आज भी जब लोग अभिनेता दादा मुनि यानी कि अशोक कुमार के अभिनय को याद करते हैं। 10 दिसंबद 2001 को इस दुनिया को अलविदा करने कहने वाले अशोक की पहचान पहले एंटी हीरो के रूप में हुई थी। 300 से अधिक फिल्‍मों में काम करने वाले अशोक के हीरो बनने के पीछे कहा जाता है कि एक बार एक फिल्‍म का हीरो प्रोड्यूसर की बीवी को भगा ले गया था। जिसके बाद उस प्रोड्यूसर ने लैब असिस्‍टेंट अशोक कुमार को हीरो बना दिया था। आइए जानें इस खास दिन पर अशोक कुमार के हीरो बनने के सफर के बारे में...


पिता वकील थे बॉलीवुड अभिनेता अशोक कुमार का एक और नाम कुमुद कुमार गांगुली भी था। इनका जन्म 13 अक्टूबर 1911 को बिहार के भागलपुर शहर में हुआ था। इनके पिता कुंजलाल गांगुली एक बड़े वकील थे। अभिनय की दुनिया एक मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार से जुड़े अशोक का बचपन से ही अभिनय की दुनिया को पसंद करते थे। दादा मुनि शुरुआती दौर में न्यू थिएटर में बतौर एक लैब असिस्टेंट के रूप में काम करते थे। अभिनय की तारीफ पहले तो अशोक कुमार फिल्म में काम करने से घबराए लेकिन बाद में अभिनय को तैयार हो गए। इस फिल्म से इन्होंने जबरदस्त अभिनय किया। उनके अभिनय की काफी तारीफ भी हुई। कई बड़ी फिल्मों में
अशोक कुमार ने कई बड़ी फिल्मों में काम किया। जिसमें 'कंगन' 'आर्शीवाद''बंधन' 'बंदिनी' और 'झूला' जैसी कई फिल्में भी शामिल हैं। इन्होंने बाम्बे टॉकीज में एक लंबे समय तक काम किया था। निर्माण के क्षेत्र में अशोक कुमार ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी उतरे थे। इतना ही नहीं इन्होंने खुद की प्रोडक्शन कंपनी और जूपिटर थिएटर भी खोला था। अशोक कुमार को एक नहीं कई बड़े पुरस्कार भी मिले थे।


यहां भी क्लिक करें: ये है बॉलीवुड के टॉप 10 वाटरफॉल सॉन्गकई पुरस्कार मिले फिल्म आर्शीवाद में बेहतर अभिनय के लिए अशोक कुमार को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। इसके अलावा अशोक को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड और उन्हें पद्म भूषण अवार्ड भी मिला था। छोटे पर्दे पर भी कामदादा साहब ने सिर्फ बड़े पर्दे पर ही नहीं बल्कि छोटे पर्दे पर भी काम किया है। दूरदर्शन पर आने वाले सीरियल हमलोग, भीमभवानी बहादुर शाह जफर और उजाले जैसे सीरियलों में काम किया था।यहां भी क्लिक करें: इन 10 सेलेब्स के बच्चों के ऐसे हैं नाम, जो भुलाए नहीं भूलेंगे

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Posted By: Shweta Mishra