ट्रेंट ब्रिज टेस्ट में इंग्लैंड के बल्लेबाज़ इयन बेल के रन आउट होने और फिर 'खेल भावना' का परिचय देते हुए उन्हें वापस बुलाने के मामले में फ़ोकस भले ही महेंद्र सिंह धोनी पर रहा हो मगर एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके पीछे सचिन तेंदुलकर का हाथ था.


ब्रितानी अख़बार 'डेली मेल' के मुताबिक़ जब इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस और कोच एंडी फ़्लावर खेल के तीसरे दिन चायकाल में बेल को वापस बुलाने के लिए धोनी के पास गए तो धोनी ने उनकी बात सुनने से इनकार कर दिया था। दरअसल बेल चाय के ब्रेक से पहले अपनी क्रीज़ ये सोचकर छोड़ आए थे कि चाय का ब्रेक शुरू हो चुका है। मगर भारत की ओर से जब उनके आउट होने की अपील हुई तो अंपायरों ने उन्हें आउट क़रार दिया क्योंकि तकनीकी रूप से बेल आउट थे।


अख़बार के अनुसार इसके बाद सचिन तेंदुलकर की भूमिका अहम रही, "विवादास्पद रूप से बेल को आउट करने के बाद भारत के हृदय परिवर्तन के पीछे सचिन तेंदुलकर की भूमिका प्रमुख थी." स्ट्रॉस और फ़्लावर ने जब भारतीय कैंप से चायकाल में संपर्क किया तो भारत ने बेल को आउट करने की अपील वापस ली थी और बेल वापस मैदान पर खेलने पहुँचे थे। तेंदुलकर की भूमिका

अख़बार ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है, "धोनी से मैदान में तीन बार पूछा गया था कि क्या वह अपील कर रहे हैं और उन्होंने हर बार हाँ कहा था। इसके बाद जब फ़्लावर और स्ट्रॉस धोनी और फ़्लेचर से मिलने गए तो उनके कप्तान ने कहा कि फ़ैसला बरक़रार रहेगा। मगर ड्रेसिंग रूम में वो आवाज़ सचिन तेंदुलकर की थी जिसने बेल को जीवनदान दिया."सफलतापूर्वक एक बड़ा विवाद टाल दिया। रिपोर्ट के मुताबिक़, "इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि खेल के अब तक के महानतम खिलाड़ियों में से एक की इतने बड़े निर्णय में इतनी प्रभावी भूमिका रही और वह रन आउट का फ़ैसला बरक़रार रखने के मायने समझ गए थे." कहा गया है कि अगर फ़ैसला बरक़रार रखा जाता तो दोनों ही टीमों के बीच बाक़ी पूरे सीज़न में तनाव रहता और दोनों देशों के बोर्डों के बीच भी तनाव बढ़ जाता। तेंदुलकर को 'भारतीय क्रिकेट की सबसे प्रभावी शख़्सियत' बताते हुए अख़बार ने लिखा, "एक बार जब तेंदुलकर ने धोनी से बात की तो धोनी ने उनकी बात सुनी और जो फ़ैसला नियमानुसार सही था वह बिना किसी परेशानी के बदल दिया गया." भारत ये टेस्ट 319 रनों से हार गया था और इस तरह शृंखला में 2-0 से पीछे चल रहा है।

Posted By: Inextlive