूस में बवाल किया था, तो मामले को शांत कराने के लिए दरगाह आला हजरत की गली में रहने वाले दोनों ही समुदाय के लोगों ने शहर में जगह-जगह जाकर लोगों को अमन और चैन का संदेश दिया था।

प्रेम से रहते हैं हम लोग

- हमारा परिवार सैकड़ों सालों से आला हजरत की दरगाह के करीब रहे रहा है। कभी भी मजहबी बैर तो दूर आपसी विवाद की छोटी मोटी घटना तक नहीं हुई।

शिवम रस्तोगी।

यहां मोहल्ले में लोगों की सुबह सलाम-नमस्ते से होती है। सब हंसी ठिठोली करते हैं। कोई मजहबी बाते नहीं होतीं। आपसी चैन के साथ सब खुश हैं।

अतुल रस्तोगी।

यहां का महौल किसी मिसाल से कम नहीं है। जो लोग अपने निजी फायदे के लिए मजहबी हिंसा को बढ़ावा देते हैं उन्हें यहां का माहौल जरूर देखना चाहिए।

मुकेश रस्तोगी।

बरेली से अमन-चैन का पैगाम जाता है। सौदागरान की गलियों में रहने वाले हिंदू भाई हमेशा आला हजरत के उर्स में खिदमत करते हैं। उर्स ए रजवी के दौरान हिंदू भाई अपने घरों से वुजू करने के लिए पानी देते हैं।

सामरान खान, मीडिया प्रभारी, जमात रजा-ए-मुस्तफा, दरगाह आला हजरत।

Posted By: Inextlive